और चारों प्राणियों के छः छः पंख हैं, और चारों ओर, और भीतर आँखें ही आँखें हैं; और वे रात-दिन बिना विश्राम लिए यह कहते रहते हैं, (यशा. 6:2,3) “पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो था, और जो है, और जो आनेवाला है।”
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