1 शमूएल 16
16
दाऊद का राज्याभिषेक
1यहोवा ने शमूएल से कहा, “मैंने शाऊल को इस्राएल पर राज्य करने के लिये तुच्छ जाना है, तू कब तक उसके विषय विलाप करता रहेगा? अपने सींग में तेल भरकर चल; मैं तुझको बैतलहमवासी यिशै के पास भेजता हूँ, क्योंकि मैंने उसके पुत्रों में से एक को राजा होने के लिये चुना है#16:1 उसके पुत्रों में से एक को राजा होने के लिये चुना है: परमेश्वर का उद्देश्य था कि शाऊल का उत्तराधिकारी होने के लिये दाऊद का अभिषेक किया जाए। परमेश्वर का उद्देश्य यह नहीं था कि शमूएल दाऊद को शाऊल का विरोधी बनाकर युद्ध करे। ।” (लूका 3:31,32) 2शमूएल बोला, “मैं कैसे जा सकता हूँ? यदि शाऊल सुन लेगा, तो मुझे घात करेगा।” यहोवा ने कहा, “एक बछिया साथ ले जाकर कहना, ‘मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूँ।’ 3और यज्ञ पर यिशै को न्योता देना, तब मैं तुझे बता दूँगा कि तुझको क्या करना है; और जिसको मैं तुझे बताऊँ उसी का मेरी ओर से अभिषेक करना।” 4तब शमूएल ने यहोवा के कहने के अनुसार किया, और बैतलहम को गया। उस नगर के पुरनिये थरथराते हुए#16:4 थरथराते हुए: शमूएल का बैतलहम आगमन स्पष्टतः एक असाधारण बात थी और अगुए जानते थे कि शमूएल शाऊल के साथ मित्रता के सम्बंध में नहीं है, किसी बुराई की शंका में थे। उससे मिलने को गए, और कहने लगे, “क्या तू मित्रभाव से आया है कि नहीं?” 5उसने कहा, “हाँ, मित्रभाव से आया हूँ; मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूँ; तुम अपने-अपने को पवित्र करके मेरे साथ यज्ञ में आओ।” तब उसने यिशै और उसके पुत्रों को पवित्र करके यज्ञ में आने का न्योता दिया।
6जब वे आए, तब उसने एलीआब पर दृष्टि करके सोचा, “निश्चय यह जो यहोवा के सामने है वही उसका अभिषिक्त होगा।” 7परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, “न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके कद की ऊँचाई पर, क्योंकि मैंने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।” (मत्ती 22:18, मर. 2:8, यूह. 2:25) 8तब यिशै ने अबीनादाब को बुलाकर शमूएल के सामने भेजा। और उससे कहा, “यहोवा ने इसको भी नहीं चुना।” 9फिर यिशै ने शम्मा को सामने भेजा। और उसने कहा, “यहोवा ने इसको भी नहीं चुना।” 10इस प्रकार यिशै ने अपने सात पुत्रों को शमूएल के सामने भेजा। और शमूएल यिशै से कहता गया, “यहोवा ने इन्हें नहीं चुना।” 11तब शमूएल ने यिशै से कहा, “क्या सब लड़के आ गए?” वह बोला, “नहीं, छोटा तो रह गया, और वह भेड़-बकरियों को चरा रहा है।” शमूएल ने यिशै से कहा, “उसे बुलवा भेज; क्योंकि जब तक वह यहाँ न आए तब तक हम खाने को न बैठेंगे।” 12तब वह उसे बुलाकर भीतर ले आया। उसके तो लाली झलकती थी, और उसकी आँखें सुन्दर, और उसका रूप सुडौल था। तब यहोवा ने कहा, “उठकर इसका अभिषेक कर: यही है।” 13तब शमूएल ने अपना तेल का सींग लेकर उसके भाइयों के मध्य में उसका अभिषेक किया; और उस दिन से लेकर भविष्य को यहोवा का आत्मा दाऊद पर बल से उतरता रहा। तब शमूएल उठकर रामाह को चला गया। (प्रेरि. 13:22) 14यहोवा का आत्मा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे घबराने लगा। 15और शाऊल के कर्मचारियों ने उससे कहा, “सुन, परमेश्वर की ओर से एक दुष्ट आत्मा तुझे घबराता है। 16हमारा प्रभु अपने कर्मचारियों को जो उपस्थित हैं आज्ञा दे, कि वे किसी अच्छे वीणा बजानेवाले को ढूँढ़ ले आएँ; और जब जब परमेश्वर की ओर से दुष्ट आत्मा तुझ पर चढ़े, तब-तब वह अपने हाथ से बजाए, और तू अच्छा हो जाए।” 17शाऊल ने अपने कर्मचारियों से कहा, “अच्छा, एक उत्तम वीणा-वादक देखो, और उसे मेरे पास लाओ।” 18तब एक जवान ने उत्तर देके कहा, “सुन, मैंने बैतलहमवासी यिशै के एक पुत्र को देखा जो वीणा बजाना जानता है, और वह वीर योद्धा भी है, और बात करने में बुद्धिमान और रूपवान भी है; और यहोवा उसके साथ रहता है#16:18 यहोवा उसके साथ रहता है: दाऊद की वीरता बुद्धिमानी और कोशल्य तथा रूप की ख्याति सर्वत्र व्याप्त थी। जब परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरता था तब उसके प्राकृतिक गुण और क्षमता में असीम वृद्धि हो जाती थी।।” 