यिर्मयाह 22:15-16
यिर्मयाह 22:15-16 पवित्र बाइबल (HERV)
“यहोयाकीम, अपने घर में देवदार की अधिक लकड़ी का उपयोग तुम्हें महान सम्राट नहीं बनाता। तुम्हारा पिता योशिय्याह भोजन पान पाकर ही सन्तुष्ट था। उसने वह किया जो ठीक और न्यायपूर्ण था। योशिय्याह ने वह किया, अत: उसके लिये सब कुछ अच्छा हुआ। योशिय्याह ने दीन—हीन लोगों को सहायता दी। योशिय्याह ने वह किया, अत: उसके लिये सब कुछ अच्छा हुआ। यहोयाकीम ‘परमेश्वर को जानने’ का अर्थ क्या होता है मुझको जानने का अर्थ, ठीक रहना और न्यायपूर्ण होना है।” यह सन्देश यहोवा का है।
यिर्मयाह 22:15-16 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
क्या तू इसलिए राजा बना है कि दूसरों से अधिक देवदार की इमारतें बनाए? तेरा पिता खाता-पीता, आमोद-प्रमोद करता था, फिर भी वह न्याय और धर्म का आचरण करता था। अत: उसका भला हुआ। वह निर्धन और निस्सहाय लोगों का न्याय करता था, इसलिए उसका भला हुआ। ऐसा कार्य करना ही मुझे जानना है। मुझ-प्रभु की यह वाणी है!
यिर्मयाह 22:15-16 Hindi Holy Bible (HHBD)
तू जो देवदार की लकड़ी का अभिलाषी है, क्या इस रीति से तेरा राज्य स्थिर रहेगा। देख, तेरा पिता न्याय और धर्म के काम करता था, और वह खाता पीता और सुख से भी रहता था! वह इस कारण सुख से रहता था क्योंकि वह दीन और दरिद्र लोगों का न्याय चुकाता था। क्या यही मेरा ज्ञान रखना नहीं है? यहोवा की यह वाणी है।
यिर्मयाह 22:15-16 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
तू जो देवदार की लकड़ी का अभिलाषी है, क्या इस रीति से तेरा राज्य स्थिर रहेगा। देख, तेरा पिता न्याय और धर्म के काम करता था, और वह खाता पीता और सुख से भी रहता था! वह इस कारण सुख से रहता था क्योंकि वह दीन और दरिद्र लोगों का न्याय चुकाता था। क्या यही मेरा ज्ञान रखना नहीं है? यहोवा की यह वाणी है।
यिर्मयाह 22:15-16 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
तू जो देवदार की लकड़ी का अभिलाषी है, क्या इस रीति से तेरा राज्य स्थिर रहेगा। देख, तेरा पिता न्याय और धार्मिकता के काम करता था, और वह खाता पीता और सुख से भी रहता था! वह इस कारण सुख से रहता था क्योंकि वह दीन और दरिद्र लोगों का न्याय चुकाता था। क्या यही मेरा ज्ञान रखना नहीं है? यहोवा की यह वाणी है।
यिर्मयाह 22:15-16 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
“क्या अपने भवन में देवदार का प्रचूर प्रयोग करने के कारण तुम राजा के पद पर पहुंच गए हो? क्या तुम्हारा पिता सर्वसंपन्न न था? फिर भी उसने वही किया जो सही और न्यायपूर्ण था, इसलिये उसका कल्याण होता रहा. तुम्हारा पिता उत्पीड़ित एवं निस्सहायों का ध्यान रखता था, इसलिये उसका कल्याण होता रहा. क्या मुझे जानने का यही आशय नहीं होता?” यह याहवेह की वाणी है.