“तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि ‘हत्या न करना’, और ‘जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा, और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे ‘अरे मूर्ख’ वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहाँ तू स्मरण करे, कि तेरे भाई के मन में तेरे लिये कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा। जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग ही में है, उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे, और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे, और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए। मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जब तक तू कौड़ी–कौड़ी भर न दे तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।
“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘व्यभिचार न करना।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका। यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उस को काटकर फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नष्ट हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए।
“यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्नी को तलाक देना चाहे, तो उसे त्यागपत्र दे।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से तलाक दे, तो वह उससे व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है।
“फिर तुम सुन चुके हो कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था, ‘झूठी शपथ न खाना, परन्तु प्रभु के लिये अपनी शपथ को पूरी करना।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि कभी शपथ न खाना; न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है; न धरती की, क्योंकि वह उसके पाँवों की चौकी है; न यरूशलेम की, क्योंकि वह महाराजा का नगर है। अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है। परन्तु तुम्हारी बात ‘हाँ’ की ‘हाँ,’ या ‘नहीं’ की ‘नहीं’ हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है।
“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘आँख के बदले आँख, और दाँत के बदले दाँत।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दे। यदि कोई तुझ पर नालिश करके तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे। जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए, तो उसके साथ दो कोस चला जा। जो कोई तुझ से माँगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उससे मुँह न मोड़।