मत्ती 21:23-32

मत्ती 21:23-32 HINOVBSI

वह मन्दिर में जाकर उपदेश कर रहा था, तो प्रधान याजकों और लोगों के पुरनियों ने उसके पास आकर पूछा, “तू ये काम किसके अधिकार से करता है? और तुझे यह अधिकार किसने दिया है?” यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं भी तुम से एक बात पूछता हूँ; यदि वह मुझे बताओगे, तो मैं भी तुम्हें बताऊँगा कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ। यूहन्ना का बपतिस्मा कहाँ से था? स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से?” तब वे आपस में विवाद करने लगे, “यदि हम कहें ‘स्वर्ग की ओर से’, तो वह हम से कहेगा, ‘फिर तुम ने उसका विश्‍वास क्यों न किया?’ और यदि कहें ‘मनुष्यों की ओर से’, तो हमें भीड़ का डर है, क्योंकि वे सब यूहन्ना को भविष्यद्वक्‍ता मानते हैं।” अत: उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।” उसने भी उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ। “तुम क्या सोचते हो? किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; उसने पहले के पास जाकर कहा, ‘हे पुत्र, आज दाख की बारी में काम कर।’ उसने उत्तर दिया, ‘मैं नहीं जाऊँगा’, परन्तु बाद में पछता कर गया। फिर पिता ने दूसरे के पास जाकर ऐसा ही कहा, उसने उत्तर दिया, ‘जी हाँ, जाता हूँ’, परन्तु नहीं गया। इन दोनों में से किसने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने कहा, “पहले ने।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि महसूल लेनेवाले और वेश्याएँ तुम से पहले परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश करते हैं। क्योंकि यूहन्ना धर्म का मार्ग दर्शाते हुए तुम्हारे पास आया, और तुम ने उसका विश्‍वास न किया; पर महसूल लेनेवालों और वेश्याओं ने उसका विश्‍वास किया : और तुम यह देखकर बाद में भी न पछताए कि उसका विश्‍वास कर लेते।