2 कुरिन्थियों 7:1-16

2 कुरिन्थियों 7:1-16 पवित्र बाइबल (HERV)

हे प्रिय मित्रो, क्योंकि हमारे पास ये प्रतिज्ञाएँ हैं। इसलिये आओ, परमेश्वर के प्रति श्रद्धा के कारण हम अपनी पवित्रता को परिपूर्ण करते हुए अपने बाहरी और भीतरी सभी दोषों को धो डालें। अपने मन में हमें स्थान दो। हमने किसी का भी कुछ बिगाड़ा नहीं है। हमने किसी को भी ठेस नहीं पहुँचाई है। हमने किसी के साथ छल नहीं किया है। मैं तुम्हें नीचा दिखाने के लिये ऐसा नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मैं तुम्हें बता ही चुका हूँ कि तुम तो हमारे मन में बसते हो। यहाँ तक कि हम तुम्हारे साथ मरने को या जीने को तैयार हैं। मैं तुम पर भरोसा रखता हूँ। तुम पर मुझे बड़ा गर्व है। मैं सुख चैन से हूँ। अपनी सभी यातनाएँ झेलते हुए मुझमें आनन्द उमड़ता रहता है। जब हम मकिदुनिया आये थे तब भी हमें आराम नहीं मिला था, बल्कि हमें तो हर प्रकार के दुःख उठाने पड़े थे बाहर झगड़ों से और मन के भीतर डर से। किन्तु दीन दुखियों को सुखी करने वाले परमेश्वर ने तितुस को यहाँ पहुँचा कर हमें सान्त्वना दी है। और वह भी केवल उसके, यहाँ पहुँचने से नहीं बल्कि इससे हमें और अधिक सान्त्वना मिली कि तुमने उसे कितना सुख दिया था। उसने हमें बताया कि हमसे मिलने को तुम कितने व्याकुल हो। तुम्हें हमारी कितनी चिंता है। इससे हम और भी प्रसन्न हुए। यद्यपि अपने पत्र से मैंने तुम्हें दुख पहुँचाया है किन्तु फिर भी मुझे उस के लिखने का खेद नहीं है। चाहे पहले मुझे इसका दुख हुआ था किन्तु अब मैं देख रहा हूँ कि उस पत्र से तुम्हें बस पल भर को ही दुःख पहुँचा था। सो अब मैं प्रसन्न हूँ। इसलिये नहीं कि तुम को दुःख पहुँचा था बल्कि इसलिये कि उस दुःख के कारण ही तुमने पछतावा किया। तुम्हें वह दुःख परमेश्वर की ओर से ही हुआ था ताकि तुम्हें हमारे कारण कोई हानि न पहुँच पाये। क्योंकि वह दुःख जिसे परमेश्वर देता है एक ऐसे मनफिराव को जन्म देता है जिसके लिए पछताना नहीं पड़ता और जो मुक्ति दिलाता है। किन्तु वह दुःख जो सांसारिक होता है, उससे तो बस मृत्यु जन्म लेती है। देखो। यह दुःख जिसे परमेश्वर ने दिया है, उसने तुममें कितना उत्साह जगा दिया है, अपने भोलेपन की कितनी प्रतिरक्षा, कितना आक्रोश, कितनी आकुलता, हमसे मिलने की कितनी बेचैनी, कितना साहस, पापी के प्रति न्याय चुकाने की कैसी भावना पैदा कर दी है। तुमने हर बात में यह दिखा दिया है कि इस बारे में तुम कितने निर्दोष थे। सो यदि मैंने तुम्हें लिखा था तो उस व्यक्ति के कारण नहीं जो अपराधी था और न ही उसके कारण जिसके प्रति अपराध किया गया था। बल्कि इस लिए लिखा था कि परमेश्वर के सामने हमारे प्रति तुम्हारी चिंता का तुम्हें बोध हो जाये। इससे हमें प्रोत्साहन मिला है। हमारे इस प्रोत्साहन के अतिरिक्त तितुस के आनन्द से हम और अधिक आनन्दित हुए, क्योंकि तुम सब के कारण उसकी आत्मा को चैन मिला है। तुम्हारे लिए मैंने उससे जो बढ़ चढ़ कर बातें की थीं, उसके लिए मुझे लजाना नहीं पड़ा है। बल्कि हमने जैसे तुमसे सब कुछ सच-सच कहा था, वैसे ही तुम्हारे बारे में हमारा गर्व तितुस के सामने सत्य सिद्ध हुआ है। वह जब यह याद करता है कि तुम सब ने किस प्रकार उसकी आज्ञा मानी और डर से थरथर काँपते हुए तुमने कैसे उसको अपनाया तो तुम्हारे प्रति उसका प्रेम और भी बढ़ जाता है। मैं प्रसन्न हूँ कि मैं तुममें पूरा भरोसा रख सकता हूँ।

