अय्‍यूब 32:9-22

अय्‍यूब 32:9-22 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जो बुद्धिमान हैं वे बड़ी आयु के लोग ही नहीं, और न्याय के समझनेवाले बूढ़े ही नहीं होते। इसलिये मैं कहता हूँ, ‘मेरी भी सुनो; मैं भी अपना विचार बताऊँगा।’ “मैं तो तुम्हारी बातें सुनने को ठहरा रहा, मैं तुम्हारे प्रमाण सुनने के लिये ठहरा रहा; जब कि तुम कहने के लिये शब्द ढूँढ़ते रहे। मैं चित्त लगाकर तुम्हारी सुनता रहा। परन्तु किसी ने अय्यूब के पक्ष का खण्डन नहीं किया, और न उसकी बातों का उत्तर दिया। तुम लोग मत समझो कि हम को ऐसी बुद्धि मिली है, कि उसका खण्डन मनुष्य नहीं परमेश्‍वर ही कर सकता है। जो बातें उस ने कहीं वह मेरे विरुद्ध नहीं कहीं, और न मैं तुम्हारी सी बातों से उसको उत्तर दूँगा। “वे विस्मित हुए, और फिर कुछ उत्तर नहीं दिया; उन्होंने बातें करना छोड़ दिया। इसलिये कि वे कुछ नहीं बोलते और चुपचाप खड़े हैं, क्या इस कारण मैं ठहरा रहूँ? परन्तु अब मैं भी कुछ कहूँगा, मैं भी अपना विचार प्रगट करूँगा। क्योंकि मेरे मन में बातें भरी हैं, और मेरी आत्मा मुझे उभार रही है। मेरा मन उस दाखमधु के समान है, जो खोला न गया हो; वह नई कुप्पियों के समान फटा चाहता है। शान्ति पाने के लिये मैं बोलूँगा; मैं मुँह खोलकर उत्तर दूँगा। न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य की चापलूसी करूँगा। क्योंकि मुझे तो चापलूसी करना आता ही नहीं नहीं तो मेरा सिरजनहार क्षण भर में मुझे उठा लेता।

अय्‍यूब 32:9-22 पवित्र बाइबल (HERV)

आयु में बड़े व्यक्ति ही नहीं ज्ञानी होते है। क्या बस बड़ी उम्र के लोग ही यह जानते हैं कि उचित क्या है? “सो इसलिये मैं एलीहू जो कुछ मैं जानता हूँ। तुम मेरी बात सुनों मैं तुम को बताता हूँ कि मैं क्या सोचता हूँ। जब तक तुम लोग बोलते रहे, मैंने धैर्य से प्रतिक्षा की, मैंने तुम्हारे तर्क सुने जिनको तुमने व्यक्त किया था, जो तुमने चुन चुन कर अय्यूब से कहे। जब तुम मार्मिक शब्दों से जतन कर रहे थे, अय्यूब को उत्तर देने का तो मैं ध्यान से सुनता रहा। किन्तु तुम तीनों ही यह प्रमाणित नहीं कर पाये कि अय्यूब बुरा है। तुममें से किसी ने भी अय्यूब के तर्को का उत्तर नहीं दिया। तुम तीनों ही लोगों को यही नहीं कहना चाहिये था कि तुमने ज्ञान को प्राप्त कर लिया है। लोग नहीं, परमेश्वर निश्चय ही अय्यूब के तर्को का उत्तर देगा। किन्तु अय्यूब मेरे विरोध में नहीं बोल रहा था, इसलिये मैं उन तर्को का प्रयोग नहीं करुँगा जिसका प्रयोग तुम तीनों ने किया था। “अय्यूब, तेरे तीनो ही मित्र असमंजस में पड़ें हैं, उनके पास कुछ भी और कहने को नहीं हैं, उनके पास और अधिक उत्तर नहीं हैं। ये तीनों लोग यहाँ चुप खड़े हैं और उनके पास उत्तर नहीं है। सो क्या अभी भी मुझको प्रतिक्षा करनी होगी? नहीं! मैं भी निज उत्तर दूँगा। मैं भी बताऊँगा तुम को कि मैं क्या सोचता हूँ। क्योंकि मेरे पास सहने को बहुत है मेरे भीतर जो आत्मा है, वह मुझको बोलने को विवश करती है। मैं अपने भीतर ऐसी दाखमधु सा हूँ, जो शीघ्र ही बाहर उफन जाने को है। मैं उस नयी दाखमधु मशक जैसा हूँ जो शीघ्र ही फटने को है। सो निश्चय ही मुझे बोलना चाहिये, तभी मुझे अच्छा लगेगा। अपना मुख मुझे खोलना चाहिये और मुझे अय्यूब की शिकायतों का उत्तर देना चाहिये। इस बहस में मैं किसी भी व्यक्ति का पक्ष नहीं लूँगा और मैं किसी का खुशामद नहीं करुँगा। मैं नहीं जानता हूँ कि कैसे किसी व्यक्ति की खुशामद की जाती है। यदि मैं किसी व्यक्ति की खुशामद करना जानता तो शीघ्र ही परमेश्वर मुझको दण्ड देता।

