1 शमूएल 25:2-35
1 शमूएल 25:2-35 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
माओन में एक पुरुष रहता था जिसका व्यापार कर्मेल में था। और वह पुरुष बहुत धनी था, और उसकी तीन हज़ार भेड़ें, और एक हज़ार बकरियाँ थीं; और वह अपनी भेड़ों का उन कतर रहा था। उस पुरुष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरुष कठोर, और बुरे बुरे काम करनेवाला था; वह कालेबवंशी था। जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है; तब दाऊद ने दस जवानों को वहाँ भेज दिया, और दाऊद ने उन जवानों से कहा, “कर्मेल में नाबाल के पास जाकर मेरी ओर से उसका कुशलक्षेम पूछो। और उससे यों कहो, ‘तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे। मैं ने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हम ने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया। अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझ को बताएँगे। अत: इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिये जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे’।” दाऊद के जवान जाकर ऐसी बातें उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे। नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उनसे कहा, “दाऊद कौन है? यिशै का पुत्र कौन है? आज कल बहुत से दास अपने अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं। क्या मैं अपनी रोटी–पानी और जो पशु मैं ने अपने कतरनेवालों के लिये मारे हैं लेकर ऐसे लोगों को दे दूँ, जिनको मैं नहीं जानता कि कहाँ के हैं?” तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको ये सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं। तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, “अपनी अपनी तलवार बाँध लो।” तब उन्होंने अपनी अपनी तलवार बाँध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बाँध ली; और कोई चार सौ पुरुष दाऊद के पीछे पीछे चले, और दो सौ सामान के पास रह गए। परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, “दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उसने उन्हें ललकार दिया। परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया; जब तक हम उनके साथ भेड़–बकरियाँ चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे। इसलिये अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की और उसके समस्त घराने की हानि करना ठान लिया होगा, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उस से कोई बोल भी नहीं सकता।” तब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पाँच भेड़ों का मांस, और पाँच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरों की दो सौ टिकियाँ लेकर गदहों पर लदवाई। और उसने अपने जवानों से कहा, “तुम मेरे आगे आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूँ;” परन्तु उसने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा। वह गदहे पर चढ़ी हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामने उतरा आता था; और वह उनको मिली। दाऊद ने तो सोचा था, “मैं ने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह नि:सन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उसने भलाई के बदले मुझ से बुराई ही की है। यदि सबेरे उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूँ, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन् इस से भी अधिक करे।” दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुँह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत् की। फिर वह उसके पाँव पर गिरके कहने लगी, “हे मेरे प्रभु, यह अपराध मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले। मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उस में मूढ़ता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तू ने भेजा था न देखा था। और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना बदला लेने से रोक रखा है, इसलिये अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हानि के चाहनेवाले नाबाल ही के समान ठहरें। और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चलते हैं। अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिये कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी। और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तौभी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बँधा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफ़न में रखकर फेंक देगा। इसलिये जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उस ने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा, तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, या मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तू ने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना बदला आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना।” दाऊद ने अबीगैल से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझ से भेंट करने के लिये तुझे भेजा है! और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तू ने मुझे आज के दिन खून करने और अपना बदला आप लेने से रोक लिया है। क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझ से भेंट करने को न आती, तो नि:सन्देह सबेरे उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता।” तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उससे उसने कहा, “अपने घर कुशल से जा; सुन, मैं ने तेरी बात मानी है और तेरी विनती ग्रहण कर ली है।”
1 शमूएल 25:2-35 पवित्र बाइबल (HERV)
एक व्यक्ति था जो माओन में रहता था। वह व्यक्ति बहुत सम्पन्न था। उसके पास तीन हजार भेड़ें और एक हजार बकरियाँ थीं। वह कर्मेल में अपने धंधे की देखभाल करता था। वह कर्मेल में अपनी भेड़ों की ऊन काटता था। उस व्यक्ति का नाम नाबाल था। उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। अबीगैल बुद्धिमती और सुन्दर स्त्री थी। किन्तु नाबल क्रूर और नीच था। नाबाल कालेब के परिवार से था। दाऊद मरुभूमि में था और उसने सुना कि नाबाल अपनी भेड़ों की ऊन काट रहा है। इसलिये दाऊद ने दस युवकों को नाबाल से बातें करने के लिये भेजा। दाऊद ने कहा, “कर्मेल जाओ। नाबाल से मिलो और उसको मेरी ओर से ‘नमस्ते’ कहो।” दाऊद ने उन्हें नाबाल के लिये यह सन्देश दिया, “मुझे आशा है कि तुम और तुम्हारा परिवार सुखी है। मैं आशा करता हूँ कि जो कुछ तुम्हारा है, ठीक—ठाक है। मैंने सुना है कि तुम अपनी भेड़ों से ऊन काट रहे हो। तुम्हारे गड़रिये कुछ समय तक हम लोगों के साथ रहे थे और हम लोगों ने उन्हें कोई कष्ट नहीं दिया। जब तक तुम्हारे गड़रिये कर्मेल में रहे हमने उनसे कुछ भी नहीं लिया। अपने सेवकों से पूछो और वे बता देंगे कि यह सब सच है। कृपया मेरे युवकों पर दया करो। इस प्रसन्नता के अवसर पर हम तुम्हारे पास पहुँच रहे हैं। कृपया इन युवकों को तुम जो कुछ चाहो, दो। कृपया यह मेरे लिये, अपने मित्र दाऊद के लिये करो।” दाऊद के व्यक्ति नाबाल के पास गए। उन्होंने दाऊद का सन्देश नाबाल को दिया। किन्तु नाबाल उनके प्रति नीचता से पेश आया। नाबाल ने कहा, “दाऊद है कौन? यह यिशै का पुत्र कौन होता है? इन दिनों बहुत से दास हैं जो अपने स्वामियों के यहाँ से भाग गये हैं! मेरे पास रोटी और पानी है और मेरे पास वह माँस भी है जिसे मैंने भेड़ों से ऊन काटने वाले सेवकों के लिये मारा है। किन्तु मैं उसे उन व्यक्तियों को नहीं दे सकता जिन्हें मैं जानता भी नहीं!” दाऊद के व्यक्ति लौट गये और नाबाल ने जो कुछ कहा था दाऊद को बता दिया। तब दाऊद ने अपने लोगों से कहा, “अपनी तलवार उठाओ!” अत: दाऊद और उसके लोगों ने तलवारें कस लीं। लगभग चार सौ व्यक्ति दाऊद के साथ गये और दो सौ व्यक्ति साज़ो सामान के साथ रुके रहे। नाबाल के सेवकों में से एक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल से बातें कीं। सेवक ने कहा, “दाऊद ने मरुभूमि से अपने दूतों को हमारे स्वामी (नाबाल) के पास भेजा। किन्तु नाबाल दाऊद के दूतों के साथ नीचता से पेश आया। ये लोग हम लोगों के प्रति बहुत अच्छे थे। हम लोग भेड़ों के साथ मैदानों में जाते थे। दाऊद के लोग हमारे साथ लगातार रहे और उन्होंने हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं किया। उन्होंने पूरे समय हमारा कुछ भी नहीं चुराया। दाऊद के लोगों ने दिन रात हमारी रक्षा की। वे हम लोगों के लिये रक्षक चहारदीवारी की तरह थे, उन्होंने हमारी रक्षा तब की जब हम भेड़ों की रखवाली करते हुए उनके साथ थे। अब इस विषय में सोचो और निर्णय करो कि तुम क्या कर सकती हो। नाबाल ने जो कुछ कहा वह मूर्खतापूर्ण था। हमारे स्वामी (नाबाल) और उनके सारे परिवार के लिये भयंकर आपत्ति आ रही है।” अबीगैल ने शीघ्रता की और दो सौ रोटियाँ, दाखमधु की दो भरी मशकें, पाँच पकी भेड़ें, लगभग एक बुशल पका अन्न, दो र्क्वाट मुनक्के और दो सौ सूखे अंजीर की टिकियाँ लीं। उसने उन्हें गधों पर लादा। तब अबीगैल ने अपने सेवकों से कहा, “आगे चलते रहो मैं तुम्हारे पीछे आ रही हूँ।” किन्तु उसने अपने पति से कुछ न कहा। अबीगैल अपने गधे पर बैठी और पर्वत की दूसरी ओर पहुँची। वह दूसरी ओर से आते हुए दाऊद और उसके आदमियों से मिली। अबीगैल से मिलने