योहन 12:20-50

योहन 12:20-50 पवित्र बाइबल (HERV)

फ़सह पर्व पर जो आराधना करने आये थे उनमें से कुछ यूनानी थे। वे गलील में बैतसैदा के निवासी फिलिप्पुस के पास गये और उससे विनती करते हुए कहने लगे, “महोदय, हम यीशु के दर्शन करना चाहते हैं।” तब फिलिप्पुस ने अन्द्रियास को आकर बताया। फिर अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु के पास आकर कहा। यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मानव-पुत्र के महिमावान होने का समय आ गया है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का एक दाना धरती पर गिर कर मर नहीं जाता, तब तक वह एक ही रहता है। पर जब वह मर जाता है तो अनगिनत दानों को जन्म देता है। जिसे अपना जीवन प्रिय है, वह उसे खो देगा किन्तु वह, जिसे इस संसार में अपने जीवन से प्रेम नहीं है, उसे अनन्त जीवन के लिये रखेगा। यदि कोई मेरी सेवा करता है तो वह निश्चय ही मेरा अनुसरण करे और जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी रहेगा। यदि कोई मेरी सेवा करता है तो परम पिता उसका आदर करेगा। “अब मेरा जी घबरा रहा है। क्या मैं कहूँ, ‘हे पिता, मुझे दुःख की इस घड़ी से बचा’ किन्तु इस घड़ी के लिए ही तो मैं आया हूँ। हे पिता, अपने नाम को महिमा प्रदान कर!” तब आकाशवाणी हुई, “मैंने इसकी महिमा की है और मैं इसकी महिमा फिर करूँगा।” तब वहाँ मौजूद भीड़, जिसने यह सुना था, कहने लगी कि कोई बादल गरजा है। दूसरे कहने लगे, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।” उत्तर में यीशु ने कहा, “यह आकाशवाणी मेरे लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए थी। अब इस जगत के न्याय का समय आ गया है। अब इस जगत के शासक को निकाल दिया जायेगा। और यदि मैं धरती के ऊपर उठा लिया गया तो सब लोगों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा।” वह यह बताने के लिए ऐसा कह रहा था कि वह कैसी मृत्यु मरने जा रहा है। इस पर भीड़ ने उसको जवाब दिया, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है कि मसीह सदा रहेगा इसलिये तुम कैसे कहते हो कि मनुष्य के पुत्र को निश्चय ही ऊपर उठाया जायेगा। यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे बीच ज्योति अभी कुछ समय और रहेगी। जब तक ज्योति है चलते रहो। ताकि अँधेरा तुम्हें घेर न ले क्योंकि जो अँधेरे में चलता है, नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है। जब तक ज्योति तुम्हारे पास है उसमें विश्वास बनाये रखो ताकि तुम लोग ज्योतिर्मय हो सको।” यीशु यह कह कर कहीं चला गया और उनसे छुप गया। यद्यपि यीशु ने उनके सामने ये सब आश्चर्य चिन्ह प्रकट किये किन्तु उन्होंने विश्वास नहीं किया ताकि भविष्यवक्ता यशायाह ने जो यह कहा था सत्य सिद्ध हो: “प्रभु हमारे संदेश पर किसने विश्वास किया है? किस पर प्रभु की शक्ति प्रकट की गयी है?” इसी कारण वे विश्वास नहीं कर सके। क्योंकि यशायाह ने फिर कहा था, “उसने उनकी आँखें अंधी और उनका हृदय कठोर बनाया, ताकि वे अपनी आँखों से देख न सकें और बुद्धि से समझ न पायें और मेरी ओर न मुड़ें जिससे मैं उन्हें चंगा कर सकूँ।” यशायाह ने यह इसलिये कहा था कि उसने उसकी महिमा देखी थी और उसके विषय में बातें भी की थीं। फिर भी बहुत थे यहाँ तक कि यहूदी नेताओं में से भी ऐसे अनेक थे जिन्होंने उसमें विश्वाश किया। किन्तु फरीसियों के कारण अपने विश्वास की खुले तौर पर घोषणा नहीं की, क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें आराधनालय से निकाले जाने का भय था। उन्हें मनुष्यों द्वारा दिया गया सम्मान परमेश्वर द्वारा दिये गये सम्मान से अधिक प्यारा था। यीशु ने पुकार कर कहा, “वह जो मुझ में विश्वास करता है, वह मुझ में नहीं, बल्कि उसमें विश्वास करता है जिसने मुझे भेजा है। और जो मुझे देखता है, वह उसे देखता है जिसने मुझे भेजा है। मैं जगत में प्रकाश के रूप में आया ताकि हर वह व्यक्ति जो मुझ में विश्वास रखता है, अंधकार में न रहे। “यदि कोई मेरे शब्दों को सुनकर भी उनका पालन नहीं करता तो भी उसे मैं दोषी नहीं ठहराता क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने नहीं बल्कि उसका उद्धार करने आया हूँ। जो मुझे नकारता है और मेरे वचनों को स्वीकार नहीं करता, उसके लिये एक है जो उसका न्याय करेगा। वह है मेरा वचन जिसका उपदेश मैंने दिया है। अन्तिम दिन वही उसका न्याय करेगा। क्योंकि मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा है बल्कि परम पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, आदेश दिया है कि मैं क्या कहूँ और क्या उपदेश दूँ। और मैं जानता हूँ कि उसके आदेश का अर्थ है अनन्त जीवन। इसलिये मैं जो बोलता हूँ, वह ठीक वही है जो परम पिता ने मुझ से कहा है।”

