भजन संहिता 14

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पापियों का एक चित्र
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन
1 मूर्ख#14:1 मूर्ख: धर्मशास्त्र में दुष्ट को प्रायः मूर्ख कहा गया है जैसे पाप मूर्खता का अनिवार्य तत्त्व है। ने अपने मन में कहा है, “कोई परमेश्वर है ही नहीं।”
वे बिगड़ गए, उन्होंने घिनौने काम किए हैं,
कोई सुकर्मी नहीं।
2यहोवा ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है
कि देखे कि कोई बुद्धिमान,
कोई यहोवा का खोजी है या नहीं।
3वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्ट हो गए;
कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं। (रोम. 3:10,11)
4क्या किसी अनर्थकारी को कुछ भी ज्ञान नहीं रहता,
जो मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं जैसे रोटी,
और यहोवा का नाम नहीं लेते?
5वहाँ उन पर भय छा गया,
क्योंकि परमेश्वर धर्मी लोगों के बीच में निरन्तर रहता है।
6तुम तो दीन की युक्ति की हँसी उड़ाते हो
परन्तु यहोवा उसका शरणस्थान है।
7भला हो कि इस्राएल का उद्धार सिय्योन से#14:7 सिय्योन से: उसे यहाँ परमेश्वर का निवास-स्थान माना गया है, जहाँ से वह आज्ञा देता है और जहाँ से वह अपना सामर्थ्य निष्कासित करता है। प्रगट होता!
जब यहोवा अपनी प्रजा को दासत्व से लौटा ले आएगा,
तब याकूब मगन और इस्राएल आनन्दित होगा। (भज. 53:6, लूका 1:69)

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