2 राजा 17
17
होशे इस्राएल पर शासन करना आरम्भ करता है
1एला का पुत्र होशे ने शोमरोन में इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। यह यहूदा के राजा आहाज के राज्यकाल के बारहवें वर्ष में हुआ। होशे ने नौ वर्ष तक शासन किया। 2होशे ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। किन्तु होशे इस्राएल का उतना बुरा राजा नहीं था जितने वे राजा थे जिन्होंने उसके पहले शासन किया था।
3अश्शूर का राजा शल्मनेसेर होशे के विरुद्ध युद्ध करने आया। शल्मनेसेर ने होशे को हराया और होशे शल्मनेसेर का सेवक बन गया। होशे शल्मनेसेर को अधीनस्थ कर#17:3 अधीनस्थ कर वह धन जो विदेशी राजा या राष्ट्र को रक्षित रहने के लिये दिया जाता है। देने लगा।
4किन्तु बाद में अश्शूर के राजा को पता चला कि होशे ने उसके विरुद्ध षडयन्त्र रचा है। होशे ने मिस्र के राजा के पास सहायता माँगने के लिये राजदूत भेजे। मिस्र के राजा का नाम “सो” था। उस वर्ष होशे ने अश्शूर के राजा को अधीनस्थ कर उसी प्रकार नहीं भेजा जैसे वह हर वर्ष भेजता था। अतः अश्शूर के राजा ने होशे को बन्दी बनाया और उसे जेल में डाल दिया।
5तब अश्शूर के राजा ने इस्राएल के विभिन्न प्रदेशों पर आक्रमण किया। वह शोमरोन पहुँचा। वह शोमरोन के विरुद्ध तीन वर्ष तक लड़ा। 6अश्शूर के राजा ने, इस्राएल पर होशे के राज्यकाल के नवें वर्ष में, शोमरोन पर अधिकार जमाया। अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बन्दी के रूप में अश्शूर को ले गया। उसने उन्हें हलह, हबोर नदी के तट पर गोजान और मदियों के नगरों में बसाया।
7ये घटनायें घटीं क्योंकि इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किये थे। यहोवा इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। यहोवा ने उन्हें राजा फ़िरौन के चंगुल से बाहर निकाला। किन्तु इस्राएलियों ने अन्य देवताओं को पूजना आरम्भ किया था। 8इस्राएली वही सब करने लगे थे जो दूसरे राष्ट्र करते थे। यहोवा ने उन लोगों को अपना देश छोड़ने को विवश किया था जब इस्राएली आए थे। इस्राएलियों ने भी राजाओं से शासित होना पसन्द किया, परमेश्वर से शासित होना नहीं। 9इस्राएलियों ने गुप्त रूप से अपने यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध काम किया। जिसे उन्हें नहीं करना चाहिये था।
इस्राएलियों ने अपने सबसे छोटे नगर से लेकर सबसे बड़े नगर तक, अपने सभी नगरों में उच्च स्थान बनाये। 10इस्राएलियों ने प्रत्येक ऊँची पहाड़ी पर हरे पेड़ के नीचे स्मृति पत्थर तथा अशेरा स्तम्भ लगाये। 11इस्राएलियों ने पूजा के उन सभी स्थानों पर सुगन्धि जलाई। उन्होंने ये सभी कार्य उन राष्ट्रों की तरह किया जिन्हें यहोवा ने उनके सामने देश छोड़ने को विवश किया था। इस्राएलियों ने वे काम किये जिन्होंने यहोवा को क्रोधित किया। 12उन्होंने देवमूर्तियों की सेवा की, और यहोवा ने इस्राएलियों से कहा था, “तुम्हें यह नहीं करना चाहिये।” 13यहोवा ने हर एक नबी और हर एक दृष्टा का उपयोग इस्राएल और यहूदा को चेतावनी देने के लिये किया। यहोवा ने कहा, “तुम बुरे कामों से दूर हटो! मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो। उन सभी नियमों का पालन करो जिन्हें मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिये हैं। मैंने अपने सेवक नबियों का उपयोग यह नियम तुम्हें देने के लिये किया।”
