दस दिनों के बाद दानिय्येल और उसके मित्र उन सभी नौजवानों से अधिक हट्टे—कट्टे दिखाई देने लगे जो राजा का खाना खा रहे थे। सो उस रखवाले ने उन्हें राजा का वह विशेष भोजन और दाखमधु देना बन्द कर दिया और वह दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को उस खाने के स्थान पर साग सब्जियाँ देने लगा। परमेश्वर ने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह को बुद्धि प्रदान की और उन्हें अलग—अलग तरह की लिपियों और विज्ञानों को सीखने की योग्यता दी। दानिय्येल तो हर प्रकार के दिव्य दर्शनों और स्वपनों को भी समझ सकता था। राजा चाहता था कि उन सभी युवकों को तीन वर्ष तक प्रशिक्षण दिया जाये। प्रशिक्षण का समय पूरा होने पर अशपनज उन सभी युवकों को राजा नबूकदनेस्सर के पास ले गया राजा ने उनसे बातें की। राजा ने पाया कि उनमें से कोई भी युवक उतना अच्छा ही था जितने दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याक थे। सो वे चारों युवक राजा के सेवक बना दिये गये। राजा हर बार उनसे किसी महत्वपूर्ण बात के बारे में पूछता और वे अपने प्रचुर ज्ञान और समझ बूझ का परिचय देते। राजा ने देखा कि वे चारों उसके राज्य के सभी जादूगरों और बुद्धिमान लोगों से दस गुणा अधिक उत्तम हैं। सो राजा कुस्रू के शासन काल के पहले वर्ष तक दानिय्येल राजा की सेवकाई करता रहा।
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