दर्शन की तराई के विषय भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो? हे कोलाहल और ऊधम से भरी प्रसन्न नगरी, तुझ में जो मारे गए हैं वे न तो तलवार से और न लड़ाई में मारे गए हैं। तेरे सब न्यायी एक संग भाग गए और बिना धनुष के बंदी बनाए गए हैं। तेरे जितने शेष रह गए वे एक संग बंदी बनाए गए, यद्यपि वे दूर भागे थे। इस कारण मैं ने कहा, “मेरी ओर से मुँह फेर लो कि मैं बिलख बिलखकर रोऊँ; मेरे नगर का सत्यानाश होने के शोक में मुझे शान्ति देने का यत्न मत करो।” क्योंकि सेनाओं के प्रभु यहोवा का ठहराया हुआ एक दिन होगा, जब दर्शन की तराई में कोलाहल और रौंदा जाना और बेचैनी होगी; शहरपनाह में सुरंग लगाई जाएगी और दोहाई का शब्द पहाड़ों तक पहुँचेगा। एलाम पैदलों के दल और सवारों समेत तर्कश बाँधे हुए हैं, और कीर ढाल खोले हुए हैं। तेरी उत्तम उत्तम तराइयाँ रथों से भरी हुई होंगी और सवार फाटक के सामने पाँती बाँधेंगे। उसने यहूदा का घूँघट खोल दिया है। उस दिन तू ने वन नामक भवन के अस्त्र–शस्त्र का स्मरण किया, और तू ने दाऊदपुर की शहरपनाह की दरारों को देखा कि वे बहुत हैं, और तू ने निचले पोखरे के जल को इकट्ठा किया। और यरूशलेम के घरों को गिनकर शहरपनाह दृढ़ करने के लिये घरों को ढा दिया।
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