14लेकिन लोगों ने एक न सुनी। वे अपने पूर्वजों की तरह बड़े हठी रहे। उनके पूर्वज यहोवा, अपने परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते थे। 15लोगों ने, अपने पूर्वजों द्वारा यहोवा के साथ की गई वाचा और यहोवा के नियमों को मानने से इन्कार किया। उन्होंने यहोवा की चेतावनियों को सुनने से इन्कार किया। उन्होंने निकम्मे देवमूर्तियों का अनुसरण किया और स्वयं निकम्में बन गये। उन्होंने अपने चारों ओर के राष्ट्रों का अनुसरण किया। ये राष्ट्र वह करते थे जिसे न करने की चेतावनी इस्राएल के लोगों को यहोवा ने दी थी।
16लोगों ने यहोवा, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करना बन्द कर दिया। उन्होंने बछड़ों की दो सोने की मूर्तियाँ बनाईं। उन्होंने अशेरा स्तम्भ बनाये। उन्होंने आकाश के सभी नक्षत्रों की पूजा की और बाल की सेवा की। 17उन्होंने अपने पुत्र—पुत्रीयों की बलि आग में दी। उन्होंने जादू और प्रेत विद्या का उपयोग भविष्य को जानने के लिये किया। उन्होंने वह करने के लिये अपने को बेचा, जिसे यहोवा ने बताया था कि वह उसे क्रोधित करने वाली बुराई है। 18इसलिये यहोवा इस्राएल पर बहुत क्रोधित हुआ और उन्हें अपनी निगाह से दूर ले गया। यहूदा के परिवार समूह के अतिरिक्त कोई इस्राएली बचा न रहा!
यहूदा के लोग भी अपराधी हैं
19किन्तु यहूदा के लोगों ने भी यहोवा, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया। यहूदा के लोग भी इस्राएल के लोगों की तरह ही रहते थे।
20यहोवा ने इस्राएल के सभी लोगों को अस्वीकार किया। उसने उन पर बहुत विपत्तियाँ ढाईं। उसने लोगों को उन्हें नष्ट करने दिया और अन्त में उसने उन्हें उठा फेंका और अपनी दृष्टि से ओझल कर दिया। 21यहोवा ने दाऊद के परिवार से इस्राएल को अलग कर डाला और इस्राएलियों ने नबात के पुत्र यारोबाम को अपना राजा बनाया। यारोबाम ने इस्राएलियों को यहोवा का अनुसरण करने से दूर कर दिया। यारोबाम ने इस्राएलियों से एक भीषण पाप कराया। 22इस प्रकार इस्राएलियों ने उन सभी पापों का अनुसरण किया जिन्हें यारोबाम ने किया। उन्होंने इन पापों का करना तब तक बन्द नहीं किया 23जब तक यहोवा ने इस्राएलियों को अपनी दृष्टि से दूर नहीं हटाया और यहोवा ने कहा कि यह होगा। लोगों को बताने के लिए कि यह होगा, उसने अपने नबियों को भेजा। इसलिए इस्राएली अपने देश से बाहर अश्शूर पहुँचाये गए और वे आज तक वहीं हैं।
शोमरोनी लोगों का आरम्भ
24अश्शूर का राजा इस्राएलियों को शोमरोन से ले गया। अश्शूर का राजा बाबेल, कूता, अब्वाहमात और सपवैम से लोगों को लाया। उसने उन लोगों को शोमरोन में बसा दिया। उन लोगों ने शोमरोन पर अधिकार किया और उसके चारों ओर के नगरों में रहने लगे। 25जब ये लोग शोमरोन में रहने लगे तो इन्होंने यहोवा का सम्मान नहीं किया। इसलिये यहोवा ने सिंहों को इन पर आक्रमण के लिये भेजा। इन सिंहों ने उनके कुछ लोगों को मार डाला। 26कुछ लोगों ने यह बात अश्शूर के राजा से कही। “वे लोग जिन्हें आप ले गए और शोमरोन के नगरों में बसाया, उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते। इसलिये उस देवता ने उन लोगों पर आक्रमण करने के लिये सिंह भेजे। सिहों ने उन लोगों को मार डाला क्योंकि वे लोग उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते थे।”
