ओबद्याह भूमिका
भूमिका
ई० पू० 586 में यरूशलेम पतन के बाद किसी समय में यह छोटी–सी पुस्तक लिखी गई थी। उस समय यहूदा का पुराना शत्रु, एदोम, जो दक्षिण–पूर्व में स्थित था, उसने यरूशलेम के पतन पर न केवल आनन्द ही मनाया, परन्तु यहूदा की दुर्दशा का लाभ उठाकर नगर को लूटा और आक्रमणकारियों की सहायता भी की। ओबद्याह ने यह भविष्यद्वाणी की कि इस्राएल के अन्य शत्रु राज्यों के साथ ही साथ एदोम को भी दण्ड और पराजय का मुख देखना पड़ेगा।
रूप–रेखा :
एदोम को दण्ड 1–14
प्रभु का दिन 15–21
वर्तमान में चयनित:
ओबद्याह भूमिका: HINOVBSI
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ओबद्याह भूमिका
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ई० पू० 586 में यरूशलेम पतन के बाद किसी समय में यह छोटी–सी पुस्तक लिखी गई थी। उस समय यहूदा का पुराना शत्रु, एदोम, जो दक्षिण–पूर्व में स्थित था, उसने यरूशलेम के पतन पर न केवल आनन्द ही मनाया, परन्तु यहूदा की दुर्दशा का लाभ उठाकर नगर को लूटा और आक्रमणकारियों की सहायता भी की। ओबद्याह ने यह भविष्यद्वाणी की कि इस्राएल के अन्य शत्रु राज्यों के साथ ही साथ एदोम को भी दण्ड और पराजय का मुख देखना पड़ेगा।
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एदोम को दण्ड 1–14
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