योहन 12:20-50 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जो लोग पर्व के अवसर पर आराधना करने आए थे, उनमें कुछ यूनानी थे। उन्‍होंने फिलिप के पास आ कर यह निवेदन किया, “महाशय! हम येशु से मिलना चाहते हैं।” फिलिप गलील प्रदेश के बेतसैदा नगर का निवासी था। वह गया और उसने अन्‍द्रेयास को यह बताया। तब अन्‍द्रेयास तथा फिलिप गये और उन्‍होंने येशु को इसकी सूचना दी। येशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है, जब मानव-पुत्र महिमान्‍वित किया जाएगा। मैं तुम से सच-सच कहता हूँ− जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिर कर नहीं मर जाता, तब तक वह अकेला ही रहता है; परन्‍तु यदि वह मर जाता है, तो बहुत फल देता है। जो अपने प्राण को प्‍यार करता है, वह उसको नष्‍ट करता है और जो इस संसार में अपने प्राण से बैर करता है, वह उसे शाश्‍वत जीवन के लिए सुरक्षित रखता है। यदि कोई मेरी सेवा करना चाहता है, तो वह मेरा अनुसरण करे। जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी होगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका सम्‍मान करेगा। “अब मेरी आत्‍मा व्‍याकुल है। क्‍या मैं यह कहूँ, ‘पिता! इस घड़ी के संकट से मुझे बचा’? किन्‍तु इसी कारण मैं इस घड़ी तक पहुँचा हूँ। पिता! अपने नाम की महिमा कर।” उसी समय स्‍वर्ग से यह वाणी सुनाई पड़ी, “मैंने अपने नाम की महिमा की है, और फिर उसकी महिमा करूँगा।” आसपास खड़े लोग यह सुन कर बोले, “बादल गरजा।” कुछ लोगों ने कहा, “एक स्‍वर्गदूत ने उनसे कुछ कहा।” येशु ने उत्तर दिया, “यह वाणी मेरे लिए नहीं, बल्‍कि तुम लोगों के लिए हुई है। अब इस संसार का न्‍याय हो रहा है। अब इस संसार का अधिपति निकाल दिया जाएगा। और मैं, जब भूमि से ऊपर उठाया जाऊंगा, तब सब मनुष्‍यों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा।” इन शब्‍दों के द्वारा येशु ने संकेत किया कि उनकी मृत्‍यु किस प्रकार की होगी। लोगों ने उन्‍हें उत्तर दिया, “व्‍यवस्‍था हमें यह शिक्षा देती है कि मसीह सदा रहेंगे। फिर आप यह क्‍या कहते हैं कि मानव-पुत्र को ऊपर उठाया जाना अनिवार्य है? यह मानव-पुत्र कौन है?” इस पर येशु ने उनसे कहा, “अब थोड़े ही समय तक ज्‍योति तुम्‍हारे बीच रहेगी। जब तक ज्‍योति तुम्‍हारे पास है, आगे बढ़ते रहो। कहीं ऐसा न हो कि अन्‍धकार तुम को घेर ले। जो अन्‍धकार में चलता है, वह नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है। जब तक ज्‍योति तुम्‍हारे पास है, ज्‍योति में विश्‍वास करो, जिससे तुम ज्‍योति की संतान बन सको।” येशु यह कह कर चले गये और उनकी आँखों से छिप गये। यद्यपि येशु ने उनके सामने इतने आश्‍चर्यपूर्ण चिह्‍न दिखाए थे, तो भी उन्‍होंने येशु में विश्‍वास नहीं किया। यह अनिवार्य था कि नबी यशायाह का यह कथन पूरा हो जाए : ‘प्रभु! किसने हमारे सन्‍देश पर विश्‍वास किया? किस पर प्रभु का बाहुबल प्रकट हुआ?” वे इस कारण विश्‍वास नहीं कर सके; क्‍योंकि यशायाह ने यह भी कहा है : “परमेश्‍वर ने उनकी आँखों को अन्‍धा कर दिया और उनकी बुद्धि कुण्‍ठित कर दी है। परमेश्‍वर ने कहा : कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं उन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ।” यशायाह ने यह इसलिए बताया कि उन्‍होंने स्‍वयं येशु की महिमा देखी थी और उनके विषय में यह कहा था। फिर भी अधिकारियों में से बहुतों ने येशु में विश्‍वास किया। परन्‍तु वे फरीसियों के कारण येशु को प्रकट रूप से इसलिए स्‍वीकार नहीं करते थे कि कहीं सभागृह से उनका बहिष्‍कार न कर दिया जाए। उन्‍हें परमेश्‍वर के सम्‍मान की अपेक्षा मनुष्‍य का सम्‍मान अधिक प्रिय था। येशु ने पुकार कर कहा, “जो मुझ में विश्‍वास करता है, वह मुझ में नहीं, बल्‍कि जिसने मुझे भेजा है उसमें विश्‍वास करता है और जो मुझे देखता है, वह उसको देखता है, जिसने मुझे भेजा है। मैं ज्‍योति-जैसा संसार में आया हूँ, जिससे जो कोई मुझ में विश्‍वास करे, वह अन्‍धकार में नहीं रहे। यदि कोई मेरी शिक्षा सुन कर उस पर नहीं चलता, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता हूँ; क्‍योंकि मैं संसार को दोषी ठहराने नहीं, बल्‍कि संसार का उद्धार करने आया हूँ। जो मेरा तिरस्‍कार करता और मेरी शिक्षा ग्रहण करने से इन्‍कार करता है, उसको दोषी ठहराने वाला एक है : जो वचन मैंने कहा है, वही उसे अन्‍तिम दिन दोषी ठहराएगा। मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा। किन्‍तु पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, आदेश दिया है कि मुझे क्‍या कहना और क्‍या बोलना है। मैं जानता हूँ कि उसका आदेश शाश्‍वत जीवन है। इसलिए मैं जो कुछ कहता हूँ, उसे वैसे ही कहता हूँ, जैसे पिता ने मुझ से कहा है।”

