तिबिरियुस कैसर के राज्य के पंद्रहवें वर्ष में जब पुन्तियुस पिलातुस यहूदिया का हाकिम था, और गलील में हेरोदेस, इतूरैया और त्रखोनीतिस में उसका भाई फिलिप्पुस, और अबिलेने में लिसानियास, चौथाई के राजा थे, और जब हन्ना और कैफा महायाजक थे, उस समय परमेश्वर का वचन जंगल में जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास पहुँचा। वह यरदन के आस पास के सारे प्रदेश में जाकर, पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करने लगा। जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के कहे हुए वचनों की पुस्तक में लिखा है :
“जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो
रहा है कि,
‘प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें
सीधी बनाओ।
हर एक घाटी भर दी जाएगी, और हर एक
पहाड़ और टीला नीचा किया जाएगा;
और जो टेढ़ा है सीधा, और जो ऊँचा नीचा
है वह चौरस मार्ग बनेगा।
और हर प्राणी परमेश्वर के उद्धार को
देखेगा’।”
जो भीड़ की भीड़ उससे बपतिस्मा लेने को निकल कर आती थी, उनसे वह कहता था, “हे साँप के बच्चो, तुम्हें किसने जता दिया कि आनेवाले क्रोध से भागो। अत: मन फिराव के योग्य फल लाओ, और अपने अपने मन में यह न सोचो कि हमारा पिता अब्राहम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि परमेश्वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है। अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर धरा है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।” तब लोगों ने उससे पूछा, “तो हम क्या करें?” उसने उन्हें उत्तर दिया, “जिसके पास दो कुरते हों, वह उसके साथ जिसके पास नहीं है बाँट ले और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।” महसूल लेनेवाले भी बपतिस्मा लेने आए, और उससे पूछा, “हे गुरु, हम क्या करें?” उसने उनसे कहा, “जो तुम्हारे लिये ठहराया गया है, उस से अधिक न लेना।” सिपाहियों ने भी उससे यह पूछा, “हम क्या करें?” उसने उनसे कहा, “किसी पर उपद्रव न करना और न झूठा दोष लगाना, और अपने वेतन पर सन्तोष करना।”
जब लोग आस लगाए हुए थे, और सब अपने अपने मन में यूहन्ना के विषय में विचार कर रहे थे कि क्या यही मसीह तो नहीं है, तो यूहन्ना ने उन सबसे कहा, “मैं तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु वह आनेवाला है जो मुझ से शक्तिमान है; मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूँ; वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। उसका सूप, उसके हाथ में है; और वह अपना खलिहान अच्छी तरह से साफ करेगा; और गेहूँ को अपने खत्ते में इकट्ठा करेगा; परन्तु भूसी को उस आग में जो बुझने की नहीं जला देगा।”
अत: वह बहुत सी शिक्षा दे देकर लोगों को सुसमाचार सुनाता रहा। परन्तु जब उसने चौथाई देश के राजा हेरोदेस को उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के विषय और सब कुकर्मों के विषय में जो उसने किए थे, उलाहना दिया, तो हेरोदेस ने उन सबसे बढ़कर यह कुकर्म भी किया कि यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया।
जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया और यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया, और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर के समान उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई : “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूँ।”
जब यीशु आप उपदेश करने लगा, तो लगभग तीस वर्ष की आयु का था और (जैसा समझा जाता था) यूसुफ का पुत्र था; और वह एली का, और वह मत्तात का, और वह लेवी का, और वह मलकी का, और वह यन्ना का, और वह यूसुफ का, और वह मत्तित्याह का, और वह आमोस का, और वह नहूम का, और वह असल्याह का, और वह नोगह का, और वह मात का, और वह मत्तित्याह का, और वह शिमी का, और वह योसेख का, और वह योदाह का, और वह यूहन्ना का, और वह रेसा का, और वह जरुब्बाबिल का, और वह शालतियेल का, और वह नेरी का, और वह मलकी का, और वह अद्दी का, और वह कोसाम का, और वह इलमोदाम का, और वह एर का, और वह येशू का, और वह इलाजार का, और वह योरीम का, और वह मत्तात का, और वह लेवी का, और वह शमौन का, और वह यहूदाह का, और वह यूसुफ का, और वह योनान का, और वह इलयाकीम का, और वह मलेआह का, और वह मिन्नाह का, और वह मत्तता का, और वह नातान का, और वह दाऊद का