के पहले दाऊद कह रहा था, “मैंने नाबाल की सम्पत्ति की रक्षा मरुभूमि में की। मैंने यह व्यवस्था की कि उसकी कोई भेड़ खोए नहीं। मैंने यह सब कुछ बिना लिये किया। मैंने उसके लिये अच्छा किया। किन्तु मेरे प्रति वह बुरा रहा। परमेश्वर मुझे दण्डित करे यदि मैं नाबाल के परिवार के किसी व्यक्ति को कल सवेरे तक जीवित रहने दूँ।” किन्तु जब अबीगैल ने दाऊद को देखा वह शीघ्रता से अपने गधे पर से उतर पड़ी। वह दाऊद के सामने प्रणाम करने को झुकी। उसने अपना माथा धरती पर टिकाया। अबीगैल दाऊद के चरणों पर पड़ गई। उसने कहा, “मान्यवर, कृपा कर मुझे कुछ कहने दें। जो मैं कहूँ उसे सुनें। जो कुछ हुआ उसके लिये मुझे दोष दें। मैंने उन व्यक्तियों को नहीं देखा जिन्हें आपने भेजा। मान्यवर, उस नालायक आदमी (नाबाल) पर ध्यान न दें। वह ठीक वही है जैसा उसका नाम है। उसके नाम का अर्थ ‘मूर्ख’ है और वह सचमुच मूर्ख ही है। यहोवा ने आपको निरपराध व्यक्तियों को मारने से रोका है। यहोवा शाश्वत है और आप जीवित हैं, इसकी शपथ खाकर मैं आशा करती हूँ कि आपके शत्रु और जो आपको हानि पहुँचाना चाहते हैं, वे नाबाल की स्थिति में होंगे। अब, मैं आपको यह भेंट लाई हूँ। कृपया इन चीज़ों को उन लोगों को दें जो आपका अनुसरण करते हैं। अपराध करने के लिये मुझे क्षमा करें। मैं जानती हूँ कि यहोवा आपके परिवार को शक्तिशाली बनायेगा, आपके परिवार से अनेक राजा होंगे। यहोवा यह करेगा क्योंकि आप उसके लिये युद्ध लड़ते हैं। लोग तब आप में कभी बुराई नहीं पाएंगे जब तक आप जीवित रहेंगे। यदि कोई व्यक्ति आपको मार डालने के लिये आपका पीछा करता है तो यहोवा आपका परमेश्वर आपके जीवन की रक्षा करेगा। किन्तु यहोवा आपके शत्रुओं के जीवन को ऐसे दूर फेंकेगा जैसे गुलेल से पत्थर फेंका जाता है। यहोवा ने आपके लिये बहुत सी अच्छी चीजों को करने का वचन दिया है और यहोवा अपने सभी वचनों को पूरा करेगा। परमेश्वर आपको इस्राएल का शासक बनाएगा। और आप इस जाल में नहीं फँसेंगे। आप बुरा काम करने के अपराधी नहीं होंगे। आप निरपराध लोगों को मारने का अपराध नहीं करेंगे। कृपया मुझे उस समय याद रखें जब यहोवा आपको सफलता प्रदान करे।” दाऊद ने अबीगैल को उत्तर दिया, “इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा की स्तुति करो। परमेश्वर ने तुम्हें मुझसे मिलने भेजा है। तुम्हारे अच्छे निर्णय के लिये परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे। तुमने आज मुझे निरपराध लोगों को मारने से बचाया। निश्चय ही, जैसे ईस्राएल का परमेश्वर, यहोवा शाश्वत है, यदि तुम शीघ्रता से मुझसे मिलने न आई होती तो कल सवेरे तक नाबाल के परिवार का कोई भी पुरूष जीवित नहीं बच पाता।” तब दाऊद ने अबीगैल की भेंट को स्वीकार किया। दाऊद ने उससे कहा, “शान्ति से घर जाओ। मैंने तुम्हारी बातें सुनी हैं और मैं वही करूँगा जो तुमने करने को कहा है।”
1 शमूएल 25:2-35 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
माओन में एक मनुष्य रहता था। उसका व्यापार कर्मेल क्षेत्र में था। वह बहुत धनी था। उसके पास तीन हजार भेड़ें और एक हजार बकरियां थीं। वह कर्मेल में अपनी भेड़ों का ऊन कतरवा रहा था। उस मनुष्य का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम आबीगइल था। अबीगइल बुद्धिमती और सुन्दर थी। पर उसका पति उजड्ड स्वभाव का था और वह अशिष्ट व्यवहार करता था। वह कालेब के वंश का था। दाऊद ने निर्जन प्रदेश में सुना कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है। अत: उसने अपने दस सैनिकों को वहां भेजा। दाऊद ने सैनिकों से कहा, ‘कर्मेल क्षेत्र में जाओ। तुम नाबाल के पास जाना। मेरे नाम से उसका कुशल-क्षेम पूछना। तब तुम उससे, मेरे भाई से, यों कहना : “आपका कल्याण हो! आपके परिवार का कल्याण हो! जो कुछ आपका है, सबका कल्याण हो! मैंने सुना है कि आप ऊन कतरवा रहे हैं। देखिए, आपके चरवाहे हमारे साथ थे। हमने उनका कोई अनिष्ट नहीं किया। जब तक वे कर्मेल क्षेत्र में रहे, उन्होंने एक भेड़ भी नहीं खोई। आप अपने सेवकों से पूछिए। वे आपको यह बात बताएंगे। अत: आप मेरे सैनिकों पर कृपा-दृष्टि कीजिए। ये आनन्द के पर्व पर आए हैं। जो भी आपके पास है, वह आप हमें, अपने सेवकों को, और अपने पुत्र-तुल्य दाऊद को दे दीजिए।” ’ जब दाऊद के सैनिक नाबाल के पास आए तब उन्होंने उससे दाऊद के नाम से ये बातें कहीं और उसके उत्तर की प्रतीक्षा करने लगे। नाबाल ने दाऊद के सैनिकों को उत्तर दिया, ‘यह दाऊद कौन है? यह यिशय का पुत्र कौन है? आजकल अनेक सेवक अपने मालिक के पास से भाग जाते हैं। क्या मैं रोटी, अंगूर का रस और पशुओं का मांस, जिन्हें मैंने अपने ऊन कतरने वालों के लिए मारा है, ऐसे आदमियों को दे दूं, जिनके विषय में मैं नहीं जानता कि वे कहां से आए हैं?’ यह उत्तर सुनकर दाऊद के सैनिक अपने मार्ग की ओर लौटे। वे वापस आ गए। उन्होंने दाऊद को ये सब बातें बताईं। दाऊद ने अपने सैनिकों को आदेश दिया, ‘प्रत्येक सैनिक अपनी तलवार बाँध ले!’ अत: हर एक सैनिक ने अपनी तलवार बाँध ली। दाऊद ने भी अपनी तलवार बाँध ली। प्राय: चार सौ सैनिक दाऊद के पीछे-पीछे गए। दो सौ सैनिक सामान के पास रह गए। एक सेवक ने नाबाल की पत्नी को यह बात बताई। उसने कहा, ‘दाऊद ने हमारे स्वामी को नमस्कार करने कि लिए निर्जन प्रदेश से दूत भेजे थे। परन्तु स्वामी उन पर बरस पड़े। वे लोग हमारे साथ अच्छा व्यवहार करते थे। जब हम उनके पड़ोस के क्षेत्र में थे, और मैदान में भेड़ चरा रहे थे तब उन्होंने हमारा कभी अनिष्ट नहीं किया। हमने एक भेड़ भी नहीं खोई। जब तक हम उनके पड़ोस के क्षेत्र में भेड़ों को चराते रहे, तब तक वह दीवार बनकर दिन-रात हमारी रक्षा करते रहे। अब इस बात को समझिए, और देखिए कि क्या करना चाहिए। दाऊद और उनके सैनिक हमारे स्वामी और हमारे समस्त परिवार का अनिष्ट करने का निश्चय कर चुके हैं। उधर हमारे स्वामी का स्वभाव ऐसा है कि कोई उनसे बात भी नहीं कर सकता।’ अबीगइल ने अविलम्ब दो सौ रोटी, अंगुर के रस से भरी हुई दो मशकें, पांच भेड़ों का पका हुआ मांस, प्राय: पन्द्रह किलो भुना हुआ अनाज, एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीर के दो सौ सूखे फल लिये। उसने उनको गधों पर लादा। उसने अपने सेवकों से कहा, ‘तुम मुझसे आगे जाओ। मैं तुम्हारे पीछे आऊंगी।’ अबीगइल ने यह बात अपने पति नाबाल को नहीं बताई। अबीगइल गधे पर बैठी हुई पर्वत-स्कन्ध की आड़ में उतर रही थी। दाऊद और उसके सैनिक उसकी ओर पहाड़ से नीचे उतर रहे थे। वह उनसे मार्ग में मिली। दाऊद यह निश्चय कर चुका था: ‘मैंने निर्जन प्रदेश में इस आदमी की धन-सम्पत्ति की व्यर्थ रक्षा की। इस आदमी की एक भेड़ भी नहीं खोई। पर इसने मुझे भलाई का बदला बुराई से दिया। अब यदि मैं सबेरे तक उसके परिवार का एक पुरुष भी जीवित रहते दूं, तो परमेश्वर दाऊद के साथ वही व्यवहार करे वरन् इससे अधिक कठोर व्यवहार करे।’ अबीगइल ने दाऊद को देखा। वह तुरन्त गधे से नीचे उतरी और दाऊद के सामने मुंह के बल गिरी। उसने भूमि की ओर झुककर दाऊद का अभिवादन किया। वह दाऊद के पैरों में गिर पड़ी। उसने कहा, ‘स्वामी, मेरा ही दोष है। कृपया, अपनी इस सेविका को अनुमति दीजिए कि वह आपके कान में कुछ बातें डाल सके। कृपया, अपनी सेविका की बातें सुनिए। स्वामी, मेरे उजड्ड पति नाबाल की बात पर ध्यान मत दीजिए। जैसा उनका नाम है, वैसे ही वह है। उजड्ड उनका नाम है, और उजड्डता उनका स्वभाव है। स्वामी, जिन सैनिकों को आपने भेजा था, उन्हें मैंने, आपकी सेविका ने नहीं देखा। अब, प्रभु के जीवन की सौगन्ध। स्वामी, आपके प्राण की सौगन्ध! प्रभु ने ही आपको हत्या के दोष से बचाया। आपको अपने हाथ से बदला लेने से रोका। प्रभु आपके सब शत्रुओं को, आपकी बुराई की ताक में रहनेवालों को, नाबाल के समान बना दे। अब, यह उपहार, जो आपकी सेविका अपने स्वामी के लिए लाई है, आपके कदमों पर चलनेवाले अपने सैनिकों को दे दीजिए। कृपया, अपनी सेविका का अपराध क्षमा कीजिए। प्रभु निश्चय ही आपको, मेरे स्वामी को स्थायी राजवंश प्रदान करेगा; क्योंकि आप प्रभु के लिए युद्ध कर रहे हैं। आपके जीवन-भर आपमें बुराई नहीं मिलेगी। यदि आपके शत्रु आपका पीछा करने के लिए उठेंगे, वे आपके प्राण की ताक में रहेंगे, तो प्रभु परमेश्वर जीवन के बस्ते में आपके प्राण को बांधकर अपनी सुरक्षा में रखेगा। वह आपके शत्रुओं के प्राण गोफन में रखकर फेंक देगा। आपके लिए जिन भले कार्यों को करने की प्रतिज्ञा प्रभु ने आपसे की है, उनको जब वह समाप्त कर लेगा, और जब वह इस्राएली राष्ट्र पर शासन करने के लिए आपको अगुए के रूप में नियुक्त कर देगा, तब स्वामी, आपको दु:ख अथवा मानसिक पीड़ा नहीं होगी कि आपने बिना कारण किसी का खून बहाया अथवा स्वयं बदला लिया। जब प्रभु आपके साथ भलाई करेगा, तब स्वामी, अपनी इस सेविका को भी स्मरण करना।’ दाऊद ने अबीगइल से कहा, ‘इस्राएल का प्रभु परमेश्वर धन्य है जिसने आज मुझसे मिलने के लिए तुम्हें भेजा! तुम्हारी समझबूझ धन्य है। तुम धन्य हो! तुमने मुझे आज हत्या के दोष से बचा लिया। तुमने मुझे स्वयं अपने हाथ से बदला लेने से रोका। जैसे यह सच है कि इस्राएल का प्रभु परमेश्वर, जिसने मुझे तुम्हारा अनिष्ट करने से रोका, जीवित है; वैसे ही मेरी यह बात सच है : यदि तुमने शीघ्रता न की होती, और तुम मेरे पास न आती, तो सबेरे तक नाबाल के परिवार का एक पुरुष भी जीवित नहीं बचता।’ यह कह कर दाऊद ने उसके हाथ से उपहार ग्रहण किए। ये उपहार वह दाऊद के लिए लाई थी। दाऊद ने उससे कहा, ‘अपने घर सकुशल चली जाओ। मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुम्हारा निवेदन स्वीकार कर लिया।’
