अय्यूब 13:1-16

अय्यूब 13:1-16 HERV

अय्यूब ने कहा: “मेरी आँखों ने यह सब पहले देखा है और पहले ही मैं सुन चुका हूँ जो कुछ तुम कहा करते हो। इस सब की समझ बूझ मुझे है। मैं भी उतना ही जानता हूँ जितना तू जानता है, मैं तुझ से कम नहीं हूँ। किन्तु मुझे इच्छा नहीं है कि मैं तुझ से तर्क करूँ, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर से बोलना चाहता हूँ। अपने संकट के बारे में, मैं परमेश्वर से तर्क करना चाहता हूँ। किन्तु तुम तीनो लोग अपने अज्ञान को मिथ्या विचारों से ढकना चाहते हो। तुम वो बेकार के चिकित्सक हो जो किसी को अच्छा नहीं कर सकता। मेरी यह कामना है कि तुम पूरी तरह चुप हो जाओ, यह तुम्हारे लिये बुद्धिमत्ता की बात होगी जिसको तुम कर सकते हो! “अब, मेरी युक्ति सुनो! सुनो जब मैं अपनी सफाई दूँ। क्या तुम परमेश्वर के हेतु झूठ बोलोगे? क्या यह तुमको सचमुच विश्वास है कि ये तुम्हारे झूठ परमेश्वर तुमसे बुलवाना चाहता है क्या तुम मेरे विरुद्ध परमेश्वर का पक्ष लोगे? क्या तुम न्यायालय में परमेश्वर को बचाने जा रहे हो? यदि परमेश्वर ने तुमको अति निकटता से जाँच लिया तो क्या वह कुछ भी अच्छी बातपायेगा? क्या तुम सोचते हो कि तुम परमेश्वर को छल पाओगे, ठीक उसी तरह जैसे तुम लोगों को छलते हो? यदि तुम न्यायालय में छिपे छिपे किसी का पक्ष लोगे तो परमेश्वर निश्चय ही तुमको लताड़ेगा। उसका भव्य तेज तुमको डरायेगा और तुम भयभीत हो जाओगे। तुम सोचते हो कि तुम चतुराई भरी और बुद्धिमत्तापूर्ण बातें करते हो, किन्तु तुम्हारे कथन राख जैसे व्यर्थ हैं। तुम्हारी युक्तियाँ माटी सी दुर्बल हैं। “चुप रहो और मुझको कह लेने दो। फिर जो भी होना है मेरे साथ हो जाने दो। मैं स्वयं को संकट में डाल रहा हूँ और मैं स्वयं अपना जीवन अपने हाथों में ले रहा हूँ। चाहे परमेश्वर मुझे मार दे। मुझे कुछ आशा नहीं है, तो भी मैं अपना मुकदमा उसके सामने लड़ूँगा। किन्तु सम्भव है कि परमेश्वर मुझे बचा ले, क्योंकि मैं उसके सामने निडर हूँ। कोई भी बुरा व्यक्ति परमेश्वर से आमने सामने मिलने का साहस नहीं कर सकता।

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