तू इन लोगों के मन को मोटे और उनके कानों को भारी कर, और उनकी आँखों को बन्द कर; ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से बूझें, और मन फिराएँ और चंगे हो जाएँ।” (मत्ती 13:15, यूह. 12:40, प्रेरि. 28:26,27, रोम. 11:8)
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