योहन 4:1-20

योहन 4:1-20 पवित्र बाइबल (HERV)

जब यीशु को पता चला कि फरीसियों ने सुना है कि यीशु यूहन्ना से अधिक लोगों को बपतिस्मा दे रहा है और उन्हें शिष्य बना रहा है। (यद्यपि यीशु स्वयं बपतिस्मा नहीं दे रहा था बल्कि यह उसके शिष्य कर रहे थे।) तो वह यहूदिया को छोड़कर एक बार फिर वापस गलील चला गया। इस बार उसे सामरिया होकर जाना पड़ा। इसलिये वह सामरिया के एक नगर सूखार में आया। यह नगर उस भूमि के पास था जिसे याकूब ने अपने बेटे यूसुफ को दिया था। वहाँ याकूब का कुआँ था। यीशु इस यात्रा में बहुत थक गया था इसलिये वह कुएँ के पास बैठ गया। समय लगभग दोपहर का था। एक सामरी स्त्री जल भरने आई। यीशु ने उससे कहा, “मुझे जल दे।” शिष्य लोग भोजन खरीदने के लिए नगर में गये हुए थे। सामरी स्त्री ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर भी मुझसे पीने के लिए जल क्यों माँग रहा है, मैं तो एक सामरी स्त्री हूँ!” (यहूदी तो सामरियों से कोई सम्बन्ध नहीं रखते।) उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “यदि तू केवल इतना जानती कि परमेश्वर ने क्या दिया है और वह कौन है जो तुझसे कह रहा है, ‘मुझे जल दे’ तो तू उससे माँगती और वह तुझे स्वच्छ जीवन-जल प्रदान करता।” स्त्री ने उससे कहा, “हे महाशय, तेरे पास तो कोई बर्तन तक नहीं है और कुआँ बहुत गहरा है फिर तेरे पास जीवन-जल कैसे हो सकता है? निश्चय तू हमारे पूर्वज याकूब से बड़ा है! जिसने हमें यह कुआँ दिया और अपने बच्चों और मवेशियों के साथ खुद इसका जल पिया था।” उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “हर एक जो इस कुआँ का पानी पीता है, उसे फिर प्यास लगेगी। किन्तु वह जो उस जल को पियेगा, जिसे मैं दूँगा, फिर कभी प्यासा नहीं रहेगा। बल्कि मेरा दिया हुआ जल उसके अन्तर में एक पानी के झरने का रूप ले लेगा जो उमड़-घुमड़ कर उसे अनन्त जीवन प्रदान करेगा।” तब उस स्त्री ने उससे कहा, “हे महाशय, मुझे वह जल प्रदान कर ताकि मैं फिर कभी प्यासी न रहूँ और मुझे यहाँ पानी खेंचने न आना पड़े।” इस पर यीशु ने उससे कहा, “जाओ अपने पति को बुलाकर यहाँ ले आओ।” उत्तर में स्त्री ने कहा, “मेरा कोई पति नहीं है।” यीशु ने उससे कहा, “जब तुम यह कहती हो कि तुम्हारा कोई पति नहीं है तो तुम ठीक कहती हो। तुम्हारे पाँच पति थे और तुम अब जिस पुरुष के साथ रहती हो वह भी तुम्हारा पति नहीं है इसलिये तुमने जो कहा है सच कहा है।” इस पर स्त्री ने उससे कहा, “महाशय, मुझे तो लगता है कि तू नबी है। हमारे पूर्वजों ने इस पर्वत पर आराधना की है पर तू कहता है कि यरूशलेम ही आराधना की जगह है।”