योहन 12:20-50 Hindi Holy Bible (HHBD)

जो लोग उस पर्व में भजन करने आए थे उन में से कई यूनानी थे। उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहने वाले फिलेप्पुस के पास आकर उस से बिनती की, कि श्रीमान् हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं। फिलेप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलेप्पुस ने यीशु से कहा। इस पर यीशु ने उन से कहा, वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो। मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है। जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उस की रक्षा करेगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहां मैं हूं वहां मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा। जब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिये अब मैं क्या कहूं? हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा? परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं। हे पिता अपने नाम की महिमा कर: तब यह आकाशवाणी हुई, कि मैं ने उस की महिमा की है, और फिर भी करूंगा। तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, कोई स्वर्गदूत उस से बोला। इस पर यीशु ने कहा, यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है। अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा। और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपने पास खीचूंगा। ऐसा कहकर उस ने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा। इस पर लोगों ने उस से कहा, कि हम ने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है? यीशु ने उन से कहा, ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ॥ ये बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा। और उस ने उन के साम्हने इतने चिन्ह दिखाए, तौभी उन्होंने उस पर विश्वास न किया। ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उस ने कहा कि हे प्रभु हमारे समाचार की किस ने प्रतीति की है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने फिर भी कहा। कि उस ने उन की आंखें अन्धी, और उन का मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आंखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं। यशायाह ने ये बातें इसलिये कहीं, कि उस ने उस की महिमा देखी; और उस ने उसके विषय में बातें कीं। तौभी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएं। क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उन को परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी॥ यीशु ने पुकारकर कहा, जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन मेरे भेजने वाले पर विश्वास करता है। और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजने वाले को देखता है। मैं जगत में ज्योति होकर आया हूं ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अन्धकार में न रहे। यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूं। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उस को दोषी ठहराने वाला तो एक है: अर्थात जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा। क्योंकि मैं ने अपनी ओर से बातें नहीं कीं, परन्तु पिता जिस ने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या क्या कहूं और क्या क्या बोलूं और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं॥