1 शमूएल 25:2-35 Hindi Holy Bible (HHBD)
माओन में एक पुरूष रहता था जिसका माल कर्मेल में था। और वह पुरूष बहुत बड़ा था, और उसके तीन हजार भेड़ें, और एक हजार बकरियां थीं; और वह अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा था। उस पुरूष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरूष कठोर, और बुरे बुरे काम करने वाला था; वह तो कालेबवंशी था। जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है; तब दाऊद ने दस जवानों को वहां भेज दिया, ओर दाऊद ने उन जवानों से कहा, कि कर्मेल में नाबाल के पास जा कर मेरी ओर से उसका कुशलक्षेम पूछो। और उस से यों कहो, कि तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे। मैं ने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हम ने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया गया। अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझ का बताएंगे। सो इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिये जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे। ऐसी ऐसी बातें दाऊद के जवान जा कर उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे। नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उन से कहा, दाऊद कौन है? यिशै का पुत्र कौन है? आज कल बहुत से दास अपने अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं। क्या मैं अपनी रोटी-पानी और जो पशु मैं ने अपने कतरने वालों के लिये मारे हैं ले कर ऐसे लोगों को दे दूं, जिन को मैं नहीं जानता कि कहां के हैं? तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको ये सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं। तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, अपनी अपनी तलवार बान्ध लो। तब उन्होंने अपनी अपनी तलवार बान्ध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बान्घ ली; और कोई चार सौ पुरूष दाऊद के पीछे पीछे चले, और दो सौ समान के पास रह गए। परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, कि दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उसने उन्हें ललकार दिया। परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया गया; जब तक हम उन के साथ भेड़-बकरियां चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे। इसलिये अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की ओर उसके समस्त घराने की हानि ठानी होगी, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उस से कोई बोल भी नहीं सकता। अब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पांच भेडिय़ों का मांस, और पांच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरोंकी दो सौ टिकियां ले कर गदहों पर लदवाई। और उसने अपने जवानों से कहा, तुम मेरे आगे आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूं; परन्तु उसने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा। वह गदहे पर चली हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामहने उतरा आता था; और वह उन को मिली। दाऊद ने तो सोचा था, कि मैं ने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह नि:सन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उसने भलाई के बदले मुझ से बुराई ही की है। यदि बिहान को उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूं, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन इस से भी अधिक करे। दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुंह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत की। फिर वह उसके पांव पर गिरके कहने लगी, हे मेरे प्रभु, यह अपराध मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले। मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उस में मूढ़ता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तू ने भेजा था न देखा था। और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना पलटा लेने से रोक रखा है, इसलिये अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हानि के चाहने वाले नाबाल ही के समान ठहरें। और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चालते हैं। अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिये कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी। और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तौभी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बन्धा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा। इसलिये जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उसने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा, तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, वा मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तू ने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना पलटा आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना। दाऊद ने अबीगैल से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझ से भेंट करने के लिये तुझे भेजा है। और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तू ने मुझे आज के दिन खून करने और अपना पलटा आप लेने से रोक लिया है। क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझ से भेंट करने को न आती, तो नि:सन्देह बिहान को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता। तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उस से उसने कहा, अपने घर कुशल से जा; सुन, मैं ने तेरी बात मानी है और तेरी बिनती ग्रहण कर ली है।
1 शमूएल 25:2-35 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
माओन में एक पुरुष रहता था जिसका व्यापार कर्मेल में था। और वह पुरुष बहुत धनी था, और उसकी तीन हजार भेड़ें, और एक हजार बकरियाँ थीं; और वह अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा था। उस पुरुष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरुष कठोर, और बुरे-बुरे काम करनेवाला था; वह कालेबवंशी था। जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है; तब दाऊद ने दस जवानों को वहाँ भेज दिया, और दाऊद ने उन जवानों से कहा, “कर्मेल में नाबाल के पास जाकर मेरी ओर से उसका कुशल क्षेम पूछो। और उससे यह कहो, ‘तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे। मैंने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हमने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया गया। अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझको बताएँगे। अतः इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिए जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे।’” दाऊद के जवान जाकर ऐसी बातें उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे। नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उनसे कहा, “दाऊद कौन है? यिशै का पुत्र कौन है? आजकल बहुत से दास अपने-अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं। क्या मैं अपनी रोटी-पानी और जो पशु मैंने अपने कतरनेवालों के लिये मारे हैं लेकर ऐसे लोगों को दे दूँ, जिनको मैं नहीं जानता कि कहाँ के हैं?” तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको ये सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं। तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, “अपनी-अपनी तलवार बाँध लो।” तब उन्होंने अपनी-अपनी तलवार बाँध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बाँध ली; और कोई चार सौ पुरुष दाऊद के पीछे-पीछे चले, और दो सौ सामान के पास रह गए। परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, “दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उसने उन्हें ललकार दिया। परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया-जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया; जब तक हम उनके साथ भेड़-बकरियाँ चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे। इसलिए अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की और उसके समस्त घराने की हानि करना ठान लिया होगा, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उससे कोई बोल भी नहीं सकता।” तब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पाँच भेड़ों का माँस, और पाँच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरों की दो सौ टिकियाँ लेकर गदहों पर लदवाई। और उसने अपने जवानों से कहा, “तुम मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ;” परन्तु उसने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा। वह गदहे पर चढ़ी हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामने उतरा आता था; और वह उनको मिली। दाऊद ने तो सोचा था, “मैंने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह निःसन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उसने भलाई के बदले मुझसे बुराई ही की है। यदि सवेरे को उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूं, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन् इससे