लूका 3
3
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सन्देश
(मत्ती 3:1–12; मरकुस 1:1–8; यूह 1:19–28)
1तिबिरियुस कैसर के राज्य के पंद्रहवें वर्ष में जब पुन्तियुस पिलातुस यहूदिया का हाकिम था, और गलील में हेरोदेस, इतूरैया और त्रखोनीतिस में उसका भाई फिलिप्पुस, और अबिलेने में लिसानियास, चौथाई के राजा थे, 2और जब हन्ना और कैफा महायाजक थे, उस समय परमेश्वर का वचन जंगल में जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास पहुँचा। 3वह यरदन के आस पास के सारे प्रदेश में जाकर, पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करने लगा। 4जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के कहे हुए वचनों की पुस्तक में लिखा है :
“जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो
रहा है कि,
‘प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें
सीधी बनाओ।
5हर एक घाटी भर दी जाएगी, और हर एक
पहाड़ और टीला नीचा किया जाएगा;
और जो टेढ़ा है सीधा, और जो ऊँचा नीचा
है वह चौरस मार्ग बनेगा।
6और हर प्राणी परमेश्वर के उद्धार को
देखेगा’।”#यशा 40:3–5
7जो भीड़ की भीड़ उससे बपतिस्मा लेने को निकल कर आती थी, उनसे वह कहता था, “हे साँप के बच्चो, तुम्हें किसने जता दिया कि आनेवाले क्रोध से भागो।#मत्ती 12:34; 23:33 8अत: मन फिराव के योग्य फल लाओ, और अपने अपने मन में यह न सोचो कि हमारा पिता अब्राहम है;#यूह 8:33 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि परमेश्वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है। 9अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर धरा है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।#मत्ती 7:19 ” 10तब लोगों ने उससे पूछा, “तो हम क्या करें?” 11उसने उन्हें उत्तर दिया, “जिसके पास दो कुरते हों, वह उसके साथ जिसके पास नहीं है बाँट ले और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।” 12महसूल लेनेवाले भी बपतिस्मा लेने आए,#लूका 7:29 और उससे पूछा, “हे गुरु, हम क्या करें?” 13उसने उनसे कहा, “जो तुम्हारे लिये ठहराया गया है, उस से अधिक न लेना।” 14सिपाहियों ने भी उससे यह पूछा, “हम क्या करें?” उसने उनसे कहा, “किसी पर उपद्रव न करना और न झूठा दोष लगाना, और अपने वेतन पर सन्तोष करना।”
15जब लोग आस लगाए हुए थे, और सब अपने अपने मन में यूहन्ना के विषय में विचार कर रहे थे कि क्या यही मसीह तो नहीं है, 16तो यूहन्ना ने उन सबसे कहा, “मैं तो तुम्हें पानी से#3:16 यू० में बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु वह आनेवाला है जो मुझ से शक्तिमान है; मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूँ; वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। 17उसका सूप, उसके हाथ में है; और वह अपना खलिहान अच्छी तरह से साफ करेगा; और गेहूँ को अपने खत्ते में इकट्ठा करेगा; परन्तु भूसी को उस आग में जो बुझने की नहीं जला देगा।”
18अत: वह बहुत सी शिक्षा दे देकर लोगों को सुसमाचार सुनाता रहा। 19परन्तु जब उसने चौथाई देश के राजा हेरोदेस को उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के विषय और सब कुकर्मों के विषय में जो उसने किए थे, उलाहना दिया, 20तो हेरोदेस ने उन सबसे बढ़कर यह कुकर्म भी किया कि यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया।#मत्ती 14:3,4; मरकुस 6:17,18
यीशु का बपतिस्मा
(मत्ती 3:13–17; मरकुस 1:9–11)
21जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया और यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया, 22और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर के समान उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई : “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूँ।”#उत्प 22:2; भजन 2:7; यशा 42:1; मत्ती 3:17; मरकुस 1:11; लूका 9:35