2 कुरिन्थियों 7:1-16 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

प्रिय भाइयो और बहिनो! हमें इस प्रकार की प्रतिज्ञाएं मिली हैं। इसलिए हम शरीर और मन के हर प्रकार के दूषण से अपने को शुद्ध करें और परमेश्‍वर पर श्रद्धा-भक्‍ति रखते हुए पवित्रता की परिपूर्णता तक पहुँचने का प्रयत्‍न करते रहें। आप हमारे प्रति उदार बनें। हमने किसी के साथ अन्‍याय नहीं किया, किसी को आर्थिक हानि नहीं पहुँचायी और किसी से अनुचित लाभ नहीं उठाया। मैं आप लोगों को दोष देने के लिए यह नहीं कह रहा हूँ। मैं तो आप से कह चुका हूँ कि आप हमारे हृदय में घर कर गये हैं-हम जीवन-मरण के साथी हैं। मैं आप लोगों से खुल कर बातें करता हूँ। मैं आप लोगों पर बड़ा गर्व करता हूँ। इससे मुझे भरपूर सान्‍त्‍वना मिलती है और मेरे सब कष्‍टों में आनन्‍द उमड़ता रहता है। जब हम मकिदुनिया पहुँचे, तो हमारे शरीर को कोई विश्राम नहीं मिल रहा था। हम हर तरह से कष्‍टों से घिर रहे थे। हमारे चारों ओर संघर्ष थे और हमारे अन्‍दर आशंकाएँ थीं। किन्‍तु दीन-हीन लोगों को सान्‍त्‍वना देने वाले परमेश्‍वर ने हम को तीतुस के आगमन द्वारा सान्‍त्‍वना दी। और उनके आगमन द्वारा ही नहीं, बल्‍कि उस सान्‍त्‍वना द्वारा भी, जो उन्‍हें आप लोगों की ओर से मिली थी। मुझ से मिलने की आपकी उत्‍सुकता, आपका पश्‍चात्ताप और मेरे प्रति आपकी चिन्‍ता—इसके विषय में उन्‍होंने हम को बताया और इससे मेरा आनन्‍द और भी बढ़ गया। यद्यपि मैंने आप लोगों को उस पत्र द्वारा दु:ख दिया, फिर भी मुझे उस पर खेद नहीं है। मुझे यह देख कर खेद हुआ था कि उस पत्र ने आप को थोड़े समय के लिए दु:खी बना दिया था, किन्‍तु अब मुझे प्रसन्नता है। मुझे इसलिए प्रसन्नता नहीं कि आप लोगों को दु:ख हुआ, बल्‍कि इसलिए कि उस दु:ख के कारण आपका हृदय-परिवर्तन हुआ। आप लोगों ने उस दु:ख को परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया और इस तरह आप को मेरी ओर से कोई हानि नहीं हुई; क्‍योंकि जो दु:ख परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया जाता, उसका परिणाम होता है हृदय-परिवर्तन तथा उद्धार। इसमें पछताना नहीं पड़ता। परन्‍तु सांसारिक दु:ख का परिणाम है मृत्‍यु। आप देखते हैं कि आपने जो दु:ख परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया, उससे आप में कितनी निष्‍ठा उत्‍पन्न हुई, अपनी सफाई देने की कितनी तत्‍परता, कितना रोष, कितनी आशंका, कितनी अभिलाषा, कितना उत्‍साह और न्‍याय चुकाने की कितनी इच्‍छा! इस प्रकार आपने इस मामले में हर तरह से निर्दोष होने का प्रमाण दिया है। वास्‍तव में मैंने वह पत्र इसलिए नहीं लिखा था कि मुझे अन्‍याय करने वाले अथवा अन्‍याय सहने वाले व्यक्‍ति की अधिक चिन्‍ता थी, बल्‍कि इसलिए कि आप लोग परमेश्‍वर के सामने यह अच्‍छी तरह समझ लें कि हमारे प्रति आपकी कितनी निष्‍ठा है। इस से हमें सान्‍त्‍वना मिली। इस सान्‍त्‍वना के अतिरिक्‍त हम तीतुस का आनन्‍द देखकर और भी आनन्‍दित हो उठे-आप सब ने उनका मन हरा कर दिया! मैंने उनके सामने आप लोगों पर जो गर्व प्रकट किया था, उसके लिए मुझे लज्‍जित नहीं होना पड़ा। मैंने आप लोगों से जो भी कहा, वह सत्‍य पर आधारित था। इस प्रकार तीतुस के सामने मैंने आप पर गर्व प्रकट करते हुए जो कहा था, वह सच निकला। जब उन्‍हें याद आता है कि आप सब ने उनकी बात मानी और डरते-कांपते हुए उनका स्‍वागत किया, तो आप के प्रति उनका प्रेम और भी बढ़ जाता है। मैं पूर्ण रूप से आप लोगों पर भरोसा रखता हूँ, इससे मैं आनन्‍दित हूँ।

