वहाँ ऐसा नहीं होगा कि कोई अपना घर बनाये और कोई दूसरा उसमें निवास करे। ऐसा भी नहीं होगा कि बाग कोई दूसरा लगाये और उस बाग का फल कोई और खाये। मेरे लोग इतना जियेंगे जितना ये वृक्ष जीते हैं। ऐसे व्यक्ति जिन्हें मैंने चुना है, उन सभी वस्तुओं का आनन्द लेंगे जिन्हें उन्होंने बनाया है।
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