अय्‍यूब 32:9-22 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

यह बात सच नहीं है कि केवल बड़े-बूढ़े ही बुद्धिमान होते हैं, कि न्‍याय को समझने वाले वृद्ध ही होते हैं। अत: मेरा आपसे निवेदन है, मेरी बात भी सुनिए, इस विषय पर मुझे भी अपना मत प्रकट करने दीजिए। ‘देखिए मैं आपकी बातों की प्रतीक्षा करता रहा; मैंने आपके बुद्धिमत्तापूर्ण तर्क सुने, मैंने ढूंढ़-ढूंढ़ कर प्रमाण प्रस्‍तुत किए। मैंने आप लोगों की बातें ध्‍यान से सुनीं, पर किसी ने भी अय्‍यूब के पक्ष का खण्‍डन नहीं किया, और न उनके तर्कों का उत्तर दिया। आप भ्रम में मत रहिए कि आपने बुद्धि पा ली है; केवल परमेश्‍वर ही अय्‍यूब को उनकी भूल बता सकता है, मनुष्‍य नहीं! अय्‍यूब ने मेरे विरुद्ध कुछ नहीं कहा, और न मैं आप लोगों के तर्कों के समान उनको उत्तर दूंगा।’ एलीहू ने स्‍वयं से कहा, ‘अय्‍यूब के मित्र घबरा गए हैं, उन्‍हें उत्तर सूझ नहीं रहा है। उनके पास उत्तर देने को शब्‍द नहीं रहे। वे चुपचाप खड़े हैं, और उत्तर नहीं दे रहे हैं। वे चुप हैं तो क्‍या मैं भी चुप रहूं और प्रतीक्षा करूं? नहीं, मैं भी अय्‍यूब को उत्तर दूंगा; मैं भी अपना मत प्रकट करूंगा। मेरे मन में तर्क भरे पड़े हैं; मेरी आत्‍मा मुझे भीतर से प्रेरित कर रही है। मेरा हृदय उस शराब के समान है, जो चर्मपात्र में बन्‍द है, और जो बाहर छलकने के लिए विकल है। वह नई शराब के कुप्‍पे की तरह है, जो फटा जा रहा है! हृदय की शान्‍ति के लिए मुझे बोलना ही पड़ेगा; मुझे अपने ओंठ खोलकर अय्‍यूब को उत्तर देना ही होगा। मैं किसी के प्रति पक्षपात नहीं करूंगा; और न ही किसी की चापलूसी करूंगा। क्‍योंकि मुझे चापलूसी करना नहीं आता, अन्‍यथा मुझे रचनेवाला मेरा परमेश्‍वर तुरन्‍त मेरा अन्‍त कर देता!

अय्‍यूब 32:9-22 Hindi Holy Bible (HHBD)

जो बुद्धिमान हैं वे बड़े बड़े लोग ही नहीं और न्याय के समझने वाले बूढ़े ही नहीं होते। इसलिये मैं कहता हूं, कि मेरी भी सुनो; मैं भी अपना विचार बताऊंगा। मैं तो तुम्हारी बातें सुनने को ठहरा रहा, मैं तुम्हारे प्रमाण सुनने के लिये ठहरा रहा; जब कि तुम कहने के लिये शब्द ढूंढ़ते रहे। मैं चित्त लगा कर तुम्हारी सुनता रहा। परन्तु किसी ने अय्यूब के पक्ष का खण्डन नहीं किया, और न उसकी बातों का उत्तर दिया। तुम लोग मत समझो कि हम को ऐसी बुद्धि मिली है, कि उसका खण्डन मनुष्य नहीं ईश्वर ही कर सकता है। जो बातें उसने कहीं वह मेरे विरुद्ध तो नहीं कहीं, और न मैं तुम्हारी सी बातों से उसको उत्तर दूंगा। वे विस्मित हुए, और फिर कुछ उत्तर नहीं दिया; उन्होंने बातें करना छोड़ दिया। इसलिये कि वे कुछ नहीं बोलते और चुपचाप खड़े हैं, क्या इस कारण मैं ठहरा रहूं? परन्तु अब मैं भी कुछ कहूंगा मैं भी अपना विचार प्रगट करूंगा। क्योंकि मेरे मन में बातें भरी हैं, और मेरी आत्मा मुझे उभार रही है। मेरा मन उस दाखमधु के समान है, जो खोला न गया हो; वह नई कुप्पियों की नाईं फटा चाहता है। शान्ति पाने के लिये मैं बोलूंगा; मैं मुंह खोल कर उत्तर दूंगा। न मैं किसी आदमी का पक्ष करूंगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूंगा। क्योंकि मुझे तो चापलूसी करना आता ही नहीं नहीं तो मेरा सिरजनहार झण भर में मुझे उठा लेता।