2 कुरिन्थियों 7:1-16 Hindi Holy Bible (HHBD)

सो हे प्यारो जब कि ये प्रतिज्ञाएं हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें॥ हमें अपने हृदय में जगह दो: हम ने न किसी से अन्याय किया, न किसी को बिगाड़ा, और न किसी को ठगा। मैं तुम्हें दोषी ठहराने के लिये यह नहीं कहता: क्योंकि मैं पहिले ही कह चुका हूं, कि तुम हमारे हृदय में ऐसे बस गए हो कि हम तुम्हारे साथ मरने जीने के लिये तैयार हैं। मैं तुम से बहुत हियाव के साथ बोल रहा हूं, मुझे तुम पर बड़ा घमण्ड है: मैं शान्ति से भर गया हूं; अपने सारे क्लेश में मैं आनन्द से अति भरपूर रहता हूं॥ क्योंकि जब हम मकिदुनिया में आए, तब भी हमारे शरीर को चैन नहीं मिला, परन्तु हम चारों ओर से क्लेश पाते थे; बाहर लड़ाइयां थीं, भीतर भयंकर बातें थी। तौभी दीनों को शान्ति देने वाले परमेश्वर ने तितुस के आने से हम को शान्ति दी। और न केवल उसके आने से परन्तु उस की उस शान्ति से भी, जो उस को तुम्हारी ओर से मिली थी; और उस ने तुम्हारी लालसा, और तुम्हारे दुख ओर मेरे लिये तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया, जिस से मुझे और भी आनन्द हुआ। क्योंकि यद्यपि मैं ने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उस से पछताता नहीं जैसा कि पहिले पछताता था क्योंकि मैं देखता हूं, कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। अब मैं आनन्दित हूं पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुंचा वरन इसलिये कि तुम ने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था, कि हमारी ओर से तुम्हें किसी बात में हानि न पहुंचे। क्योंकि परमेश्वर-भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है और फिर उस से पछताना नहीं पड़ता: परन्तु संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है। सो देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्वर-भक्ति का शोक हुआ तुम में कितनी उत्तेजना और प्रत्युत्तर और रिस, और भय, और लालसा, और धुन और पलटा लेने का विचार उत्पन्न हुआ तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया, कि तुम इस बात में निर्दोष हो। फिर मैं ने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा, जिस ने अन्याय किया, और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिये कि तुम्हारी उत्तेजना जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के साम्हने तुम पर प्रगट हो जाए। इसलिये हमें शान्ति हुई; और हमारी इस शान्ति के साथ तितुस के आनन्द के कारण और भी आनन्द हुआ क्योंकि उसका जी तुम सब के कारण हरा भरा हो गया है। क्योंकि यदि मैं ने उसके साम्हने तुम्हारे विषय में कुछ घमण्ड दिखाया, तो लज्ज़ित नहीं हुआ, परन्तु जैसे हम ने तुम से सब बातें सच सच कह दी थीं, वैसे ही हमारा घमण्ड दिखाना तितुस के साम्हने भी सच निकला। और जब उस को तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है, कि क्योंकर तुम ने डरते और कांपते हुए उस से भेंट की; तो उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। मैं आनन्द करता हूं, कि तुम्हारी ओर से मुझे हर बात में ढाढ़स होता है॥

