होशे 6

6
पश्चाताप की बुलाहट
1“चलो, हम यहोवा की ओर फिरें; क्योंकि उसी ने फाड़ा, और वही हमें चंगा भी करेगा; उसी ने मारा, और वही हमारे घावों पर पट्टी बाँधेगा। 2दो दिन के बाद वह हमको जिलाएगा; और तीसरे दिन वह हमको उठाकर खड़ा करेगा; तब हम उसके सम्मुख जीवित रहेंगे। (लूका 24:46, 1 कुरि. 15:4) 3आओ, हम ज्ञान ढूँढ़े, वरन् यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिये यत्न भी करें; क्योंकि यहोवा का प्रगट होना भोर का सा निश्चित है; वह वर्षा के समान हमारे ऊपर आएगा, वरन् बरसात के अन्त की वर्षा के समान जिससे भूमि सींचती है।”
इस्राएल और यहूदा की पश्चात्तापहीनता
4हे एप्रैम, मैं तुझ से क्या करूँ? हे यहूदा, मैं तुझ से क्या करूँ? तुम्हारा स्नेह तो भोर के मेघ के समान, और सवेरे उड़ जानेवाली ओस के समान है। 5इस कारण मैंने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा मानो उन पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें काट डाला, और अपने वचनों से उनको घात किया, और मेरा न्याय प्रकाश के समान चमकता है। (यिर्म. 5:14) 6क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, स्थिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूँ#6:6 मैं बलिदान से नहीं, स्थिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूँ: परमेश्वर पहले कह चुका है कि उनके लिए उसे खोजना आवश्यक है परन्तु अपनी भेड़ें और पशुओं के झुण्डों के साथ प्रयास करके उसे पा न सकेंगे। अतः यहाँ वह शाऊल के उत्तर के बहाने की अपेक्षा करता है कि अवज्ञा को होमबलि द्वारा प्रतिस्थापित करना। , और होमबलियों से अधिक यह चाहता हूँ कि लोग परमेश्वर का ज्ञान रखें। (मत्ती 9:13, मत्ती. 12:7, मर. 12:33)
7परन्तु उन लोगों ने आदम के समान वाचा को तोड़ दिया; उन्होंने वहाँ मुझसे विश्वासघात किया है। 8गिलाद नामक गढ़ी तो अनर्थकारियों से भरी है, वह खून से भरी हुई है। 9जैसे डाकुओं के दल किसी की घात में बैठते हैं, वैसे ही याजकों का दल शेकेम के मार्ग में वध करता है, वरन् उन्होंने महापाप भी किया है। 10इस्राएल के घराने में मैंने रोएँ खड़े होने का कारण देखा है; उसमें एप्रैम का छिनाला और इस्राएल की अशुद्धता पाई जाती है।
राष्ट्रों पर व्यर्थ भरोसा
11हे यहूदा, जब मैं अपनी प्रजा को बँधुआई से लौटा ले आऊँगा, उस समय के लिये तेरे निमित्त भी बदला ठहराया हुआ है।

वर्तमान में चयनित:

होशे 6: IRVHin

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in