यीशु की वंशावली
(मत्ती 1:1–17)
23जब यीशु आप उपदेश करने लगा, तो लगभग तीस वर्ष की आयु का था और (जैसा समझा जाता था) यूसुफ का पुत्र था; और वह एली का, 24और वह मत्तात का, और वह लेवी का, और वह मलकी का, और वह यन्ना का, और वह यूसुफ का, 25और वह मत्तित्याह का, और वह आमोस का, और वह नहूम का, और वह असल्याह का, और वह नोगह का, 26और वह मात का, और वह मत्तित्याह का, और वह शिमी का, और वह योसेख का, और वह योदाह का, 27और वह यूहन्ना का, और वह रेसा का, और वह जरुब्बाबिल का, और वह शालतियेल का, और वह नेरी का, 28और वह मलकी का, और वह अद्दी का, और वह कोसाम का, और वह इलमोदाम का, और वह एर का, 29और वह येशू का, और वह इलाजार का, और वह योरीम का, और वह मत्तात का, और वह लेवी का, 30और वह शमौन का, और वह यहूदाह का, और वह यूसुफ का, और वह योनान का, और वह इलयाकीम का, 31और वह मलेआह का, और वह मिन्नाह का, और वह मत्तता का, और वह नातान का, और वह दाऊद का, 32और वह यिशै का, और वह ओबेद का, और वह बोअज का, और वह सलमोन का, और वह नहशोन का, 33और वह अम्मीनादाब का, और वह अरनी का, और वह हिस्रोन का, और वह फिरिस का, और वह यहूदाह का, 34और वह याकूब का, और वह इसहाक का, और वह अब्राहम का, और वह तिरह का, और वह नाहोर का, 35और वह सरूग का, और वह रऊ का, और वह फिलिग का, और वह एबिर का, और वह शिलह का, 36और वह केनान का, और वह अरफक्षद का, और वह शेम का, और वह नूह का, और वह लिमिक का, 37और वह मथूशिलह का, और वह हनोक का, और वह यिरिद का, और वह महललेल का, और वह केनान का, 38और वह एनोश का, और वह शेत का, और वह आदम का, और वह परमेश्वर का पुत्र था।
वर्तमान में चयनित:
लूका 3: HINOVBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.
लूका 3
3
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सन्देश
(मत्ती 3:1–12; मरकुस 1:1–8; यूह 1:19–28)
1तिबिरियुस कैसर के राज्य के पंद्रहवें वर्ष में जब पुन्तियुस पिलातुस यहूदिया का हाकिम था, और गलील में हेरोदेस, इतूरैया और त्रखोनीतिस में उसका भाई फिलिप्पुस, और अबिलेने में लिसानियास, चौथाई के राजा थे, 2और जब हन्ना और कैफा महायाजक थे, उस समय परमेश्वर का वचन जंगल में जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास पहुँचा। 3वह यरदन के आस पास के सारे प्रदेश में जाकर, पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करने लगा। 4जैसे यशायाह भविष्यद्वक्ता के कहे हुए वचनों की पुस्तक में लिखा है :
“जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो
रहा है कि,
‘प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें
सीधी बनाओ।
5हर एक घाटी भर दी जाएगी, और हर एक
पहाड़ और टीला नीचा किया जाएगा;
और जो टेढ़ा है सीधा, और जो ऊँचा नीचा
है वह चौरस मार्ग बनेगा।
6और हर प्राणी परमेश्वर के उद्धार को
देखेगा’।”#यशा 40:3–5
7जो भीड़ की भीड़ उससे बपतिस्मा लेने को निकल कर आती थी, उनसे वह कहता था, “हे साँप के बच्चो, तुम्हें किसने जता दिया कि आनेवाले क्रोध से भागो।#मत्ती 12:34; 23:33 8अत: मन फिराव के योग्य फल लाओ, और अपने अपने मन में यह न सोचो कि हमारा पिता अब्राहम है;#यूह 8:33 क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि परमेश्वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है। 9अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर धरा है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।#मत्ती 7:19 ” 10तब लोगों ने उससे पूछा, “तो हम क्या करें?” 11उसने उन्हें उत्तर दिया, “जिसके पास दो कुरते हों, वह उसके साथ जिसके पास नहीं है बाँट ले और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।” 12महसूल लेनेवाले भी बपतिस्मा लेने आए,#लूका 7:29 और उससे पूछा, “हे गुरु, हम क्या करें?” 13उसने उनसे कहा, “जो तुम्हारे लिये ठहराया गया है, उस से अधिक न लेना।” 14सिपाहियों ने भी उससे यह पूछा, “हम क्या करें?” उसने उनसे कहा, “किसी पर उपद्रव न करना और न झूठा दोष लगाना, और अपने वेतन पर सन्तोष करना।”
