भजन संहिता 22
22
मनोव्यथा की पुकार और स्तुतिगान
प्रधान बजानेवाले के लिये अभ्येलेरशर#22 शीर्षक अर्थात् प्रभात की हरिणी राग में दाऊद का भजन
1हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने
मुझे क्यों छोड़ दिया?#मत्ती 27:46; मरकुस 15:34
तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से
क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ#22:1 मूल में, मेरे गोहराने का वचन मेरे उद्धार से दूर है है?
2हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ
परन्तु तू उत्तर नहीं देता;
और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।
3परन्तु तू जो इस्राएल की स्तुति के सिंहासन
पर विराजमान है,
तू तो पवित्र है।
4हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे;
वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।
5उन्होंने तेरी दोहाई दी और तू ने उनको छुड़ाया
वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी
लज्जित न हुए।
6परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं;
मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों
में मेरा अपमान होता है।
7वे सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं,
और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए
सिर हिलाते हैं,#मत्ती 27:39; मरकुस 15:29; लूका 23:35
8“अपने को यहोवा के वश में कर दे वही
उसको छुड़ाए,
वह उसको उबारे क्योंकि वह उस से
प्रसन्न है।”#मत्ती 27:28
9परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला;
जब मैं, दूध–पीता बच्चा था, तब ही से
तूने मुझे भरोसा रखना सिखाया#22:9 मूल में, भरोसा दिया ।
10मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया,
माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्वर है।
11मुझ से दूर न हो क्योंकि संकट निकट है,
और कोई सहायक नहीं।
12बहुत से साँड़ों ने मुझे घेर लिया है,
बाशान के बलवन्त साँड़ मेरे चारों ओर
मुझे घेरे हुए हैं।
13वे फाड़ने और गरजनेवाले सिंह के समान
मुझ पर अपना मुँह पसारे हुए हैं।
14मैं जल के समान बह गया,
और मेरी सब हड्डियों के जोड़ उखड़ गए :
मेरा हृदय मोम हो गया,
वह मेरी देह के भीतर पिघल गया।
15मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया;
और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई;
और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।
16क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है;
कुकर्मियों की मण्डली मेरे चारों ओर
मुझे घेरे हुए है;
वे मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
17मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ;
वे मुझे देखते और निहारते हैं।
18वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं,
और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।#मत्ती 27:35; मरकुस 15:24; लूका 23:34; यूह 19:24
19परन्तु हे यहोवा, तू दूर न रह!
हे मेरे सहायक, मेरी सहायता के लिये
फुर्ती कर!
20मेरे प्राण को तलवार से बचा,
मेरे प्राण को#22:20 मूल में, मेरी एकली को कुत्ते के पंजे से बचा ले!
21मुझे सिंह के मुँह से बचा,
हाँ, जंगली साँड़ों के सींगों में से तू ने
मुझे बचा लिया है।
22मैं अपने भाइयों के सामने तेरे नाम का
प्रचार करूँगा;
सभा के बीच मैं तेरी प्रशंसा करूँगा।#इब्रा 2:12
23हे यहोवा के डरवैयो, उसकी स्तुति करो!
हे याकूब के वंश, तुम सब उसकी
महिमा करो!
हे इस्राएल के वंश, तुम उसका भय मानो!
24क्योंकि उसने दु:खी को तुच्छ नहीं जाना
और न उससे घृणा करता है,
और न उससे अपना मुख छिपाता है;
पर जब उसने उसकी दोहाई दी, तब
उसकी सुन ली।
25बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही
ओर से होता है;
मैं अपने प्रण को उससे भय रखनेवालों के
सामने पूरा करूँगा।
26नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे;
जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति
करेंगे।
तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें।
27पृथ्वी के सब दूर–दूर देशों के लोग उसको
स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे;
और जाति जाति के सब कुल तेरे सामने
दण्डवत् करेंगे।
28क्योंकि राज्य यहोवा ही का है,
और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है।
29पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके
दण्डवत् करेंगे;
वे सब जो मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना
अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के
सामने घुटने टेकेंगे।
30एक वंश उसकी सेवा करेगा;
दूसरी पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।
31वे आएँगे और उसके धर्म के कामों को एक
वंश पर जो उत्पन्न होगा यह कहकर प्रगट
करेंगे कि उसने ऐसे ऐसे अद्भुत
काम किए।
वर्तमान में चयनित:
भजन संहिता 22: HINOVBSI
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भजन संहिता 22
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मनोव्यथा की पुकार और स्तुतिगान
प्रधान बजानेवाले के लिये अभ्येलेरशर#22 शीर्षक अर्थात् प्रभात की हरिणी राग में दाऊद का भजन
1हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने
मुझे क्यों छोड़ दिया?#मत्ती 27:46; मरकुस 15:34
तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से
क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ#22:1 मूल में, मेरे गोहराने का वचन मेरे उद्धार से दूर है है?
2हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ
परन्तु तू उत्तर नहीं देता;
और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।
3परन्तु तू जो इस्राएल की स्तुति के सिंहासन
पर विराजमान है,
तू तो पवित्र है।
4हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे;
वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।
5उन्होंने तेरी दोहाई दी और तू ने उनको छुड़ाया
वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी
लज्जित न हुए।
6परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं;
मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों
में मेरा अपमान होता है।
7वे सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं,
और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए
सिर हिलाते हैं,#मत्ती 27:39; मरकुस 15:29; लूका 23:35
8“अपने को यहोवा के वश में कर दे वही
उसको छुड़ाए,
वह उसको उबारे क्योंकि वह उस से
प्रसन्न है।”#मत्ती 27:28
9परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला;
जब मैं, दूध–पीता बच्चा था, तब ही से
तूने मुझे भरोसा रखना सिखाया#22:9 मूल में, भरोसा दिया ।
10मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया,
माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्वर है।
11मुझ से दूर न हो क्योंकि संकट निकट है,
और कोई सहायक नहीं।
12बहुत से साँड़ों ने मुझे घेर लिया है,
बाशान के बलवन्त साँड़ मेरे चारों ओर
मुझे घेरे हुए हैं।
13वे फाड़ने और गरजनेवाले सिंह के समान
मुझ पर अपना मुँह पसारे हुए हैं।
14मैं जल के समान बह गया,
और मेरी सब हड्डियों के जोड़ उखड़ गए :
मेरा हृदय मोम हो गया,
वह मेरी देह के भीतर पिघल गया।
15मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया;
और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई;
और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।
16क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है;
कुकर्मियों की मण्डली मेरे चारों ओर
मुझे घेरे हुए है;
वे मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
17मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ;
वे मुझे देखते और निहारते हैं।
18वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं,
और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।#मत्ती 27:35; मरकुस 15:24; लूका 23:34; यूह 19:24
19परन्तु हे यहोवा, तू दूर न रह!
हे मेरे सहायक, मेरी सहायता के लिये
फुर्ती कर!
20मेरे प्राण को तलवार से बचा,
मेरे प्राण को#22:20 मूल में, मेरी एकली को कुत्ते के पंजे से बचा ले!
21मुझे सिंह के मुँह से बचा,
हाँ, जंगली साँड़ों के सींगों में से तू ने
मुझे बचा लिया है।
22मैं अपने भाइयों के सामने तेरे नाम का
प्रचार करूँगा;
सभा के बीच मैं तेरी प्रशंसा करूँगा।#इब्रा 2:12
23हे यहोवा के डरवैयो, उसकी स्तुति करो!
हे याकूब के वंश, तुम सब उसकी
महिमा करो!
हे इस्राएल के वंश, तुम उसका भय मानो!
24क्योंकि उसने दु:खी को तुच्छ नहीं जाना
और न उससे घृणा करता है,
और न उससे अपना मुख छिपाता है;
पर जब उसने उसकी दोहाई दी, तब
उसकी सुन ली।
25बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही
ओर से होता है;
मैं अपने प्रण को उससे भय रखनेवालों के
सामने पूरा करूँगा।
26नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे;
जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति
करेंगे।
तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें।
27पृथ्वी के सब दूर–दूर देशों के लोग उसको
स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे;
और जाति जाति के सब कुल तेरे सामने
दण्डवत् करेंगे।
28क्योंकि राज्य यहोवा ही का है,
और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है।
29पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके
दण्डवत् करेंगे;
वे सब जो मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना
अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के
सामने घुटने टेकेंगे।
30एक वंश उसकी सेवा करेगा;
दूसरी पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।
31वे आएँगे और उसके धर्म के कामों को एक
वंश पर जो उत्पन्न होगा यह कहकर प्रगट
करेंगे कि उसने ऐसे ऐसे अद्भुत
काम किए।
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