योहन 4:1-20 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

फरीसियों को यह सूचना मिली कि येशु योहन की अपेक्षा अधिक शिष्‍य बनाते और बपतिस्‍मा देते हैं − यद्यपि येशु स्‍वयं नहीं, बल्‍कि उनके शिष्‍य बपतिस्‍मा देते थे। जब येशु को इसका पता चला, तब वह यहूदा प्रदेश छोड़ कर फिर गलील प्रदेश को चले गए। उन्‍हें सामरी प्रदेश हो कर जाना था। अत: वह सामरी प्रदेश के सुखार नामक नगर पहुँचे। यह नगर उस भूमि के निकट है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। वहाँ याकूब का कुआँ है। येशु यात्रा से थक गये थे, इसलिए वह कुएँ के पास यों ही बैठ गये। यह लगभग दोपहर का समय था। एक सामरी स्‍त्री पानी भरने आयी। येशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिलाओ।” क्‍योंकि उनके शिष्‍य नगर में भोजन खरीदने गये थे। यहूदी लोग सामरियों से कोई सम्‍बन्‍ध नहीं रखते। इसलिए सामरी स्‍त्री ने येशु से कहा, “यह क्‍या कि आप यहूदी हो कर भी मुझ सामरी स्‍त्री से पीने के लिए पानी माँग रहे हैं?” येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्‍वर का वरदान पहचानती और यह जानती कि वह कौन है, जो तुम से कह रहा है, ‘मुझे पानी पिलाओ’, तो तुम उससे माँगती और वह तुम्‍हें संजीवन जल देता।” स्‍त्री ने उनसे कहा, “महोदय! पानी खींचने के लिए आपके पास कुछ भी नहीं है और कुआँ गहरा है; तो आप को यह संजीवन जल कहाँ से मिलेगा? क्‍या आप हमारे पिता याकूब से भी महान् हैं? उन्‍होंने हमें यह कुआँ दिया। वह स्‍वयं, उनके पुत्र और उनके पशु भी इस कुएँ से पानी पीते थे।” येशु ने कहा, “जो यह पानी पीता है, उसे फिर प्‍यास लगेगी, किन्‍तु जो मेरा दिया हुआ जल पीता है, उसे फिर कभी प्‍यास नहीं लगेगी। जो जल मैं उसे प्रदान करूँगा, वह उस में जल-स्रोत बन जाएगा, जो शाश्‍वत जीवन तक उमड़ता रहेगा।” इस पर स्‍त्री ने कहा, “महोदय! मुझे वह जल दीजिए, जिससे मुझे फिर प्‍यास न लगे और मुझे यहाँ पानी भरने के लिए नहीं आना पड़े।” येशु ने उस से कहा, “जाओ, अपने पति को यहाँ बुला लाओ।” स्‍त्री ने उत्तर दिया, “मेरा कोई पति नहीं है।” येशु ने उससे कहा, “तुम ने ठीक ही कहा कि मेरा कोई पति नहीं है। तुम्‍हारे पाँच पति रह चुके हैं और जिसके साथ तुम अभी रहती हो, वह तुम्‍हारा पति नहीं है। यह तुम ने ठीक ही कहा।” स्‍त्री ने उन से कहा, “महोदय! मैं समझ गयी। आप कोई नबी हैं। हमारे पूर्वज इस पहाड़ पर आराधना करते थे और आप यहूदी लोग कहते हैं कि यरूशलेम ही वह स्‍थान है जहाँ आराधना करना चाहिए।”

योहन 4:1-20 Hindi Holy Bible (HHBD)

फिर जब प्रभु को मालूम हुआ, कि फरीसियों ने सुना है, कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता, और उन्हें बपतिस्मा देता है। (यद्यपि यीशु आप नहीं वरन उसके चेले बपतिस्मा देते थे)। तब यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया। और उस को सामरिया से होकर जाना अवश्य था। सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं। यीशु ने उस से कहा, जा, अपने पति को यहां बुला ला। स्त्री ने उत्तर दिया, कि मैं बिना पति की हूं: यीशु ने उस से कहा, तू ठीक कहती है कि मैं बिना पति की हूं। क्योंकि तू पांच पति कर चुकी है, और जिस के पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तू ने सच कहा है। स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे ज्ञात होता है कि तू भविष्यद्वक्ता है। हमारे बाप दादों ने इसी पहाड़ पर भजन किया: और तुम कहते हो कि वह जगह जहां भजन करना चाहिए यरूशलेम में है।

योहन 4:1-20 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

फिर जब प्रभु को मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता और उन्हें बपतिस्मा देता है – यद्यपि यीशु स्वयं नहीं वरन् उसके चेले बपतिस्मा देते थे – तब वह यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला, और उसको सामरिया से होकर जाना अवश्य था। इसलिये वह सूखार नामक सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था; और याकूब का कूआँ भी वहीं था। अत: यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएँ पर योंही बैठ गया। यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने आई। यीशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिला।” क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। उस सामरी स्त्री ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों माँगता है?” (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते।) यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तू परमेश्‍वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।” स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआँ गहरा है; तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया? क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआँ दिया; और आप ही अपनी सन्तान, और अपने पशुओं समेत इसमें से पीया?” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा, परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।” स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊँ और न जल भरने को इतनी दूर आऊँ।” यीशु ने उससे कहा, “जा, अपने पति को यहाँ बुला ला।” स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं बिना पति की हूँ।” यीशु ने उससे कहा, “तू ठीक कहती है, ‘मैं बिना पति की हूँ।’ क्योंकि तू पाँच पति कर चुकी है, और जिसके पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं। यह तू ने सच ही कहा है।” स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्‍ता है। हमारे बापदादों ने इसी पहाड़ पर आराधना की, और तुम कहते हो कि वह जगह जहाँ आराधना करनी चाहिए यरूशलेम में है।”