15जब लोग आस लगाए हुए थे, और सब अपने अपने मन में यूहन्ना के विषय में विचार कर रहे थे कि क्या यही मसीह तो नहीं है, 16तो यूहन्ना ने उन सबसे कहा, “मैं तो तुम्हें पानी से#3:16 यू० में बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु वह आनेवाला है जो मुझ से शक्तिमान है; मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उसके जूतों का बन्ध खोल सकूँ; वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। 17उसका सूप, उसके हाथ में है; और वह अपना खलिहान अच्छी तरह से साफ करेगा; और गेहूँ को अपने खत्ते में इकट्ठा करेगा; परन्तु भूसी को उस आग में जो बुझने की नहीं जला देगा।”
18अत: वह बहुत सी शिक्षा दे देकर लोगों को सुसमाचार सुनाता रहा। 19परन्तु जब उसने चौथाई देश के राजा हेरोदेस को उसके भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के विषय और सब कुकर्मों के विषय में जो उसने किए थे, उलाहना दिया, 20तो हेरोदेस ने उन सबसे बढ़कर यह कुकर्म भी किया कि यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया।#मत्ती 14:3,4; मरकुस 6:17,18
यीशु का बपतिस्मा
(मत्ती 3:13–17; मरकुस 1:9–11)
21जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया और यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया, 22और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर के समान उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई : “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूँ।”#उत्प 22:2; भजन 2:7; यशा 42:1; मत्ती 3:17; मरकुस 1:11; लूका 9:35
यीशु की वंशावली
(मत्ती 1:1–17)
23जब यीशु आप उपदेश करने लगा, तो लगभग तीस वर्ष की आयु का था और (जैसा समझा जाता था) यूसुफ का पुत्र था; और वह एली का, 24और वह मत्तात का, और वह लेवी का, और वह मलकी का, और वह यन्ना का, और वह यूसुफ का, 25और वह मत्तित्याह का, और वह आमोस का, और वह नहूम का, और वह असल्याह का, और वह नोगह का, 26और वह मात का, और वह मत्तित्याह का, और वह शिमी का, और वह योसेख का, और वह योदाह का, 27और वह यूहन्ना का, और वह रेसा का, और वह जरुब्बाबिल का, और वह शालतियेल का, और वह नेरी का, 28और वह मलकी का, और वह अद्दी का, और वह कोसाम का, और वह इलमोदाम का, और वह एर का, 29और वह येशू का, और वह इलाजार का, और वह योरीम का, और वह मत्तात का, और वह लेवी का, 30और वह शमौन का, और वह यहूदाह का, और वह यूसुफ का, और वह योनान का, और वह इलयाकीम का, 31और वह मलेआह का, और वह मिन्नाह का, और वह मत्तता का, और वह नातान का, और वह दाऊद का, 32और वह यिशै का, और वह ओबेद का, और वह बोअज का, और वह सलमोन का, और वह नहशोन का, 33और वह अम्मीनादाब का, और वह अरनी का, और वह हिस्रोन का, और वह फिरिस का, और वह यहूदाह का, 34और वह याकूब का, और वह इसहाक का, और वह अब्राहम का, और वह तिरह का, और वह नाहोर का, 35और वह सरूग का, और वह रऊ का, और वह फिलिग का, और वह एबिर का, और वह शिलह का, 36और वह केनान का, और वह अरफक्षद का, और वह शेम का, और वह नूह का, और वह लिमिक का, 37और वह मथूशिलह का, और वह हनोक का, और वह यिरिद का, और वह महललेल का, और वह केनान का, 38और वह एनोश का, और वह शेत का, और वह आदम का, और वह परमेश्वर का पुत्र था।
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.