मलाकी 2
2
याजकों के लिये नियम
1“याजकों, यह नियम तुम्हारे लिये हैं! मेरी सूनो! जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दो। मेरे नाम का सम्मान करो! 2यदि तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते तो तुम्हारे साथ बुरा घटित होगा। तुम आशीर्वाद दोगे, किन्तु वे अभिशाप बनेंगे। मैं बुरा घटित कराऊँगा क्योंकि तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा!
3“देखो, मैं तुम्हारे वंशजों को दण्ड दूँगा। याजकों, तुम पवित्र दिनों को मुझे बलि—भेंट करते हो। तुम गोबर और मरे जानवरों की अंतड़ियों को लेते हो और उन भागों को फेंक देते हो। किन्तु मैं उस गोबर को तुम्हारे चेहरों पर मलूंगा और तुम इसके साथ फेंक दिये जाओगे! 4तब तुम समझोगे कि मैं तुम्हें यह आदेश क्यों दे रहा हूँ मैं तुमको ये बातें इसलिये बता रहा हूँ कि लेवी के साथ मेरी वाचा चलती रहेगी।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।
5यहोवा ने कहा, “मैंने यह वाचा लेवी के साथ की। मैंने उसे शान्तिपूर्ण जीवन देने की प्रतिज्ञा की और मैंने उसे वह दिया। लेवी ने मुझे सम्मान दिया। उसने मेरे नाम को सम्मान दिया। 6लेवी ने सच्ची शिक्षा दी। लेवी ने झूठे उपदेश नहीं दिये! लेवी ईमानदार और शान्तिप्रिय व्यक्ति था। लेवी ने मेरा अनुसरण किया और अनेक व्यक्तियों को पाप कर्मों से बचाया। 7याजक को परमेश्वर के उपदेशों को जानना चाहिए। लोगों को याजक के पास जाने योग्य होना चाहिये और परमेश्वर की शिक्षा को सीखना चाहिये। याजक के लोगों के लिये परमेश्वर का दूत होना चाहिये।”
8यहोवा ने कहा, “याजकों, तुमने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया! तुमने शिक्षाओं का उपयोग लोगों से बुरा काम कराने के लिये किया। तुमने लेवी के साथ किये गये वाचा को भ्रष्ट किया!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा! 9“तुम उस तरह नहीं रहे जैसा रहने को मैंने कहा! तुमने हमारी शिक्षाओं को स्वीकार नहीं किया हैं! अत: मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा, लोग तुम्हारा सम्मान नहीं करेंगे!”
यहूदा परमेश्वर के प्रति सच्चा नहीं रहा
10हम सब का एक ही पिता (परमेश्वर) है। उसी परमेश्वर ने हम सभी को बनाया! अत: लोग अपने भाईयों को क्यों ठगते हैं वे लोग प्रकट करते हैं कि वे उस वाचा का सम्मान नहीं करते। वे उस वाचा का सम्मान नहीं करते जिसे हमारे पूर्वजों ने परमेश्वर के साथ किया। 11यहूदा के लोगों ने अन्य लोगों को ठगा। यरूशलेम और इस्राएल के लोगों ने भयंकर काम किये! यहूदा के निवासियों ने यहोवा के पवित्र मंदिर का सम्मान नहीं किया। परमेश्वर उस स्थान से प्रेम करता है। यहूदा के लोगों ने उन विदेशी स्त्रियों से विवाह किए जो झूठे देवों की पूजा किया करती थी! 12यहोवा उन लोगों को यहूदा के परिवार से दूर कर देगा। वे लोग यहोवा के पास भेंट ला सकते हैं, किन्तु उससे कोई सहायता नहीं मिलेगी। 13तुम रो सकते हो और यहोवा की वेदी को आंसुओं से ढक सकते हो, किन्तु यहोवा तुम्हारी भेंट स्वीकार नहीं करेगा। यहोवा उन चीज़ों से प्रसन्न नहीं होगा, जिन्हें तुम उसके पास लाओगे।
