जकर्याह 1

1
परमेश्‍वर की ओर लौटने का आह्वान
1दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में जकर्याह भविष्यद्वक्‍ता के पास जो बेरेक्याह का पुत्र और इद्दो का पोता था, यहोवा का यह वचन पहुँचा :#एज्रा 4:24—5:1; 6:14 2“यहोवा तुम लोगों के पुरखाओं से बहुत ही क्रोधित हुआ था। 3इसलिये तू इन लोगों से कह, सेनाओं का यहोवा यों कहता है : तुम मेरी ओर फिरो, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, तब मैं तुम्हारी ओर फिरूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। 4अपने पुरखाओं के समान न बनो, उनसे तो पूर्वकाल के भविष्यद्वक्‍ता यह पुकार पुकारकर कहते थे, ‘सेनाओं का यहोवा यों कहता है, अपने बुरे मार्गों से, और अपने बुरे कामों से फिरो;’ परन्तु उन्होंने न तो सुना, और न मेरी ओर ध्यान दिया, यहोवा की यही वाणी है। 5तुम्हारे पुरखा कहाँ रहे? भविष्यद्वक्‍ता क्या सदा जीवित रहते हैं? 6परन्तु मेरे वचन और मेरी आज्ञाएँ जिन को मैं ने अपने दास नबियों को दिया था, क्या वे तुम्हारे पुरखाओं पर पूरी न हुईं#1:6 मूल में, उन्होंने तुम्हारे पुरखाओं को न जा लिया ? तब उन्होंने मन फिराया और कहा, सेनाओं के यहोवा ने हमारे चालचलन और कामों के अनुसार हम से जैसा व्यवहार करने को कहा था, वैसा ही उसने हम को बदला दिया है।”
घोड़ों से सम्बन्धित दर्शन
7दारा के दूसरे वर्ष के शबात नामक ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन को जकर्याह नबी के पास जो बेरेक्याह का पुत्र और इद्दो का पोता था, यहोवा का वचन यों पहुँचा : 8“मैं ने रात को स्वप्न में क्या देखा कि एक पुरुष लाल घोड़े पर चढ़ा हुआ उन मेंहदियों के बीच खड़ा है जो नीचे स्थान में हैं, और उसके पीछे लाल और भूरे और श्‍वेत घोड़े भी खड़े हैं।#प्रका 6:2–8 9तब मैं ने कहा, ‘हे मेरे प्रभु, ये कौन हैं?’ तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने मुझ से कहा, ‘मैं तुझे बताऊँगा कि ये कौन हैं।’ 10फिर जो पुरुष मेंहदियों के बीच खड़ा था, उसने कहा, ‘यह वे हैं जिन को यहोवा ने पृथ्वी पर सैर अर्थात् घूमने के लिये भेजा है।’ 11तब उन्होंने यहोवा के उस दूत से जो मेंहदियों के बीच खड़ा था, कहा, ‘हम ने पृथ्वी पर सैर किया है, और क्या देखा कि सारी पृथ्वी में शान्ति और चैन है।’ 12तब यहोवा के दूत ने कहा, ‘हे सेनाओं के यहोवा, तू जो यरूशलेम और यहूदा के नगरों पर सत्तर वर्ष से क्रोधित है, इसलिये तू उन पर कब तक दया न करेगा?’ 13और यहोवा ने उत्तर में उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, अच्छी अच्छी और शान्ति की बातें कहीं। 14तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने मुझ से कहा, ‘तू पुकारकर कह कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, मुझे यरूशलेम और सिय्योन के लिये बड़ी जलन हुई है। 15जो जातियाँ सुख से रहती हैं, उनसे मैं क्रोधित हूँ; क्योंकि मैं ने तो थोड़ा–सा क्रोध किया था परन्तु उन्होंने विपत्ति को बढ़ा दिया। 16इस कारण यहोवा यों कहता है, अब मैं दया करके यरूशलेम को लौट आया हूँ; मेरा भवन उस में बनेगा, और यरूशलेम पर नापने की डोरी डाली जाएगी, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। 17फिर यह भी पुकारकर कह कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है : मेरे नगर फिर उत्तम वस्तुओं से भर जाएँगे, और यहोवा फिर सिय्योन को शान्ति देगा; और यरूशलेम को फिर अपना ठहराएगा।’ ”
सींग से सम्बन्धित दर्शन
18फिर मैं ने जो आँखें उठाईं, तो क्या देखा कि चार सींग हैं। 19तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उससे मैं ने पूछा, “ये क्या हैं?” उसने मुझ से कहा, “ये वे ही सींग हैं, जिन्होंने यहूदा और इस्राएल और यरूशलेम को तितर–बितर किया है।” 20फिर यहोवा ने मुझे चार लोहार दिखाए। 21तब मैं ने पूछा, “ये क्या करने को आए हैं?” उसने कहा, “ये वे ही सींग हैं, जिन्होंने यहूदा को ऐसा तितर–बितर किया कि कोई सिर न उठा सका; परन्तु ये लोग उन्हें भगाने के लिये और उन जातियों के सींगों को काट डालने के लिये आए हैं जिन्होंने यहूदा के देश को तितर–बितर करने के लिये उनके विरुद्ध अपने अपने सींग उठाए थे।”

वर्तमान में चयनित:

जकर्याह 1: HINOVBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in