योहन 4:1-20 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

फिर जब प्रभु को मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता और उन्हें बपतिस्मा देता है। (यद्यपि यीशु स्वयं नहीं वरन् उसके चेले बपतिस्मा देते थे), तब वह यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया, और उसको सामरिया से होकर जाना अवश्य था। इसलिए वह सूखार नामक सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। और याकूब का कुआँ भी वहीं था। यीशु मार्ग का थका हुआ उस कुएँ पर ऐसे ही बैठ गया। और यह बात दोपहर के समय हुई। इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई। यीशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिला।” क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। उस सामरी स्त्री ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों माँगता है?” क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते। (प्रेरि. 108:28) यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।” स्त्री ने उससे कहा, “हे स्वामी, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कुआँ गहरा है; तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया? क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कुआँ दिया; और आप ही अपनी सन्तान, और अपने पशुओं समेत उसमें से पीया?” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा, परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा, जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।” स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊँ और न जल भरने को इतनी दूर आऊँ।” यीशु ने उससे कहा, “जा, अपने पति को यहाँ बुला ला।” स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं बिना पति की हूँ।” यीशु ने उससे कहा, “तू ठीक कहती है, ‘मैं बिना पति की हूँ।’ क्योंकि तू पाँच पति कर चुकी है, और जिसके पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तूने सच कहा है।” स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्ता है। हमारे पूर्वजों ने इसी पहाड़ पर भजन किया, और तुम कहते हो कि वह जगह जहाँ भजन करना चाहिए यरूशलेम में है।” (व्यव. 11:29)

योहन 4:1-20 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

जब मसीह येशु को यह मालूम हुआ कि फ़रीसियों के मध्य उनके विषय में चर्चा हो रही है कि वह योहन से अधिक शिष्य बनाते और बपतिस्मा देते हैं; यद्यपि स्वयं मसीह येशु नहीं परंतु उनके शिष्य बपतिस्मा देते थे, तब वह यहूदिया प्रदेश छोड़कर पुनः गलील प्रदेश को लौटे. उन्हें शमरिया प्रदेश में से होकर जाना पड़ा. वह शमरिया प्रदेश के सूख़ार नामक नगर पहुंचे. यह नगर उस भूमि के पास है, जो याकोब ने अपने पुत्र योसेफ़ को दी थी. याकोब का कुंआ भी वहीं था. यात्रा से थके मसीह येशु कुएं के पास बैठ गए. यह लगभग दिन का बारह बजे का समय था. उसी समय शमरियावासी एक स्त्री उस कुएं से जल भरने आई. मसीह येशु ने उससे कहा, “मुझे पीने के लिए जल दो.” उस समय मसीह येशु के शिष्य नगर में भोजन लेने गए हुए थे. इस पर आश्चर्य करते हुए उस शमरियावासी स्त्री ने मसीह येशु से पूछा, “आप यहूदी होकर मुझ शमरियावासी से जल कैसे मांग रहे हैं?” (यहूदी शमरियावासियों से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखते थे.) मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्वर के वरदान को जानतीं और यह पहचानतीं कि वह कौन है, जो तुमसे कह रहा है, ‘मुझे पीने के लिए जल दो,’ तो तुम उससे मांगतीं और वह तुम्हें जीवन का जल देता.” स्त्री ने कहा, “किंतु श्रीमन, आपके पास तो जल निकालने के लिए कोई बर्तन भी नहीं है और कुंआ बहुत गहरा है; जीवन का जल आपके पास कहां से आया! आप हमारे कुलपिता याकोब से बढ़कर तो हैं नहीं, जिन्होंने हमें यह कुंआ दिया, जिसमें से स्वयं उन्होंने, उनकी संतान ने और उनके पशुओं ने भी पिया.” मसीह येशु ने कहा, “कुएं का जल पीकर हर एक व्यक्ति फिर प्यासा होगा. किंतु जो व्यक्ति मेरा दिया हुआ जल पिएगा वह आजीवन किसी भी प्रकार से प्यासा न होगा. और वह जल जो मैं उसे दूंगा, उसमें से अनंत काल के जीवन का सोता बनकर फूट निकलेगा.” यह सुनकर स्त्री ने उनसे कहा, “श्रीमन, आप मुझे भी वह जल दीजिए कि मुझे न प्यास लगे और न ही मुझे यहां तक जल भरने आते रहना पड़े.” मसीह येशु ने उससे कहा, “जाओ, अपने पति को यहां लेकर आओ.” स्त्री ने उत्तर दिया, “मेरे पति नहीं है.” मसीह येशु ने उससे कहा, “तुमने सच कहा कि तुम्हारा पति नहीं है. सच यह है कि पांच पति पहले ही तुम्हारे साथ रह चुके हैं और अब भी जो तुम्हारे साथ रह रहा है, तुम्हारा पति नहीं है.” यह सुन स्त्री ने उनसे कहा, “श्रीमन, ऐसा लगता है कि आप भविष्यवक्ता हैं. हमारे पूर्वज इस पर्वत पर आराधना करते थे किंतु आप यहूदी लोग कहते हैं कि येरूशलेम ही वह स्थान है, जहां आराधना करना सही है.”