27इसलिए अश्शूर के राजा ने यह आदेश दियाः “तुमने कुछ याजकों को शोमरोन से लिया था। मैंने जिन याजकों को बन्दी बनाया था उनमें से एक को शोमरोन को वापस भेज दो। उस याजक को जाने और वहाँ रहने दो। तब वह याजक लोगों को उस देश के देवता के नियम सिखा सकता है।”
28इसलिये अश्शूरियों द्वारा शोमरोन से लाये हुए याजकों में से एक बेतेल में रहने आया। उस याजक ने लोगों को सिखाया कि उन्हें यहोवा का सम्मान कैसे करना चाहिये।
29किन्तु उन सभी राष्ट्रों ने निजी देवता बनाए और उन्हें शोमरोन के लोगों द्वारा बनाए गए उच्च स्थानों पर पूजास्थलों में रखा। उन राष्ट्रों ने यही किया, जहाँ कहीं भी वे बसे। 30बाबेल के लोगों ने असत्य देवता सुक्कोतबनोत को बनाया। कूत के लोगों ने असत्य देवता नेर्गल को बनाया। हमात के लोगों ने असत्य देवता अशीमा को बनाया। 31अव्वी लोगों ने असत्य देवत निभज और तर्त्ताक बनाए और सपवमी लोगों ने झूठे देवताओं अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक के सम्मान के लिये अपने बच्चों को आग में जलाया।
32किन्तु उन लोगों ने यहोवा की भी उपासना की। उन्होंने अपने लोगों में से उच्च स्थानों के लिये याजक चुने। ये याजक उन पूजा के स्थानों पर लोगों के लिये बलि चढ़ाते थे। 33वे यहोवा का सम्मान करते थे, किन्तु वे अपने देवताओं की भी सेवा करते थे। वे लोग अपने देवता की वैसी ही सेवा करते थे जैसी वे उन देशों में करते थे जहाँ से वे लाए गए थे।
34आज भी वे लोग वैसे ही रहते हैं जैसे वे भूतकाल में रहते थे। वे यहोवा का सम्मान नहीं करते थे। वे इस्राएलियों के आदेशों और नियमों का पालन नहीं करते थे। वे उन नियमों या आदेशों का पालन नहीं करते थे जिन्हें यहोवा ने याकूब (इस्राएल) की सन्तानों को दिया था। 35यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ एक वाचा की थी। यहोवा ने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। तुम्हें उनकी पूजा या सेवा नहीं करनी चाहिये या उन्हें बलि भेंट नहीं करनी चाहिये। 36किन्तु तुम्हें यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यहोवा वही परमेश्वर है जो तुम्हें मिस्र से बाहर ले आया। यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग तुम्हें बचाने के लिये किया। तुम्हें यहोवा की ही उपासना करनी चाहिये और उसी को बलि भेंट करनी चाहिये। 37तुम्हें उसके उन नियमों, विधियों, उपदेशों और आदेशों का पालन करना चाहिये जिन्हें उसने तुम्हारे लिये लिखा। तुम्हें इनका पालन सदैव करना चाहिये। तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। 38तुम्हें उस वाचा को नहीं भूलना चाहिये, जो मैंने तुम्हारे साथ किया। तुम्हें अन्य देवताओं का आदर नहीं करना चाहिये। 39नहीं! तुम्हें केवल यहोवा, अपने परमेश्वर का ही सम्मान करना चाहिये। तब वह तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से बचाएगा।”
40किन्तु इस्राएलियों ने इसे नहीं सुना। वे वही करते रहे जो पहले करते चले आ रहे थे। 41इसलिये अब तो वे अन्य राष्ट्र यहोवा का सम्मान करते हैं, किन्तु वे अपनी देवमूर्तियों की भी सेवा करते हैं। उनके पुत्र—पौत्र वही करते हैं, जो उनके पूर्वज करते थे। वे आज तक वही काम करते हैं।
वर्तमान में चयनित:
2 राजा 17: HERV
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi Holy Bible: Easy-to-Read Version
All rights reserved.