14तुम पूछते हो, “हमारी भेंट यहोवा द्वारा स्वीकार क्यों नहीं की जातीं” क्यों क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे किये बुरे कामों को देखा, वब तुम्हारे विरुद्ध साक्षी है। उसने देखा कि तुम अपनी पत्नी को ठगते हो। तुम उस स्त्री के साथ तबसे विवाहित हो जबसे तुम जवान हुए थे। वह तुम्हारी प्रेयसी थी। तब तुमने परस्पर प्रतिज्ञा की और वह तुम्हारी पत्नी हो गई। किन्तु तुमने उसे ठगा। 15परमेश्वर चाहता है कि पति और पत्नी एक शरीर और एक आत्मा हो जायें। क्यों जिससे उनके बच्चे पवित्र हों। अत: उस आध्यात्मिक एकता की रक्षा करो। अपनी पत्नी को न ठगो। वह तुम्हारी पत्नी तब से है जब से तुम युवक हुए।
16इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं विवाह—विच्छेद से घृणा करता हूँ। मैं पुरूषों के क्रूर कामों से घृणा करता हूँ। अत: अपनी आत्मिक एकता की सुरक्षा करो। अपनी पत्नी को धोखा मत दो।”
न्याय का विशेष समय
17तुमने गलत शिक्षा दी है। और उन गलत शिक्षाओं ने यहोवा को बहुत अधिक दु:खी किया है। तुमने यह शिक्षा दी कि परमेश्वर उन्हें पसन्द करता है जो बुरे काम करते हैं। तुमने कहा कि परमेश्वर उन्हें अच्छे लोग समझता है और तुमने यह शिक्षा दी कि परमेश्वर लोगों को बुरा काम करने के लिये दण्ड नहीं देता।
वर्तमान में चयनित:
मलाकी 2: HERV
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi Holy Bible: Easy-to-Read Version
All rights reserved.
© 1995 Bible League International
मलाकी 2
2
याजकों के लिये नियम
1“याजकों, यह नियम तुम्हारे लिये हैं! मेरी सूनो! जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दो। मेरे नाम का सम्मान करो! 2यदि तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते तो तुम्हारे साथ बुरा घटित होगा। तुम आशीर्वाद दोगे, किन्तु वे अभिशाप बनेंगे। मैं बुरा घटित कराऊँगा क्योंकि तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा!
3“देखो, मैं तुम्हारे वंशजों को दण्ड दूँगा। याजकों, तुम पवित्र दिनों को मुझे बलि—भेंट करते हो। तुम गोबर और मरे जानवरों की अंतड़ियों को लेते हो और उन भागों को फेंक देते हो। किन्तु मैं उस गोबर को तुम्हारे चेहरों पर मलूंगा और तुम इसके साथ फेंक दिये जाओगे! 4तब तुम समझोगे कि मैं तुम्हें यह आदेश क्यों दे रहा हूँ मैं तुमको ये बातें इसलिये बता रहा हूँ कि लेवी के साथ मेरी वाचा चलती रहेगी।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।
5यहोवा ने कहा, “मैंने यह वाचा लेवी के साथ की। मैंने उसे शान्तिपूर्ण जीवन देने की प्रतिज्ञा की और मैंने उसे वह दिया। लेवी ने मुझे सम्मान दिया। उसने मेरे नाम को सम्मान दिया। 6लेवी ने सच्ची शिक्षा दी। लेवी ने झूठे उपदेश नहीं दिये! लेवी ईमानदार और शान्तिप्रिय व्यक्ति था। लेवी ने मेरा अनुसरण किया और अनेक व्यक्तियों को पाप कर्मों से बचाया। 7याजक को परमेश्वर के उपदेशों को जानना चाहिए। लोगों को याजक के पास जाने योग्य होना चाहिये और परमेश्वर की शिक्षा को सीखना चाहिये। याजक के लोगों के लिये परमेश्वर का दूत होना चाहिये।”
8यहोवा ने कहा, “याजकों, तुमने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया! तुमने शिक्षाओं का उपयोग लोगों से बुरा काम कराने के लिये किया। तुमने लेवी के साथ किये गये वाचा को भ्रष्ट किया!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा! 9“तुम उस तरह नहीं रहे जैसा रहने को मैंने कहा! तुमने हमारी शिक्षाओं को स्वीकार नहीं किया हैं! अत: मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा, लोग तुम्हारा सम्मान नहीं करेंगे!”