योहन 12:20-50 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कुछ यूनानी थे। उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की, “श्रीमान्, हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।” फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा, तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने जाकर यीशु से कहा। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है कि मनुष्य के पुत्र की महिमा हो। मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है; परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है। जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है, वह अनन्त जीवन के लिये उस की रक्षा करेगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहाँ मैं हूँ, वहाँ मेरा सेवक भी होगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा। “अब मेरा जी व्याकुल है। इसलिये अब मैं क्या कहूँ? ‘हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?’ नहीं, क्योंकि मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ। हे पिता, अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैं ने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।” तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे उन्होंने कहा कि बादल गरजा। दूसरों ने कहा, “कोई स्वर्गदूत उससे बोला।” इस पर यीशु ने कहा, “यह शब्द मेरे लिये नहीं, परन्तु तुम्हारे लिये आया है। अब इस संसार का न्याय होता है, अब इस संसार का सरदार निकाल दिया जाएगा; और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।” ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा। इस पर लोगों ने उससे कहा, “हम ने व्यवस्था की यह बात सुनी है कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो, ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्‍वास करो ताकि तुम ज्योति की सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा। उसने उनके सामने इतने चिह्न दिखाए, तौभी उन्होंने उस पर विश्‍वास न किया; ताकि यशायाह भविष्यद्वक्‍ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा : “हे प्रभु, हमारे समाचार का किसने विश्‍वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ है?” इस कारण वे विश्‍वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है : “उसने उनकी आँखें अंधी, और उनका मन कठोर कर दिया है; कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।” यशायाह ने ये बातें इसलिये कहीं कि उसने उसकी महिमा देखी, और उसने उसके विषय में बातें की। तौभी अधिकारियों में से बहुतों ने उस पर विश्‍वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, कहीं ऐसा न हो कि वे आराधनालय में से निकाले जाएँ : क्योंकि मनुष्यों की ओर से प्रशंसा उनको परमेश्‍वर की ओर से प्रशंसा की अपेक्षा अधिक प्रिय लगती थी। यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्‍वास करता है, वह मुझ पर नहीं वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्‍वास करता है। और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है। मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ, ताकि जो कोई मुझ पर विश्‍वास करे वह अन्धकार में न रहे। यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा। क्योंकि मैं ने अपनी ओर से बातें नहीं कीं; परन्तु पिता जिसने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है कि क्या क्या कहूँ और क्या क्या बोलूँ? और मैं जानता हूँ कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है। इसलिये मैं जो कुछ बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूँ।”

योहन 12:20-50 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कई यूनानी थे। उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की, “श्रीमान हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।” फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो। मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है। जो अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिये उसकी रक्षा करेगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा। “ अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है । इसलिए अब मैं क्या कहूँ? ‘हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा?’ परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ। हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।” तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरों ने कहा, “कोई स्वर्गदूत उससे बोला।” इस पर यीशु ने कहा, “यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है। अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा। और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।” ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा। इस पर लोगों ने उससे कहा, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” (दानि. 7:14) यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे; जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा। और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए, तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया; ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा: “हे प्रभु, हमारे समाचार पर किसने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?” (यशा. 53:1) इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है: “उसने उनकी आँखें अंधी, और उनका मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आँखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।” (यशा. 6:10) यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं, कि उसने उसकी महिमा देखी; और उसने उसके विषय में बातें की। तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ। क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी। यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है। और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है। मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अंधकार में न रहे। यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा। क्योंकि मैंने अपनी ओर से बातें नहीं की, परन्तु पिता जिसने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या-क्या कहूँ और क्या-क्या बोलूँ? और मैं जानता हूँ, कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिए मैं जो बोलता हूँ, वह जैसा पिता ने मुझसे कहा है वैसा ही बोलता हूँ।”