© 1995 Bible League International
2 राजा 17
17
होशे इस्राएल पर शासन करना आरम्भ करता है
1एला का पुत्र होशे ने शोमरोन में इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। यह यहूदा के राजा आहाज के राज्यकाल के बारहवें वर्ष में हुआ। होशे ने नौ वर्ष तक शासन किया। 2होशे ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। किन्तु होशे इस्राएल का उतना बुरा राजा नहीं था जितने वे राजा थे जिन्होंने उसके पहले शासन किया था।
3अश्शूर का राजा शल्मनेसेर होशे के विरुद्ध युद्ध करने आया। शल्मनेसेर ने होशे को हराया और होशे शल्मनेसेर का सेवक बन गया। होशे शल्मनेसेर को अधीनस्थ कर#17:3 अधीनस्थ कर वह धन जो विदेशी राजा या राष्ट्र को रक्षित रहने के लिये दिया जाता है। देने लगा।
4किन्तु बाद में अश्शूर के राजा को पता चला कि होशे ने उसके विरुद्ध षडयन्त्र रचा है। होशे ने मिस्र के राजा के पास सहायता माँगने के लिये राजदूत भेजे। मिस्र के राजा का नाम “सो” था। उस वर्ष होशे ने अश्शूर के राजा को अधीनस्थ कर उसी प्रकार नहीं भेजा जैसे वह हर वर्ष भेजता था। अतः अश्शूर के राजा ने होशे को बन्दी बनाया और उसे जेल में डाल दिया।
5तब अश्शूर के राजा ने इस्राएल के विभिन्न प्रदेशों पर आक्रमण किया। वह शोमरोन पहुँचा। वह शोमरोन के विरुद्ध तीन वर्ष तक लड़ा। 6अश्शूर के राजा ने, इस्राएल पर होशे के राज्यकाल के नवें वर्ष में, शोमरोन पर अधिकार जमाया। अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बन्दी के रूप में अश्शूर को ले गया। उसने उन्हें हलह, हबोर नदी के तट पर गोजान और मदियों के नगरों में बसाया।
7ये घटनायें घटीं क्योंकि इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किये थे। यहोवा इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। यहोवा ने उन्हें राजा फ़िरौन के चंगुल से बाहर निकाला। किन्तु इस्राएलियों ने अन्य देवताओं को पूजना आरम्भ किया था। 8इस्राएली वही सब करने लगे थे जो दूसरे राष्ट्र करते थे। यहोवा ने उन लोगों को अपना देश छोड़ने को विवश किया था जब इस्राएली आए थे। इस्राएलियों ने भी राजाओं से शासित होना पसन्द किया, परमेश्वर से शासित होना नहीं। 9इस्राएलियों ने गुप्त रूप से अपने यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध काम किया। जिसे उन्हें नहीं करना चाहिये था।
इस्राएलियों ने अपने सबसे छोटे नगर से लेकर सबसे बड़े नगर तक, अपने सभी नगरों में उच्च स्थान बनाये। 10इस्राएलियों ने प्रत्येक ऊँची पहाड़ी पर हरे पेड़ के नीचे स्मृति पत्थर तथा अशेरा स्तम्भ लगाये। 11इस्राएलियों ने पूजा के उन सभी स्थानों पर सुगन्धि जलाई। उन्होंने ये सभी कार्य उन राष्ट्रों की तरह किया जिन्हें यहोवा ने उनके सामने देश छोड़ने को विवश किया था। इस्राएलियों ने वे काम किये जिन्होंने यहोवा को क्रोधित किया। 12उन्होंने देवमूर्तियों की सेवा की, और यहोवा ने इस्राएलियों से कहा था, “तुम्हें यह नहीं करना चाहिये।” 13यहोवा ने हर एक नबी और हर एक दृष्टा का उपयोग इस्राएल और यहूदा को चेतावनी देने के लिये किया। यहोवा ने कहा, “तुम बुरे कामों से दूर हटो! मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो। उन सभी नियमों का पालन करो जिन्हें मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिये हैं। मैंने अपने सेवक नबियों का उपयोग यह नियम तुम्हें देने के लिये किया।”
