प्रकाशितवाक्य 21:18-27

प्रकाशितवाक्य 21:18-27 HINOVBSI

उसकी शहरपनाह यशब की बनी थी, और नगर ऐसे शुद्ध सोने का था जो स्वच्छ काँच के समान हो। उस नगर की नींवें हर प्रकार के बहुमूल्य पत्थरों से सँवारी हुई थीं; पहली नींव यशब की, दूसरी नीलमणि की, तीसरी लालड़ी की, चौथी मरकत की, पाँचवीं गोमेदक की, छठवीं माणिक्य की, सातवीं पीतमणि की, आठवीं पेरोज की, नवीं पुखराज की, दसवीं लहसनिए की, ग्यारहवीं धूम्रकान्त की, और बारहवीं याकूत की थी। बारहों फाटक बारह मोतियों के थे; एक एक फाटक एक एक मोती का बना था। नगर की सड़क स्वच्छ काँच के समान शुद्ध सोने की थी। मैं ने उसमें कोई मन्दिर न देखा, क्योंकि सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर और मेम्ना उसका मन्दिर है। उस नगर में सूर्य और चाँद के उजियाले की आवश्यकता नहीं, क्योंकि परमेश्‍वर के तेज से उस में उजियाला हो रहा है, और मेम्ना उसका दीपक है। जाति–जाति के लोग उसकी ज्योति में चले–फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उसमें लाएँगे। उसके फाटक दिन को कभी बन्द न होंगे, और रात वहाँ न होगी। लोग जाति जाति के तेज और वैभव का सामान उसमें लाएँगे। परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।