2 कुरिन्थियों 7:1-16 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

अत: हे प्रियो, जब कि ये प्रतिज्ञाएँ हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्‍वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें। हमें अपने हृदय में जगह दो। हम ने न किसी के साथ अन्याय किया, न किसी को बिगाड़ा, और न किसी को ठगा। मैं तुम्हें दोषी ठहराने के लिये यह नहीं कहता। क्योंकि मैं पहले ही कह चुका हूँ कि तुम हमारे हृदय में ऐसे बस गए हो कि हम तुम्हारे साथ मरने जीने के लिये तैयार हैं। मैं तुम से बहुत हियाव के साथ बोल रहा हूँ, मुझे तुम पर बड़ा घमण्ड है; मैं शान्ति से भर गया हूँ। अपने सारे क्लेश में मैं आनन्द से अति भरपूर रहता हूँ। क्योंकि जब हम मकिदुनिया में आए, तब भी हमारे शरीर को चैन नहीं मिला, परन्तु हम चारों ओर से क्लेश पाते थे; बाहर लड़ाइयाँ थीं, भीतर भयंकर बातें थीं। तौभी दीनों को शान्ति देनेवाले परमेश्‍वर ने तीतुस के आने से हम को शान्ति दी; और न केवल उसके आने से परन्तु उसकी उस शान्ति से भी, जो उसको तुम्हारी ओर से मिली थी। उसने तुम्हारी लालसा, तुम्हारे दु:ख, और मेरे लिये तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया, जिससे मुझे और भी आनन्द हुआ। क्योंकि यद्यपि मैं ने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उससे पछताता नहीं जैसा कि पहले पछताता था, क्योंकि मैं देखता हूँ कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। अब मैं आनन्दित हूँ पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुँचा, वरन् इसलिये कि तुम ने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार था कि हमारी ओर से तुम्हें किसी बात में हानि न पहुँचे। क्योंकि परमेश्‍वर–भक्‍ति का शोक ऐसा पश्‍चाताप उत्पन्न करता है जिसका परिणाम उद्धार है और फिर उससे पछताना नहीं पड़ता। परन्तु सांसारिक शोक मृत्यु उत्पन्न करता है। अत: देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्‍वर–भक्‍ति का शोक हुआ तुम में कितना उत्साह और प्रत्युत्तर और रिस, और भय, और लालसा, और धुन और दण्ड देने का विचार उत्पन्न हुआ? तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया कि तुम इस बात में निर्दोष हो। फिर मैं ने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा जिसने अन्याय किया और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिये कि तुम्हारा उत्साह जो हमारे लिये है, वह परमेश्‍वर के सामने तुम पर प्रगट हो जाए। इसलिये हमें शान्ति मिली। हमारी इस शान्ति के साथ तीतुस के आनन्द के कारण और भी आनन्द हुआ क्योंकि उसका जी तुम सब के कारण हरा–भरा हो गया है। क्योंकि यदि मैं ने उसके सामने तुम्हारे विषय में कुछ घमण्ड दिखाया, तो लज्जित नहीं हुआ, परन्तु जैसे हम ने तुम से सब बातें सच–सच कह दी थीं, वैसे ही हमारा घमण्ड दिखाना तीतुस के सामने भी सच निकला। जब उसको तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है कि कैसे तुम ने डरते और काँपते हुए उससे भेंट की; तो उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। मैं आनन्दित हूँ क्योंकि मुझे हर बात में तुम पर पूरा भरोसा है।

