उसे ध्यान से सुन जिसे मैं कहता हूँ, उस पर कान दे जिसकी व्याख्या मैं करता हूँ। अब मैं अपना बचाव करने को तैयार हूँ। यह मुझे पता है कि मुझको निर्दोष सिद्ध किया जायेगा। कोई भी व्यक्ति यह प्रमाणित नहीं कर सकता कि मैं गलत हूँ। यदि कोई व्यक्ति यह सिद्ध कर दे तो मैं चुप हो जाऊँगा और प्राण दे दूँगा। “हे परमेश्वर, तू मुझे दो बाते दे दे, फिर मैं तुझ से नहीं छिपूँगा। मुझे दण्ड देना और डराना छोड़ दे, अपने आतंको से मुझे छोड़ दे। फिर तू मुझे पुकार और मैं तुझे उत्तर दूँगा, अथवा मुझको बोलने दे और तू मुझको उत्तर दे। कितने पाप मैंने किये हैं? कौन सा अपराध मुझसे बन पड़ा? मुझे मेरे पाप और अपराध दिखा। हे परमेश्वर, तू मुझसे क्यों बचता है? और मेरे साथ शत्रु जैसा व्यवहार क्यों करता है? क्या तू मुझको डरायेगा? मैं (अय्यूब) एक पत्ता हूँ जिसके पवन उड़ाती है। एक सूखे तिनके पर तू प्रहार कर रहा है। हे परमेश्वर, तू मेरे विरोध में कड़वी बात बोलता है। तू मुझे ऐसे पापों के लिये दु:ख देता है जो मैंने लड़कपन में किये थे। मेरे पैरों में तूने काठ डाल दिया है, तू मेरे हर कदम पर आँख गड़ाये रखता है। मेरे कदमों की तूने सीमायें बाँध दी हैं। मैं सड़ी वस्तु सा क्षीण होता जाता हूँ कीड़ें से खाये हुये कपड़े के टुकड़े जैसा।”
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