मूसा यहोवा का सेवक था। नून का पुत्र यहोशू मूसा का सहायक था। मूसा के मरने के बाद, यहोवा ने यहोशू से बातें कीं। यहोवा ने यहोशू से कहा, “मेरा सेवक मूसा मर गया। अब ये लोग और तुम यरदन नदी के पार जाओ। तुम्हें उस देश में जाना चाहिए जिसे मैं इस्राएल के लोगों को अर्थात् तुम्हें दे रहा हूँ। मैंने मूसा को यह वचन दिया था कि यह देश मैं तुम्हें दूँगा। इसलिए मैं तुम्हें वह हर एक प्रदेश दूँगा, जिस किसी स्थान पर भी तुम जाओगे। हित्तियों का पूरा देश, मरुभूमि और लबानोन से लेकर बड़ी नदी तक (परात नदी तक) तुम्हारा होगा और यहाँ से पश्चिम में भूमध्यसागर तक (सूर्य के डूबने के स्थान तक) का प्रदेश तुम्हारी सीमा के भीतर होगा। मैं मूसा के साथ था और मैं उसी तरह तुम्हारे साथ रहूँगा। तुम्हारे पूरे जीवन में, तुम्हें कोई भी व्यक्ति रोकने में समर्थ नहीं होगा। मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं। मैं कभी तुमसे दूर नहीं होऊँगा। “यहोशू, तुम्हें दृढ़ और साहसी होना चाहिये! तुम्हें इन लोगों का अगुवा होना चाहिये जिससे वे अपना देश ले सकें। यह वही देश है जिसे मैंने उन्हें देने के लिये उनके पूर्वजों को वचन दिया था। किन्तु तुम्हें एक दूसरी बात के विषय में भी दृढ़ और साहसी रहना होगा। तुम्हें उन आदेशों का पालन निश्चय के साथ करना चाहिए, जिन्हें मेरे सेवक मूसा ने तुम्हें दिया। यदि तुम उसकी शिक्षाओं का ठीक—ठीक पालन करोगे, तो तुम जो कुछ करोगे उसमें सफल होगे। उस व्यवस्था की किताब में लिखी गई बातों को सदा यादा रखो। तुम उस किताब का अध्ययन दिन रात करो, तभी तुम उसमें लिखे गए आदेशों के पालन के विषय में विश्वस्त रह सकते हो। यदि तुम यह करोगे, तो तुम बुद्धिमान बनोगे और जो कुछ करोगे उसमें सफल होगे। याद रखो, कि मैंने तुम्हें दृढ़ और साहसी बने रहने का आदेश दिया था। इसलिए कभी भयभीत न होओ, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ सभी जगह रहेगा, जहाँ तुम जाओगे।”
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