“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘व्यभिचार न करना।’ (व्यव. 5:18, निर्ग. 20:14) परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उससे व्यभिचार कर चुका। यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर अपने पास से फेंक दे; क्योंकि तेरे लिये यही भला है कि तेरे अंगों में से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। और यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाए, तो उसको काटकर अपने पास से फेंक दे, क्योंकि तेरे लिये यही भला है, कि तेरे अंगों में से एक नाश हो जाए और तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए। “यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्नी को त्याग दे, तो उसे त्यागपत्र दे।’ (व्यव. 24:1-14) परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से तलाक दे, तो वह उससे व्यभिचार करवाता है; और जो कोई उस त्यागी हुई से विवाह करे, वह व्यभिचार करता है।
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