योहन 12:20-50 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

पर्व की आराधना में सम्मिलित होने आए लोगों में कुछ यूनानी भी थे. उन्होंने गलील प्रदेश के बैथसैदावासी फ़िलिप्पॉस से विनती की, “श्रीमान! हम मसीह येशु से भेंट करना चाहते हैं.” फ़िलिप्पॉस ने आन्द्रेयास को यह सूचना दी और उन दोनों ने जाकर मसीह येशु को. यह सुनकर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मनुष्य के पुत्र के गौरवान्वित होने का समय आ गया है. मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक बीज भूमि में पड़कर मर न जाए, अकेला ही रहता है परंतु यदि वह मर जाए तो बहुत फलता है. जो अपने जीवन से प्रेम रखता है, उसे खो देता है परंतु जो इस संसार में अपने जीवन से प्रेम नहीं रखता, उसे अनंत जीवन के लिए सुरक्षित रखेगा. यदि कोई मेरी सेवा करता है, वह मेरे पीछे चले. मेरा सेवक वहीं होगा जहां मैं हूं. जो मेरी सेवा करता है, उसका पिता परमेश्वर आदर करेंगे. “इस समय मेरी आत्मा व्याकुल है. मैं क्या कहूं? ‘पिता, मुझे इस स्थिति से बचा लीजिए’? किंतु इसी कारण से तो मैं यहां तक आया हूं. पिता, अपने नाम का गौरव कीजिए.” इस पर स्वर्ग से निकलकर यह आवाज सुनाई दी, “मैंने तुम्हें गौरवान्वित किया है, और दोबारा गौरवान्वित करूंगा.” भीड़ ने जब यह सुना तो कुछ ने कहा, “देखो, बादल गरजा!” अन्य कुछ ने कहा, “किसी स्वर्गदूत ने उनसे कुछ कहा है.” इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “यह आवाज मेरे नहीं, तुम्हारे लिए है. इस संसार के न्याय का समय आ गया है और अब इस संसार के हाकिम को निकाल दिया जाएगा. जब मैं पृथ्वी से ऊंचे पर उठाया जाऊंगा तो सब लोगों को अपनी ओर खींच लूंगा.” इसके द्वारा मसीह येशु ने यह संकेत दिया कि उनकी मृत्यु किस प्रकार की होगी. भीड़ ने उनसे प्रश्न किया, “हमने व्यवस्था में से सुना है कि मसीह का अस्तित्व सर्वदा रहेगा. आप यह कैसे कहते हैं कि मनुष्य के पुत्र का ऊंचे पर उठाया जाना ज़रूरी है? कौन है यह मनुष्य का पुत्र?” तब मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “ज्योति तुम्हारे मध्य कुछ ही समय तक है. जब तक ज्योति है, चलते रहो, ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे क्योंकि जो अंधकार में चलता है, वह नहीं जानता कि किस ओर जा रहा है. जब तक तुम्हारे पास ज्योति है, ज्योति में विश्वास करो कि तुम ज्योति की संतान बन सको.” यह कहकर मसीह येशु वहां से चले गए और उनसे छिपे रहे. यद्यपि मसीह येशु ने उनके सामने अनेक अद्भुत चिन्ह दिखाए थे तौभी वे लोग उनमें विश्वास नहीं कर रहे थे; जिससे भविष्यवक्ता यशायाह का यह वचन पूरा हो: “प्रभु, किसने हमारी बातों पर विश्वास किया और प्रभु का हाथ किस पर प्रकट हुआ है?” वे विश्वास इसलिये नहीं कर पाये कि भविष्यवक्ता यशायाह ने यह भी कहा है: “परमेश्वर ने उनकी आंखें अंधी तथा उनका ह्रदय कठोर कर दिया, कहीं ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, मन से समझें और पश्चाताप कर लें, और मैं उन्हें स्वस्थ कर दूं.” यशायाह ने यह वर्णन इसलिये किया कि उन्होंने प्रभु का प्रताप देखा और उसका वर्णन किया. अनेकों ने, यहां तक कि अधिकारियों ने भी मसीह येशु में विश्वास किया किंतु फ़रीसियों के कारण सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया कि कहीं उन्हें यहूदी सभागृह से निकाल न दिया जाए क्योंकि उन्हें परमेश्वर से प्राप्‍त आदर की तुलना में मनुष्यों से प्राप्‍त आदर अधिक प्रिय था. मसीह येशु ने ऊंचे शब्द में कहा, “जो कोई मुझमें विश्वास करता है, वह मुझमें ही नहीं परंतु मेरे भेजनेवाले में विश्वास करता है. क्योंकि जो कोई मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है. मैं संसार में ज्योति बनकर आया हूं कि वे सभी, जो मुझमें विश्वास करें, अंधकार में न रहें. “मैं उस व्यक्ति पर दोष नहीं लगाता, जो मेरे संदेश सुनकर उनका पालन नहीं करता क्योंकि मैं संसार पर दोष लगाने नहीं परंतु संसार के उद्धार के लिए आया हूं. जो कोई मेरा तिरस्कार करता है और मेरे समाचार को ग्रहण नहीं करता, उस पर आरोप लगानेवाला एक ही है: मेरा समाचार; वही उसे अंतिम दिन दोषी घोषित करेगा. मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा, परंतु मेरे पिता ने, जो मेरे भेजनेवाले हैं, आज्ञा दी है कि मैं क्या कहूं और कैसे कहूं. मैं जानता हूं कि उनकी आज्ञा का पालन अनंत जीवन है. इसलिये जो कुछ मैं कहता हूं, ठीक वैसा ही कहता हूं, जैसा पिता ने मुझे कहने की आज्ञा दी है.”