14लेकिन लोगों ने एक न सुनी। वे अपने पूर्वजों की तरह बड़े हठी रहे। उनके पूर्वज यहोवा, अपने परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते थे। 15लोगों ने, अपने पूर्वजों द्वारा यहोवा के साथ की गई वाचा और यहोवा के नियमों को मानने से इन्कार किया। उन्होंने यहोवा की चेतावनियों को सुनने से इन्कार किया। उन्होंने निकम्मे देवमूर्तियों का अनुसरण किया और स्वयं निकम्में बन गये। उन्होंने अपने चारों ओर के राष्ट्रों का अनुसरण किया। ये राष्ट्र वह करते थे जिसे न करने की चेतावनी इस्राएल के लोगों को यहोवा ने दी थी।
16लोगों ने यहोवा, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करना बन्द कर दिया। उन्होंने बछड़ों की दो सोने की मूर्तियाँ बनाईं। उन्होंने अशेरा स्तम्भ बनाये। उन्होंने आकाश के सभी नक्षत्रों की पूजा की और बाल की सेवा की। 17उन्होंने अपने पुत्र—पुत्रीयों की बलि आग में दी। उन्होंने जादू और प्रेत विद्या का उपयोग भविष्य को जानने के लिये किया। उन्होंने वह करने के लिये अपने को बेचा, जिसे यहोवा ने बताया था कि वह उसे क्रोधित करने वाली बुराई है। 18इसलिये यहोवा इस्राएल पर बहुत क्रोधित हुआ और उन्हें अपनी निगाह से दूर ले गया। यहूदा के परिवार समूह के अतिरिक्त कोई इस्राएली बचा न रहा!
यहूदा के लोग भी अपराधी हैं
19किन्तु यहूदा के लोगों ने भी यहोवा, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया। यहूदा के लोग भी इस्राएल के लोगों की तरह ही रहते थे।
20यहोवा ने इस्राएल के सभी लोगों को अस्वीकार किया। उसने उन पर बहुत विपत्तियाँ ढाईं। उसने लोगों को उन्हें नष्ट करने दिया और अन्त में उसने उन्हें उठा फेंका और अपनी दृष्टि से ओझल कर दिया। 21यहोवा ने दाऊद के परिवार से इस्राएल को अलग कर डाला और इस्राएलियों ने नबात के पुत्र यारोबाम को अपना राजा बनाया। यारोबाम ने इस्राएलियों को यहोवा का अनुसरण करने से दूर कर दिया। यारोबाम ने इस्राएलियों से एक भीषण पाप कराया। 22इस प्रकार इस्राएलियों ने उन सभी पापों का अनुसरण किया जिन्हें यारोबाम ने किया। उन्होंने इन पापों का करना तब तक बन्द नहीं किया 23जब तक यहोवा ने इस्राएलियों को अपनी दृष्टि से दूर नहीं हटाया और यहोवा ने कहा कि यह होगा। लोगों को बताने के लिए कि यह होगा, उसने अपने नबियों को भेजा। इसलिए इस्राएली अपने देश से बाहर अश्शूर पहुँचाये गए और वे आज तक वहीं हैं।
शोमरोनी लोगों का आरम्भ
24अश्शूर का राजा इस्राएलियों को शोमरोन से ले गया। अश्शूर का राजा बाबेल, कूता, अब्वाहमात और सपवैम से लोगों को लाया। उसने उन लोगों को शोमरोन में बसा दिया। उन लोगों ने शोमरोन पर अधिकार किया और उसके चारों ओर के नगरों में रहने लगे। 25जब ये लोग शोमरोन में रहने लगे तो इन्होंने यहोवा का सम्मान नहीं किया। इसलिये यहोवा ने सिंहों को इन पर आक्रमण के लिये भेजा। इन सिंहों ने उनके कुछ लोगों को मार डाला। 26कुछ लोगों ने यह बात अश्शूर के राजा से कही। “वे लोग जिन्हें आप ले गए और शोमरोन के नगरों में बसाया, उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते। इसलिये उस देवता ने उन लोगों पर आक्रमण करने के लिये सिंह भेजे। सिहों ने उन लोगों को मार डाला क्योंकि वे लोग उस देश के देवता के नियमों को नहीं जानते थे।”
