कुलुस्सियों 1:15-29

कुलुस्सियों 1:15-29 HERV

वह अदृश्य परमेश्वर का दृश्य रूप है। वह सारी सृष्टि का सिरमौर है। क्योंकि जो कुछ स्वर्ग में है और धरती पर है, उसी की शक्ति से उत्पन्न हुआ है। कुछ भी चाहे दृश्यमान हो और चाहे अदृश्य, चाहे सिंहासन हो चाहे राज्य, चाहे कोई शासक हो और चाहे अधिकारी, सब कुछ उसी के द्वारा रचा गया है और उसी के लिए रचा गया है। सबसे पहले उसी का अस्तित्व था, उसी की शक्ति से सब वस्तुएँ बनी रहती हैं। इस देह, अर्थात् कलीसिया का सिर वही है। वही आदि है और मरे हुओं को फिर से जी उठाने का सर्वोच्च अधिकारी भी वही है ताकि हर बात में पहला स्थान उसी को मिले। क्योंकि अपनी समग्रता के साथ परमेश्वर ने उसी में वास करना चाहा। उसी के द्वारा समूचे ब्रह्माण्ड को परमेश्वर ने अपने से पुनः संयुक्त करना चाहा उन सभी को जो धरती के हैं और स्वर्ग के हैं। उसी लहू के द्वारा परमेश्वर ने मिलाप कराया जिसे मसीह ने क्रूस पर बहाया था। एक समय था जब तुम अपने विचारों और बुरे कामों के कारण परमेश्वर के लिये अनजाने और उसके विरोधी थे। किन्तु अब जब मसीह अपनी भौतिक देह में था, तब मसीह की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर ने तुम्हें स्वयं अपने आप से ले लिया, ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र, निश्कलंक और निर्दोष बना कर प्रस्तुत किया जाये। यह तभी हो सकता है जब तुम अपने विश्वास में स्थिरता के साथ अटल बने रहो और सुसमाचार के द्वारा दी गयी उस आशा का परित्याग न करो, जिसे तुमने सुना है। इस आकाश के नीचे हर किसी प्राणी को उसका उपदेश दिया गया है, और मैं पौलुस उसी का सेवक बना हूँ। अब देखो, मैं तुम्हारे लिये जो कष्ट उठाता हूँ, उनमें आनन्द का अनुभव करता हूँ और मसीह की देह, अर्थात् कलीसिया के लिये मसीह की यातनाओं में जो कुछ कमी रह गयी थी, उसे अपने शरीर में पूरा करता हूँ। परमेश्वर ने तुम्हारे लाभ के लिये मुझे जो आदेश दिया था, उसी के अनुसार मैं उसका एक सेवक ठहराया गया हूँ। ताकि मैं परमेश्वर के समाचार का पूरी तरह प्रचार करूँ। यह संदेश रहस्यपूर्ण सत्य है। जो आदिकाल से सभी की आँखों से ओझल था। किन्तु अब इसे परमेश्वर के द्वारा संत जनों पर प्रकट कर दिया गया है। परमेश्वर अपने संत जनों को यह प्रकट कर देना चाहता था कि वह रहस्यपूर्ण सत्य कितना वैभवपूर्ण है। उसके पास यह रहस्यपूर्ण सत्य सभी के लिये है। और वह रहस्यपूर्ण सत्य यह है कि मसीह तुम्हारे भीतर ही रहता है और परमेश्वर की महिमा प्राप्त करने के लिये वही हमारी एक मात्र आशा है। हमें जो ज्ञान प्राप्त है उस समूचे का उपयोग करते हुए हम हर किसी को निर्देश और शिक्षा प्रदान करते हैं ताकि हम उसे मसीह में एक परिपूर्ण व्यक्ति बनाकर परमेश्वर के आगे उपस्थित कर सकें। व्यक्ति को उसी की सीख देते हैं तथा अपनी समस्त बुद्धि से हर व्यक्ति को उसी की शिक्षा देते हैं ताकि हर व्यक्ति को मसीह में परिपूर्ण बना कर परमेश्वर के आगे उपस्थित कर सकें। मैं इसी प्रयोजन से मसीह का उस शक्ति से जो मुझमें शक्तिपूर्वक कार्यरत है, संघर्ष करते हुए कठोर परिश्रम कर रहा हूँ।