भी अधिक करे।” दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुँह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत् की। फिर वह उसके पाँव पर गिरकर कहने लगी, “हे मेरे प्रभु, यह अपराध मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले। मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उसमें मूर्खता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तूने भेजा था न देखा था। और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना बदला लेने से रोक रखा है, इसलिए अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हानि के चाहनेवाले नाबाल ही के समान ठहरें। और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चलते हैं। अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिए कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी। और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तो भी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बँधा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा। इसलिए जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उसने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा, तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, या मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तूने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना बदला आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना।” दाऊद ने अबीगैल से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझसे भेंट करने के लिये तुझे भेजा है। और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तूने मुझे आज के दिन खून करने और अपना बदला आप लेने से रोक लिया है। क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझसे भेंट करने को न आती, तो निःसन्देह सवेरे को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता।” तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उससे उसने कहा, “अपने घर कुशल से जा; सुन, मैंने तेरी बात मानी है और तेरी विनती ग्रहण कर ली है।”
1 शमूएल 25:2-35 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
कालेब के कुल का एक व्यक्ति था, वह माओन नगर का निवासी था. कर्मेल नगर के निकट वह एक भूखण्ड का स्वामी था. वह बहुत ही धनी व्यक्ति था. उसके तीन हज़ार भेड़ें, तथा एक हज़ार बकरियां थी. उसका नाम नाबाल था और उसकी अबीगइल नामक पत्नी थी, जो बहुत ही रूपवती एवं विदुषी थी. मगर वह स्वयं बहुत ही नीच, क्रूर तथा क्रुद्ध प्रकृति का था. इस समय दावीद निर्जन प्रदेश में थे, और उन्हें मालूम हुआ कि नाबाल भेड़ों का ऊन क़तर रहा है. तब दावीद ने वहां दस नवयुवक भेज दिए और उन्हें यह आदेश दिया, “नाबाल से भेंटकरने कर्मेल नगर चले जाओ और उसे मेरी ओर से शुभकामनाएं तथा अभिवंदन प्रस्तुत करना. तब तुम उससे कहना: ‘आप पर तथा आपके परिवार पर शांति स्थिर रहें! आप चिरायु हों! आपकी सारी संपत्ति पर समृद्धि बनी रहे! “ ‘मुझे यह समाचार प्राप्त हुआ है कि आपकी भेड़ों का ऊन क़तरा जा रहा है. जब आपके चरवाहे हमारे साथ थे, सारे समय जब वे कर्मेल में थे, हमने न तो उन्हें अपमानित किया, न उन्हें कोई हानि पहुंचाई है. आप स्वयं अपने सेवकों से इस विषय में पूछ सकते हैं. आपकी कृपा हम पर बनी रहे. हम आपकी सेवा में उत्सव के मौके पर आए हैं. कृपया अपने सेवकों को, तथा अपने पुत्र समान सेवक दावीद को, जो कुछ आपको सही लगे, दे दीजिए.’ ” दावीद के नवयुवक साथी वहां गए, और दावीद की ओर से नाबाल को यह संदेश दे दिया, और वे नाबाल के प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करने लगे. “कौन है यह दावीद?” नाबाल ने दावीद के साथियों को उत्तर दिया, “और कौन है यह यिशै का पुत्र? कैसा समय आ गया है, जो सारे दास अपने स्वामियों को छोड़-छोड़कर भाग रहे हैं. अब क्या मेरे लिए यही शेष रह गया है कि मैं अपने सेवकों के हिस्से का भोजन लेकर इन लोगों को दे दूं? मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि ये लोग कौन हैं, और कहां से आए हैं?” तब दावीद के साथी लौट गए. लौटकर उन्होंने दावीद को यह सब सुना दिया. दावीद ने अपने साथियों को आदेश दिया, “हर एक व्यक्ति अपनी तलवार उठा ले!” तब सबने अपनी तलवार धारण कर ली. दावीद ने भी अपनी तलवार धारण कर ली. ये सब लगभग चार सौ व्यक्ति थे, जो इस अभियान में दावीद के साथ थे, शेष लगभग दो सौ उनके विभिन्न उपकरणों तथा आवश्यक सामग्री की रक्षा के लिए ठहर गए. इसी बीच नाबाल के एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगइल को संपूर्ण घटना का