19तब शाऊल ने दूतों के हाथ यिशै के पास कहला भेजा, “अपने पुत्र दाऊद को जो भेड़-बकरियों के साथ रहता है मेरे पास भेज दे।” 20तब यिशै ने रोटी से लदा हुआ एक गदहा, और कुप्पा भर दाखमधु, और बकरी का एक बच्चा लेकर अपने पुत्र दाऊद के हाथ से शाऊल के पास भेज दिया। 21और दाऊद शाऊल के पास जाकर उसके सामने उपस्थित रहने लगा। और शाऊल उससे बहुत प्रीति करने लगा, और वह उसका हथियार ढोनेवाला हो गया। 22तब शाऊल ने यिशै के पास कहला भेजा, “दाऊद को मेरे सामने उपस्थित रहने दे, क्योंकि मैं उससे बहुत प्रसन्न हूँ।” 23और जब जब परमेश्वर की ओर से वह आत्मा शाऊल पर चढ़ता था, तब-तब दाऊद वीणा लेकर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता था, और वह दुष्ट आत्मा उसमें से हट जाता था।
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6जब वे आए, तब उसने एलीआब पर दृष्टि करके सोचा, “निश्चय यह जो यहोवा के सामने है वही उसका अभिषिक्त होगा।” 7परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, “न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके कद की ऊँचाई पर, क्योंकि मैंने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।” (मत्ती 22:18, मर. 2:8, यूह. 2:25) 8तब यिशै ने अबीनादाब को बुलाकर शमूएल के सामने भेजा। और उससे कहा, “यहोवा ने इसको भी नहीं चुना।” 9फिर यिशै ने शम्मा को सामने भेजा। और उसने कहा, “यहोवा ने इसको भी नहीं चुना।” 10इस प्रकार यिशै ने अपने सात पुत्रों को शमूएल के सामने भेजा। और शमूएल यिशै से कहता गया, “यहोवा ने इन्हें नहीं चुना।” 11तब शमूएल ने यिशै से कहा, “क्या सब लड़के आ गए?” वह बोला, “नहीं, छोटा तो रह गया, और वह भेड़-बकरियों को चरा रहा है।” शमूएल ने यिशै से कहा, “उसे बुलवा भेज; क्योंकि जब तक वह यहाँ न आए तब तक हम खाने को न बैठेंगे।” 12तब वह उसे बुलाकर भीतर ले आया। उसके तो लाली झलकती थी, और उसकी आँखें सुन्दर, और उसका रूप सुडौल था। तब यहोवा ने कहा, “उठकर इसका अभिषेक कर: यही है।” 13तब शमूएल ने अपना तेल का सींग लेकर उसके भाइयों के मध्य में उसका अभिषेक किया; और उस दिन से लेकर भविष्य को यहोवा का आत्मा दाऊद पर बल से उतरता रहा। तब शमूएल उठकर रामाह को चला गया। (प्रेरि. 13:22) 14यहोवा का आत्मा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे घबराने लगा। 15और शाऊल के कर्मचारियों ने उससे कहा, “सुन, परमेश्वर की ओर से एक दुष्ट आत्मा तुझे घबराता है। 16हमारा प्रभु अपने कर्मचारियों को जो उपस्थित हैं आज्ञा दे, कि वे किसी अच्छे वीणा बजानेवाले को ढूँढ़ ले आएँ; और जब जब परमेश्वर की ओर से दुष्ट आत्मा तुझ पर चढ़े, तब-तब वह अपने हाथ से बजाए, और तू अच्छा हो जाए।” 17शाऊल ने अपने कर्मचारियों से कहा, “अच्छा, एक उत्तम वीणा-वादक देखो, और उसे मेरे पास लाओ।” 18तब एक जवान ने उत्तर देके कहा, “सुन, मैंने बैतलहमवासी यिशै के एक पुत्र को देखा जो वीणा बजाना जानता है, और वह वीर योद्धा भी है, और बात करने में बुद्धिमान और रूपवान भी है; और यहोवा उसके साथ रहता है#16:18 यहोवा उसके साथ रहता है: दाऊद की वीरता बुद्धिमानी और कोशल्य तथा रूप की ख्याति सर्वत्र व्याप्त थी। जब परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरता था तब उसके प्राकृतिक गुण और क्षमता में असीम वृद्धि हो जाती थी।।” 19तब शाऊल ने दूतों के हाथ यिशै के पास कहला भेजा, “अपने पुत्र दाऊद को जो भेड़-बकरियों के साथ रहता है मेरे पास भेज दे।” 20तब यिशै ने रोटी से लदा हुआ एक गदहा, और कुप्पा भर दाखमधु, और बकरी का एक बच्चा लेकर अपने पुत्र दाऊद के हाथ से शाऊल के पास भेज दिया। 21और दाऊद शाऊल के पास जाकर उसके सामने उपस्थित रहने लगा। और शाऊल उससे बहुत प्रीति करने लगा, और वह उसका हथियार ढोनेवाला हो गया। 22तब शाऊल ने यिशै के पास कहला भेजा, “दाऊद को मेरे सामने उपस्थित रहने दे, क्योंकि मैं उससे बहुत प्रसन्न हूँ।” 23और जब जब परमेश्वर की ओर से वह आत्मा शाऊल पर चढ़ता था, तब-तब दाऊद वीणा लेकर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता था, और वह दुष्ट आत्मा उसमें से हट जाता था।
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