मरकुस 14:22-72

मरकुस 14:22-72 HINOVBSI

जब वे खा ही रहे थे, उसने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और उन्हें दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।” फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उसमें से पीया। और उसने उनसे कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है। मैं तुम से सच कहता हूँ कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊँगा, जब तक परमेश्‍वर के राज्य में नया न पीऊँ।” फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए। तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब ठोकर खाओगे, क्योंकि लिखा है : ‘मैं रखवाले को मारूँगा, और भेड़ें तितर–बितर हो जाएँगी।’ परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा। ” पतरस ने उससे कहा, “यदि सब ठोकर खाएँ तो खाएँ, पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा।” यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही इसी रात को मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।” पर उसने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े, तौभी मैं तेरा इन्कार कभी न करूँगा।” इसी प्रकार और सब ने भी कहा। फिर वे गतसमनी नामक एक जगह में आए, और उसने अपने चेलों से कहा, “यहाँ बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूँ।” और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया; और बहुत ही अधीर और व्याकुल होने लगा, और उनसे कहा, “मेरा मन बहुत उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ : तुम यहाँ ठहरो, और जागते रहो।” फिर वह थोड़ा आगे बढ़ा और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए, और कहा, “हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले : तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।” फिर वह आया और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा, “हे शमौन, तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका? जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।” और वह फिर चला गया और उन्हीं शब्दों में प्रार्थना की। फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें। फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा, “अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुँची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। उठो, चलें! देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुँचा है!” वह यह कह ही रहा था कि यहूदा जो बारहों में से एक था, अपने साथ प्रधान याजकों और शास्त्रियों और पुरनियों की ओर से एक बड़ी भीड़ लेकर तुरन्त आ पहुँचा, जो तलवारें और लाठियाँ लिये थी। उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह पता दिया था कि जिसको मैं चूमूँ वही है, उसे पकड़कर यत्न से ले जाना। वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा, “हे रब्बी!” और उसको बहुत चूमा। तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया। उन में से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींच कर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया। यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियाँ लेकर निकले हो? मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा : परन्तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।” इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए। एक जवान अपनी नंगी देह पर चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया; और लोगों ने उसे पकड़ा। पर वह चादर छोड़कर नंगा भाग गया। फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए; और सब प्रधान याजक और पुरनिए और शास्त्री उसके यहाँ इकट्ठे हो गए। पतरस दूर ही दूर उसके पीछे–पीछे महायाजक के आँगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठ कर आग तापने लगा। प्रधान याजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली। क्योंकि बहुत से उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उनकी गवाही एक सी न थी। तब कुछ लोगों ने उठकर उस के विरुद्ध यह झूठी गवाही दी, “हम ने इसे यह कहते सुना है, ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढा दूँगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा,जो हाथ से न बना हो।’ ” इस पर भी उनकी गवाही एक सी न निकली। तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा, “तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?” परन्तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया। महायाजक ने उससे फिर पूछा, “क्या तू उस परम धन्य का पुत्र मसीह है?” यीशु ने कहा, “मैं हूँ : और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्‍तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।” तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “अब हमें गवाहों का और क्या प्रयोजन है? तुम ने यह निन्दा सुनी। तुम्हारी क्या राय है?” उन सब ने कहा कि यह वध के योग्य है। तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुँह ढाँकने और उसे घूँसे मारने, और उससे कहने लगे, “भविष्यद्वाणी कर!” और प्यादों ने उसे पकड़कर थप्पड़ मारे। जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई, और पतरस को आग तापते देख उसे टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।” वह मुकर गया, और कहा, “मैं न ही जानता और न ही समझता हूँ कि तू क्या कह रही है।” फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्ग़ ने बाँग दी। वह दासी उसे देखकर उनसे जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, “यह उनमें से एक है।” परन्तु वह फिर मुकर गया। थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा, “निश्‍चय तू उनमें से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।” तब वह धिक्‍कारने और शपथ खाने लगा, “मैं उस मनुष्य को, जिसकी तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता।” तब तुरन्त दूसरी बार मुर्ग़ ने बाँग दी। पतरस को वह बात जो यीशु ने उससे कही थी स्मरण आई : “मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” और वह इस बात को सोचकर रोने लगा।