अय्यूब 27:6-23

अय्यूब 27:6-23 HINOVBSI

मैं अपना धर्म पकड़े हुए हूँ और उसको हाथ से जाने न दूँगा; क्योंकि मेरा मन जीवन के किसी दिन के लिये मुझे दोषी नहीं ठहराता। “मेरा शत्रु दुष्‍टों के समान, और जो मेरे विरुद्ध उठता है वह कुटिलों के तुल्य ठहरे। जब परमेश्‍वर भक्‍तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्‍त किया हो, तौभी उसकी क्या आशा रहेगी? जब वह संकट में पड़े, तब क्या परमेश्‍वर उसकी दोहाई सुनेगा? क्या वह सर्वशक्‍तिमान में सुख पा सकेगा, और हर समय परमेश्‍वर को पुकार सकेगा? मैं तुम्हें परमेश्‍वर के काम के विषय शिक्षा दूँगा, और सर्वशक्‍तिमान की बात मैं न छिपाऊँगा। देखो, तुम लोग सब के सब उसे स्वयं देख चुके हो, फिर तुम व्यर्थ विचार क्यों पकड़े रहते हो?” “दुष्‍ट मनुष्य का भाग परमेश्‍वर की ओर से यह है, और बलात्कारियों का अंश जो वे सर्वशक्‍तिमान के हाथ से पाते हैं, वह यह है, कि चाहे उसके बच्‍चे गिनती में बढ़ भी जाएँ, तौभी तलवार ही के लिये बढ़ेंगे, और उसकी सन्तान पेट भर रोटी न खाने पाएगी। उसके जो लोग बच जाएँ वे मरकर क़ब्र को पहुँचेंगे; और उसके यहाँ की विधवाएँ न रोएँगी। चाहे वह रुपया धूल के समान बटोर रखे, और वस्त्र मिट्टी के किनकों के तुल्य अनगिनित तैयार कराए, वह उन्हें तैयार भले ही कराए, परन्तु धर्मी उन्हें पहिन लेगा, और उसका रुपया निर्दोष लोग आपस में बाँटेंगे। उसने अपना घर कीड़े का सा बनाया, और खेत के रखवाले की झोपड़ी के समान बनाया। वह धनी होकर लेट जाए परन्तु वह गाड़ा न जाएगा; आँख खोलते ही वह जाता रहेगा। भय की धाराएँ उसे बहा ले जाएँगी, रात को बवण्डर उसको उड़ा ले जाएगा। पुरवाई उसे ऐसा उड़ा ले जाएगी, और वह जाता रहेगा, और उसको उसके स्थान से उड़ा ले जाएगी। क्योंकि परमेश्‍वर उस पर विपत्तियाँ बिना तरस खाए डाल देगा, उसके हाथ से वह भाग जाना चाहेगा। लोग उस पर ताली बजाएँगे, और उस पर ऐसी सुसकारियाँ भरेंगे कि वह अपने स्थान पर न रह सकेगा।

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