27इसलिए अश्शूर के राजा ने यह आदेश दियाः “तुमने कुछ याजकों को शोमरोन से लिया था। मैंने जिन याजकों को बन्दी बनाया था उनमें से एक को शोमरोन को वापस भेज दो। उस याजक को जाने और वहाँ रहने दो। तब वह याजक लोगों को उस देश के देवता के नियम सिखा सकता है।”
28इसलिये अश्शूरियों द्वारा शोमरोन से लाये हुए याजकों में से एक बेतेल में रहने आया। उस याजक ने लोगों को सिखाया कि उन्हें यहोवा का सम्मान कैसे करना चाहिये।
29किन्तु उन सभी राष्ट्रों ने निजी देवता बनाए और उन्हें शोमरोन के लोगों द्वारा बनाए गए उच्च स्थानों पर पूजास्थलों में रखा। उन राष्ट्रों ने यही किया, जहाँ कहीं भी वे बसे। 30बाबेल के लोगों ने असत्य देवता सुक्कोतबनोत को बनाया। कूत के लोगों ने असत्य देवता नेर्गल को बनाया। हमात के लोगों ने असत्य देवता अशीमा को बनाया। 31अव्वी लोगों ने असत्य देवत निभज और तर्त्ताक बनाए और सपवमी लोगों ने झूठे देवताओं अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक के सम्मान के लिये अपने बच्चों को आग में जलाया।
32किन्तु उन लोगों ने यहोवा की भी उपासना की। उन्होंने अपने लोगों में से उच्च स्थानों के लिये याजक चुने। ये याजक उन पूजा के स्थानों पर लोगों के लिये बलि चढ़ाते थे। 33वे यहोवा का सम्मान करते थे, किन्तु वे अपने देवताओं की भी सेवा करते थे। वे लोग अपने देवता की वैसी ही सेवा करते थे जैसी वे उन देशों में करते थे जहाँ से वे लाए गए थे।
34आज भी वे लोग वैसे ही रहते हैं जैसे वे भूतकाल में रहते थे। वे यहोवा का सम्मान नहीं करते थे। वे इस्राएलियों के आदेशों और नियमों का पालन नहीं करते थे। वे उन नियमों या आदेशों का पालन नहीं करते थे जिन्हें यहोवा ने याकूब (इस्राएल) की सन्तानों को दिया था। 35यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ एक वाचा की थी। यहोवा ने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। तुम्हें उनकी पूजा या सेवा नहीं करनी चाहिये या उन्हें बलि भेंट नहीं करनी चाहिये। 36किन्तु तुम्हें यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यहोवा वही परमेश्वर है जो तुम्हें मिस्र से बाहर ले आया। यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग तुम्हें बचाने के लिये किया। तुम्हें यहोवा की ही उपासना करनी चाहिये और उसी को बलि भेंट करनी चाहिये। 37तुम्हें उसके उन नियमों, विधियों, उपदेशों और आदेशों का पालन करना चाहिये जिन्हें उसने तुम्हारे लिये लिखा। तुम्हें इनका पालन सदैव करना चाहिये। तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। 38तुम्हें उस वाचा को नहीं भूलना चाहिये, जो मैंने तुम्हारे साथ किया। तुम्हें अन्य देवताओं का आदर नहीं करना चाहिये। 39नहीं! तुम्हें केवल यहोवा, अपने परमेश्वर का ही सम्मान करना चाहिये। तब वह तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से बचाएगा।”
40किन्तु इस्राएलियों ने इसे नहीं सुना। वे वही करते रहे जो पहले करते चले आ रहे थे। 41इसलिये अब तो वे अन्य राष्ट्र यहोवा का सम्मान करते हैं, किन्तु वे अपनी देवमूर्तियों की भी सेवा करते हैं। उनके पुत्र—पौत्र वही करते हैं, जो उनके पूर्वज करते थे। वे आज तक वही काम करते हैं।
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi Holy Bible: Easy-to-Read Version
All rights reserved.
© 1995 Bible League International