और इन बातों के बाद प्रभु ने सत्तर और मनुष्य नियुक्त किए और जिस जिस नगर और जगह को वह आप जाने पर था, वहां उन्हें दो दो करके अपने आगे भेजा। और उस ने उन से कहा; पके खेत बहुत हैं; परन्तु मजदूर थोड़े हैं: इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो, कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे। जाओ; देखों मैं तुम्हें भेड़ों की नाईं भेडियों के बीच में भेजता हूं। इसलिये न बटुआ, न झोली, न जूते लो; और न मार्ग में किसी को नमस्कार करो। जिस किसी घर में जाओ, पहिले कहो, कि इस घर पर कल्याण हो। यदि वहां कोई कल्याण के योग्य होगा; तो तुम्हारा कल्याण उस पर ठहरेगा, नहीं तो तुम्हारे पास लौट आएगा। उसी घर में रहो, और जो कुछ उन से मिले, वही खाओ पीओ, क्योंकि मजदूर को अपनी मजदूरी मिलनी चाहिए: घर घर न फिरना। और जिस नगर में जाओ, और वहां के लोग तुम्हें उतारें, तो जो कुछ तुम्हारे साम्हने रखा जाए वही खाओ। वहां के बीमारों को चंगा करो: और उन से कहो, कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा है।
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