2 कुरिन्थियों 7:1-16 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

हे प्यारों जबकि ये प्रतिज्ञाएँ हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आपको शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें। हमें अपने हृदय में जगह दो: हमने न किसी से अन्याय किया, न किसी को बिगाड़ा, और न किसी को ठगा। मैं तुम्हें दोषी ठहराने के लिये यह नहीं कहता क्योंकि मैं पहले ही कह चूका हूँ, कि तुम हमारे हृदय में ऐसे बस गए हो कि हम तुम्हारे साथ मरने जीने के लिये तैयार हैं। मैं तुम से बहुत साहस के साथ बोल रहा हूँ, मुझे तुम पर बड़ा घमण्ड है: मैं शान्ति से भर गया हूँ; अपने सारे क्लेश में मैं आनन्द से अति भरपूर रहता हूँ। क्योंकि जब हम मकिदुनिया में आए, तब भी हमारे शरीर को चैन नहीं मिला, परन्तु हम चारों ओर से क्लेश पाते थे; बाहर लड़ाइयाँ थीं, भीतर भयंकर बातें थी। तो भी दीनों को शान्ति देनेवाले परमेश्वर ने तीतुस के आने से हमको शान्ति दी। और न केवल उसके आने से परन्तु उसकी उस शान्ति से भी, जो उसको तुम्हारी ओर से मिली थी; और उसने तुम्हारी लालसा, और तुम्हारे दुःख और मेरे लिये तुम्हारी धुन का समाचार हमें सुनाया, जिससे मुझे और भी आनन्द हुआ। क्योंकि यद्यपि मैंने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उससे पछताता नहीं जैसा कि पहले पछताता था क्योंकि मैं देखता हूँ, कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। अब मैं आनन्दित हूँ पर इसलिए नहीं कि तुम को शोक पहुँचा वरन् इसलिए कि तुम ने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था, कि हमारी ओर से तुम्हें किसी बात में हानि न पहुँचे। क्योंकि परमेश्वर-भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है; जिसका परिणाम उद्धार है और फिर उससे पछताना नहीं पड़ता: परन्तु सांसारिक शोक मृत्यु उत्पन्न करता है। अतः देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्वर-भक्ति का शोक हुआ; तुम में कितना उत्साह, प्रत्युत्तर, रिस, भय, लालसा, धुन और पलटा लेने का विचार उत्पन्न हुआ? तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया, कि तुम इस बात में निर्दोष हो। फिर मैंने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा, जिसने अन्याय किया, और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिए कि तुम्हारी उत्तेजना जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के सामने तुम पर प्रगट हो जाए। इसलिए हमें शान्ति हुई; और हमारी इस शान्ति के साथ तीतुस के आनन्द के कारण और भी आनन्द हुआ क्योंकि उसका जी तुम सब के कारण हरा भरा हो गया है। क्योंकि यदि मैंने उसके सामने तुम्हारे विषय में कुछ घमण्ड दिखाया, तो लज्जित नहीं हुआ, परन्तु जैसे हमने तुम से सब बातें सच-सच कह दी थीं, वैसे ही हमारा घमण्ड दिखाना तीतुस के सामने भी सच निकला। जब उसको तुम सब के आज्ञाकारी होने का स्मरण आता है, कि कैसे तुम ने डरते और काँपते हुए उससे भेंट की; तो उसका प्रेम तुम्हारी ओर और भी बढ़ता जाता है। मैं आनन्द करता हूँ, कि तुम्हारी ओर से मुझे हर बात में भरोसा होता है।