अय्‍यूब 32:9-22 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जो बुद्धिमान हैं वे बड़े-बड़े लोग ही नहीं और न्याय के समझनेवाले बूढ़े ही नहीं होते। इसलिए मैं कहता हूँ, ‘मेरी भी सुनो; मैं भी अपना विचार बताऊँगा।’ “मैं तो तुम्हारी बातें सुनने को ठहरा रहा, मैं तुम्हारे प्रमाण सुनने के लिये ठहरा रहा; जबकि तुम कहने के लिये शब्द ढूँढ़ते रहे। मैं चित्त लगाकर तुम्हारी सुनता रहा। परन्तु किसी ने अय्यूब के पक्ष का खण्डन नहीं किया, और न उसकी बातों का उत्तर दिया। तुम लोग मत समझो कि हमको ऐसी बुद्धि मिली है, कि उसका खण्डन मनुष्य नहीं परमेश्वर ही कर सकता है। जो बातें उसने कहीं वह मेरे विरुद्ध तो नहीं कहीं, और न मैं तुम्हारी सी बातों से उसको उत्तर दूँगा। “वे विस्मित हुए, और फिर कुछ उत्तर नहीं दिया; उन्होंने बातें करना छोड़ दिया। इसलिए कि वे कुछ नहीं बोलते और चुपचाप खड़े हैं, क्या इस कारण मैं ठहरा रहूँ? परन्तु अब मैं भी कुछ कहूँगा, मैं भी अपना विचार प्रगट करूँगा। क्योंकि मेरे मन में बातें भरी हैं, और मेरी आत्मा मुझे उभार रही है। मेरा मन उस दाखमधु के समान है, जो खोला न गया हो; वह नई कुप्पियों के समान फटा जाता है। शान्ति पाने के लिये मैं बोलूँगा; मैं मुँह खोलकर उत्तर दूँगा। न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूँगा। क्योंकि मुझे तो चापलूसी करना आता ही नहीं, नहीं तो मेरा सृजनहार क्षण भर में मुझे उठा लेता।

अय्‍यूब 32:9-22 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

संभावना तो यह है कि बड़े में विद्वत्ता ही न हो, तथा बड़े में न्याय की कोई समझ न हो. “तब मैंने भी अपनी इच्छा प्रकट की ‘मेरी भी सुन लीजिए; मैं अपने विचार व्यक्त करूंगा.’ सुनिए, अब तक मैं आप लोगों के वक्तव्य सुनता हुआ ठहरा रहा हूं, आप लोगों के विचार भी मैंने सुन लिए हैं, जो आप लोग घोर विचार करते हुए प्रस्तुत कर रहे थे. मैं आपके वक्तव्य बड़े ही ध्यानपूर्वक सुनता रहा हूं. निःसंदेह ऐसा कोई भी न था जिसने महोदय अय्योब के शब्दों का विरोध किया हो; आप में से एक ने भी उनका उत्तर नहीं दिया. अब यह मत बोलना, ‘हमें ज्ञान की उपलब्धि हो गई है; मनुष्य नहीं, स्वयं परमेश्वर ही उनके तर्कों का खंडन करेंगे.’ क्योंकि अय्योब ने अपना वक्तव्य मेरे विरोध में लक्षित नहीं किया था, मैं तो उन्हें आप लोगों के समान विचार से उत्तर भी न दे सकूंगा. “वे निराश हो चुके हैं, अब वे उत्तर ही नहीं दे रहे; अब तो उनके पास शब्द न रह गए हैं. क्या उनके चुप रहने के कारण मुझे प्रतीक्षा करना होगा, क्योंकि अब वे वहां चुपचाप खड़े हुए हैं, उत्तर देने के लिए उनके सामने कुछ न रहा है. तब मैं भी अपने विचार प्रस्तुत करूंगा; मैं भी वह सब प्रकट करूंगा, जो मुझे मालूम है. विचार मेरे मन में समाए हुए हैं, मेरी आत्मा मुझे प्रेरित कर रही है. मेरा हृदय तो दाखमधु समान है, जिसे बंद कर रखा गया है, ऐसा जैसे नये दाखरस की बोतल फटने ही वाली है. जो कुछ मुझे कहना है, उसे कहने दीजिए, ताकि मेरे हृदय को शांति मिल जाए; मुझे उत्तर देने दीजिए. मैं अब किसी का पक्ष न लूंगा और न किसी की चापलूसी ही करूंगा; क्योंकि चापलूसी मेरे स्वभाव में नहीं है, तब यदि मैं यह करने लगूं, मेरे रचयिता मुझे यहां से उठा लें.