जो मनुष्य यीशु को पकड़े हुए थे, वे उसे ठट्ठों में उड़ाकर पीटने लगे; और उसकी आँखें ढाँककर उससे पूछा, “भविष्यद्वाणी करके बता कि तुझे किसने मारा!” और उन्होंने बहुत सी और भी निन्दा की बातें उसके विरोध में कहीं। जब दिन हुआ तो लोगों के पुरनिए और प्रधान याजक और शास्त्री इकट्ठे हुए, और उसे अपनी महासभा में लाकर पूछा, “यदि तू मसीह है, तो हम से कह दे!” उसने उनसे कहा, “यदि मैं तुम से कहूँ, तो प्रतीति न करोगे; और यदि पूछूँ, तो उत्तर न दोगे। परन्तु अब से मनुष्य का पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठा रहेगा।” इस पर सब ने कहा, “तो क्या तू परमेश्वर का पुत्र है?” उसने उनसे कहा, “तुम आप ही कहते हो, क्योंकि मैं हूँ।” तब उन्होंने कहा, “अब हमें गवाही की क्या आवश्यकता है; क्योंकि हम ने आप ही उसके मुँह से सुन लिया है।”
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