दानिय्येल 2:27-39

दानिय्येल 2:27-39 IRVHIN

दानिय्येल ने राजा को उत्तर दिया, “जो भेद राजा पूछता है, वह न तो पंडित, न तांत्रिक, न ज्योतिषी, न दूसरे भावी बतानेवाले राजा को बता सकते हैं, परन्तु भेदों का प्रगट करनेवाला परमेश्वर स्वर्ग में है; और उसी ने नबूकदनेस्सर राजा को जताया है कि अन्त के दिनों में क्या-क्या होनेवाला है। तेरा स्वप्न और जो कुछ तूने पलंग पर पड़े हुए देखा, वह यह है: (उत्प. 40:8) हे राजा, जब तुझको पलंग पर यह विचार आया कि भविष्य में क्या-क्या होनेवाला है, तब भेदों को खोलनेवाले ने तुझको बताया, कि क्या-क्या होनेवाला है। (आमो. 4:13) मुझ पर यह भेद इस कारण नहीं खोला गया कि मैं अन्य सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान हूँ, परन्तु केवल इसी कारण खोला गया है कि स्वप्न का अर्थ राजा को बताया जाए, और तू अपने मन के विचार समझ सके। “हे राजा, जब तू देख रहा था, तब एक बड़ी मूर्ति देख पड़ी, और वह मूर्ति जो तेरे सामने खड़ी थी, वह लम्बी-चौड़ी थी; उसकी चमक अनुपम थी, और उसका रूप भयंकर था। उस मूर्ति का सिर तो शुद्ध सोने का था, उसकी छाती और भुजाएँ चाँदी की, उसका पेट और जाँघें पीतल की, उसकी टाँगें लोहे की और उसके पाँव कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के थे। फिर देखते-देखते, तूने क्या देखा, कि एक पत्थर ने, बिना किसी के खोदे, आप ही आप उखड़कर उस मूर्ति के पाँवों पर लगकर जो लोहे और मिट्टी के थे, उनको चूर चूरकर डाला। तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चाँदी और सोना भी सब चूर-चूर हो गए, और धूपकाल में खलिहानों के भूसे के समान हवा से ऐसे उड़ गए कि उनका कहीं पता न रहा; और वह पत्थर जो मूर्ति पर लगा था, वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी में फैल गया। “यह स्वप्न है; और अब हम उसका अर्थ राजा को समझा देते हैं। हे राजा, तू तो महाराजाधिराज है, क्योंकि स्वर्ग के परमेश्वर ने तुझको राज्य, सामर्थ्य, शक्ति और महिमा दी है, और जहाँ कहीं मनुष्य पाए जाते हैं, वहाँ उसने उन सभी को, और मैदान के जीव-जन्तु, और आकाश के पक्षी भी तेरे वश में कर दिए हैं; और तुझको उन सब का अधिकारी ठहराया है। यह सोने का सिर तू ही है। तेरे बाद एक राज्य और उदय होगा जो तुझ से छोटा होगा; फिर एक और तीसरा पीतल का सा राज्य होगा जिसमें सारी पृथ्वी आ जाएगी।

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