वृत्तांत सुना दिया, “दावीद ने हमारे स्वामी के पास मरुभूमि से अपने प्रतिनिधि भेजे थे, कि वे उन्हें अपनी शुभकामनाएं प्रस्तुत करें, मगर स्वामी ने उन्हें घोर अपमान करके लौटा दिया है. ये सभी व्यक्ति हमारे साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण रीति से व्यवहार करते रहे थे. उन्होंने न कभी हमारा अपमान किया, न कभी हमारी कोई हानि ही की. जब हम मैदानों में भेड़ें चराया करते थे हमारी कोई भी भेड़ नहीं खोई. हम सदैव साथ साथ रहे. दिन और रात संपूर्ण समय वे मानो हमारे लिए सुरक्षा की दीवार बने रहते थे, जब हम उनके साथ मिलकर भेड़ें चराया करते थे. अब आप स्थिति की गंभीरता को पहचान लीजिए और विचार कीजिए, कि अब आपका क्या करना सही होगा, क्योंकि अब हमारे स्वामी और उनके संपूर्ण परिवार के लिए बुरा योजित हो चुका है. वह ऐसा दुष्ट व्यक्ति हैं, कि कोई उन्हें सुझाव भी नहीं दे सकता.” यह सुनते ही अबीगइल ने तत्काल दो सौ रोटियां, दो छागलें द्राक्षारस, पांच भेड़ें, जो पकाई जा चुकी थी, पांच माप भुना हुआ अन्न, किशमिश के सौ पिंड तथा दो सौ पिंड अंजीरों को लेकर गधों पर लाद दिया. “उसने अपने सेवकों को आदेश दिया, मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे आऊंगी.” मगर स्वयं उसने इसकी सूचना अपने पति नाबाल को नहीं दी. जब वह अपने गधे पर बैठी हुई पर्वत के उस गुप्त मार्ग पर थी, उसने देखा कि दावीद तथा उनके साथी उसी की ओर बढ़े चले आ रहे थे, और वे आमने-सामने आ गए. इस समय दावीद विचार कर ही रहे थे, “निर्जन प्रदेश में हमने व्यर्थ ही इस व्यक्ति की संपत्ति की ऐसी रक्षा की, कि उसकी कुछ भी हानि नहीं हुई, मगर उसने इस उपकार का प्रतिफल हमें इस बुराई से दिया है. यदि प्रातःकाल तक उसके संबंधियों में से एक भी नर जीवित छोड़ दूं, तो परमेश्वर दावीद के शत्रुओं से ऐसा ही, एवं इससे भी बढ़कर करें!” दावीद को पहचानते ही अबीगइल तत्काल अपने गधे से उतर पड़ीं, उनके सामने मुख के बल गिर दंडवत हुई. तब उन्होंने दावीद के चरणों पर गिरकर उनसे कहा, “दोष सिर्फ मेरा ही है, मेरे स्वामी, अपनी सेविका को बोलने की अनुमति दें, तथा आप मेरा पक्ष सुन लें. मेरे स्वामी, कृपया आप इस निकम्मे व्यक्ति नाबाल के कड़वे वचनों पर ध्यान न दें. उसकी प्रकृति ठीक उसके नाम के ही अनुरूप है. उसका नाम है नाबाल और मूर्खता उसमें सचमुच व्याप्त है. खेद है कि उस समय मैं वहां न थी, जब आपके साथी वहां आए हुए थे. और अब मेरे स्वामी, याहवेह की शपथ, आप चिरायु हों, क्योंकि याहवेह ने ही आपको रक्तपात के दोष से बचा लिया है, और आपको यह काम अपने हाथों से करने से रोक दिया है. अब मेरी कामना है कि आपके शत्रुओं की, जो आपकी हानि करने पर उतारू हैं, उनकी स्थिति वैसी ही हो, जैसी नाबाल की. अब आपकी सेविका द्वारा लाई गई इस भेंट को हे स्वामी, आप स्वीकार करें कि इन्हें अपने साथियों में बाट दें. “कृपया अपनी सेविका की इस भूल को क्षमा कर दें. याहवेह आपके परिवार को प्रतिष्ठित करेंगे, क्योंकि मेरे स्वामी याहवेह के प्रतिनिधि होकर युद्ध कर रहे हैं. अपने संपूर्ण जीवन में अपने किसी का बुरा नहीं चाहा है. यदि कोई आपके प्राण लेने के उद्देश्य से आपका पीछा करना शुरू कर दे, तब मेरे स्वामी का जीवन याहवेह, आपके परमेश्वर की सुरक्षा में जीवितों की झोली में संचित कर लिया जाएगा, मगर आपके शत्रुओं के जीवन को इस प्रकार दूर प्रक्षेपित कर देंगे, जैसे गोफन के द्वारा पत्थर फेंक दिया जाता है. याहवेह मेरे स्वामी के लिए वह सब करेंगे, जिसकी उन्होंने आपसे प्रतिज्ञा की है. वह आपको इस्राएल के शासक बनाएंगे, अब आपकी अंतरात्मा निर्दोष के लहू बहाने के दोष से न भरेगी, और न आपको इस विषय में कोई खेद होगा कि आपने स्वयं बदला ले लिया. मेरे स्वामी, जब याहवेह आपको उन्नत करें, कृपया अपनी सेविका को अवश्य याद रखियेगा.” अबीगइल से ये उद्गार सुनकर दावीद ने उन्हें संबोधित कर कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की स्तुति हो, जिन्होंने आपको मुझसे भेंटकरने भेज दिया है. सराहनीय है आपका उत्तम अनुमान! आज मुझे रक्तपात से रोक देने के कारण आप स्वयं सराहना की पात्र हैं. आपने मुझे आज स्वयं बदला लेने की भूल से भी बचा लिया है. याहवेह, इस्राएल के जीवन्त परमेश्वर की शपथ, जिन्होंने मुझे आपका बुरा करने से रोक दिया है, यदि आप आज इतने शीघ्र मुझसे भेंटकरने न आयी होती, सबेरे, दिन का प्रकाश होते-होते, नाबाल परिवार का एक भी नर जीवित न रहता.” तब दावीद ने उसके हाथ से उसके द्वारा लाई गई भेंटें स्वीकार की और उसे इस आश्वासन के साथ विदा किया, “शांति से अपने घर लौट जाओ, मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुम्हारी विनती स्वीकार कर लिया.”