अय्यूब 32:1-8

अय्यूब 32:1-8 HINOVBSI

तब उन तीनों पुरुषों ने यह देखकर कि अय्यूब अपनी दृष्‍टि में निर्दोष है उसको उत्तर देना छोड़ दिया। तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू जो राम के कुल का था, उसका क्रोध भड़क उठा। अय्यूब पर उसका क्रोध इसलिये भड़क उठा कि उसने परमेश्‍वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया। फिर अय्यूब के तीनों मित्रों के विरुद्ध भी उसका क्रोध इस कारण भड़का कि वे अय्यूब को उत्तर न दे सके, तौभी उसको दोषी ठहराया। एलीहू अपने को उन से छोटा जानकर अय्यूब की बातों का अन्त होने की बाट जोहता रहा। परन्तु जब एलीहू ने देखा कि ये तीनों पुरुष कुछ उत्तर नहीं देते, तब उसका क्रोध भड़क उठा। तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू कहने लगा, “मैं तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मैं रुका रहा, और अपना विचार तुम को बताने से डरता था। मैं सोचता था, ‘जो आयु में बड़े हैं वे ही बात करें, और जो बहुत वर्ष के हैं, वे ही बुद्धि सिखाएँ।’ परन्तु मनुष्य में आत्मा तो है ही, सर्वशक्‍तिमान की दी हुई साँस, जो उन्हें समझने की शक्‍ति देता है।