यहूदा परमेश्वर के प्रति सच्चा नहीं रहा
10हम सब का एक ही पिता (परमेश्वर) है। उसी परमेश्वर ने हम सभी को बनाया! अत: लोग अपने भाईयों को क्यों ठगते हैं वे लोग प्रकट करते हैं कि वे उस वाचा का सम्मान नहीं करते। वे उस वाचा का सम्मान नहीं करते जिसे हमारे पूर्वजों ने परमेश्वर के साथ किया। 11यहूदा के लोगों ने अन्य लोगों को ठगा। यरूशलेम और इस्राएल के लोगों ने भयंकर काम किये! यहूदा के निवासियों ने यहोवा के पवित्र मंदिर का सम्मान नहीं किया। परमेश्वर उस स्थान से प्रेम करता है। यहूदा के लोगों ने उन विदेशी स्त्रियों से विवाह किए जो झूठे देवों की पूजा किया करती थी! 12यहोवा उन लोगों को यहूदा के परिवार से दूर कर देगा। वे लोग यहोवा के पास भेंट ला सकते हैं, किन्तु उससे कोई सहायता नहीं मिलेगी। 13तुम रो सकते हो और यहोवा की वेदी को आंसुओं से ढक सकते हो, किन्तु यहोवा तुम्हारी भेंट स्वीकार नहीं करेगा। यहोवा उन चीज़ों से प्रसन्न नहीं होगा, जिन्हें तुम उसके पास लाओगे।
14तुम पूछते हो, “हमारी भेंट यहोवा द्वारा स्वीकार क्यों नहीं की जातीं” क्यों क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे किये बुरे कामों को देखा, वब तुम्हारे विरुद्ध साक्षी है। उसने देखा कि तुम अपनी पत्नी को ठगते हो। तुम उस स्त्री के साथ तबसे विवाहित हो जबसे तुम जवान हुए थे। वह तुम्हारी प्रेयसी थी। तब तुमने परस्पर प्रतिज्ञा की और वह तुम्हारी पत्नी हो गई। किन्तु तुमने उसे ठगा। 15परमेश्वर चाहता है कि पति और पत्नी एक शरीर और एक आत्मा हो जायें। क्यों जिससे उनके बच्चे पवित्र हों। अत: उस आध्यात्मिक एकता की रक्षा करो। अपनी पत्नी को न ठगो। वह तुम्हारी पत्नी तब से है जब से तुम युवक हुए।
16इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं विवाह—विच्छेद से घृणा करता हूँ। मैं पुरूषों के क्रूर कामों से घृणा करता हूँ। अत: अपनी आत्मिक एकता की सुरक्षा करो। अपनी पत्नी को धोखा मत दो।”
न्याय का विशेष समय
17तुमने गलत शिक्षा दी है। और उन गलत शिक्षाओं ने यहोवा को बहुत अधिक दु:खी किया है। तुमने यह शिक्षा दी कि परमेश्वर उन्हें पसन्द करता है जो बुरे काम करते हैं। तुमने कहा कि परमेश्वर उन्हें अच्छे लोग समझता है और तुमने यह शिक्षा दी कि परमेश्वर लोगों को बुरा काम करने के लिये दण्ड नहीं देता।
वर्तमान में चयनित:
:
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi Holy Bible: Easy-to-Read Version
All rights reserved.
© 1995 Bible League International