2 कुरिन्थियों 7:1-16 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

इसलिये प्रिय भाई बहनो, जब हमसे ये प्रतिज्ञाएं की गई हैं तो हम परमेश्वर के प्रति श्रद्धा के कारण, स्वयं को शरीर और आत्मा की हर एक मलिनता से शुद्ध करते हुए पवित्रता को सिद्ध करें. हमें अपने हृदयों में स्थान दो. हमने किसी के साथ अन्याय नहीं किया, किसी को आहत नहीं किया, किसी का अनुचित लाभ नहीं उठाया. यह कहने के द्वारा हम तुम पर दोष नहीं लगा रहे हैं. मैं पहले भी कह चुका हूं कि तुम हमारे हृदय में बसे हो और हमारा-तुम्हारा जीवन-मरण का साथ है. मुझे तुम पर अटूट विश्वास है. मुझे तुम पर गर्व है, मैं अत्यंत प्रोत्साहित हुआ हूं. सारे कष्टों में भी मैं आनंद से भरपूर रहता हूं. हमारे मकेदोनिया में रहने के दौरान हमें शारीरिक रूप से विश्राम नहीं परंतु चारों ओर से कष्ट ही कष्ट मिलता रहा—बाहर तो लड़ाइयां और अंदर भय की बातें. मगर परमेश्वर ने, जो हताशों को धीरज देते हैं, तीतॉस को यहां उपस्थित कर हमें धीरज दिया. न केवल उसकी उपस्थिति के द्वारा ही परंतु उस प्रोत्साहन के द्वारा भी, जो तीतॉस को तुमसे प्राप्‍त हुआ. उसने मुझे मेरे प्रति तुम्हारी लालसा, वेदना तथा उत्साह के विषय में बताया. इससे मेरा आनंद और अधिक बढ़ गया. यद्यपि तुम मेरे पत्र से शोकित हुए हो, मुझे इसका खेद नहीं—पहले खेद ज़रूर हुआ था मगर अब मैं देखता हूं कि तुम उस पत्र से शोकित तो हुए किंतु थोड़े समय के लिए. अब मैं आनंदित हूं, इसलिये नहीं कि तुम शोकित हुए परंतु इसलिये कि यही तुम्हारे पश्चाताप का कारण बन गया. यह सब परमेश्वर की इच्छा के अनुसार ही हुआ कि तुम्हें हमारे कारण किसी प्रकार की हानि न हो. वह दुःख, जो परमेश्वर की ओर से आता है, वह ऐसा पश्चाताप का कारण बन जाता है जो हमें उद्धार की ओर ले जाता है, जहां खेद के लिए कोई स्थान ही नहीं रहता; जबकि सांसारिक दुःख मृत्यु उत्पन्‍न करता है. ध्यान दो कि परमेश्वर की ओर से आए दुःख ने तुममें क्या-क्या परिवर्तन किए हैं: ऐसी उत्सुकता भरी तत्परता, अपना पक्ष स्पष्ट करने की ऐसी बड़ी इच्छा, अन्याय के प्रति ऐसा क्रोध, संकट के प्रति ऐसी सावधानी, मुझसे भेंट करने की ऐसी तेज लालसा, सेवा के प्रति ऐसा उत्साह तथा दुराचारी को दंड देने के लिए ऐसी तेजी के द्वारा तुमने यह साबित कर दिया कि सब कुछ ठीक-ठाक करने में तुमने कोई भी कमी नहीं छोड़ी है. हालांकि यह पत्र मैंने न तो तुम्हें इसलिये लिखा कि मुझे उसकी चिंता थी, जो अत्याचार करता है और न ही उसके लिए, जो अत्याचार सहता है परंतु इसलिये कि परमेश्वर के सामने स्वयं तुम्हीं यह देख लो कि तुम हमारे प्रति कितने सच्चे हो. यही हमारे धीरज का कारण है. अपने धीरज से कहीं अधिक हम तीतॉस के आनंद में हर्षित हैं क्योंकि तुम सबने उसमें नई ताज़गी का संचार किया है. यदि तीतॉस के सामने मैंने तुम पर गर्व प्रकट किया है तो मुझे उसके लिए लज्जित नहीं होना पड़ा. जिस प्रकार, जो कुछ मैंने तुमसे कहा वह सच था, उसी प्रकार तीतॉस के सामने मेरा गर्व प्रकट करना भी सच साबित हुआ. जब तीतॉस को तुम्हारी आज्ञाकारिता याद आती है तथा यह भी कि तुमने कितने श्रद्धा भाव से उसका सत्कार किया तो वह स्नेह से तुम्हारे प्रति और अधिक भर उठता है. तुम्हारे प्रति मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं. यह मेरे लिए आनंद का विषय है.