लूकस 14:28-30
लूकस 14:28-30 Hindi Holy Bible (HHBD)
तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की बिसात मेरे पास है कि नहीं? कहीं ऐसा न हो, कि जब नेव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखने वाले यह कहकर उसे ठट्ठों में उड़ाने लगें। कि यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?
लूकस 14:28-30 पवित्र बाइबल (HERV)
“यदि तुममें से कोई बुर्ज बनाना चाहे तो क्या वह पहले बैठ कर उसके मूल्य का, यह देखने के लिये कि उसे पूरा करने के लिये उसके पास काफ़ी कुछ है या नहीं, हिसाब-किताब नहीं लगायेगा? नहीं तो वह नींव तो डाल देगा और उसे पूरा न कर पाने से, जिन्होंने उसे शुरू करते देखा, सब उसकी हँसी उड़ायेंगे और कहेंगे, ‘अरे देखो इस व्यक्ति ने बनाना प्रारम्भ तो किया, पर यह उसे पूरा नहीं कर सका।’
लूकस 14:28-30 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
“तुम में ऐसा कौन होगा, जो मीनार बनवाना चाहे और पहले बैठ कर खर्च का हिसाब न लगाए और यह न देखे कि क्या उसे पूरा करने की पूँजी उसके पास है? कहीं ऐसा न हो कि नींव डालने के बाद वह निर्माण-कार्य, पूरा न कर सके और देखने वाले यह कहते हुए उसकी हँसी उड़ाने लगें, ‘इस मनुष्य ने निर्माण-कार्य प्रारम्भ तो किया, किन्तु यह उसे पूरा नहीं कर सका।’
लूकस 14:28-30 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
“तुम में से कौन है जो गढ़ बनाना चाहता हो, और पहले बैठकर खर्च न जोड़े कि पूरा करने की सामर्थ्य मेरे पास है कि नहीं? कहीं ऐसा न हो कि जब वह नींव डाल ले पर तैयार न कर सके, तो सब देखनेवाले यह कहकर उसे ठट्ठों में उड़ाने लगें, ‘यह मनुष्य बनाने तो लगा पर तैयार न कर सका?’
लूकस 14:28-30 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
“तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की सामर्थ्य मेरे पास है कि नहीं? कहीं ऐसा न हो, कि जब नींव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखनेवाले यह कहकर उसका उपहास करेंगे, ‘यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?’
लूकस 14:28-30 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
“तुममें ऐसा कौन है, जो भवन निर्माण करना चाहे और पहले बैठकर खर्च का अनुमान न करे कि उसके पास निर्माण काम पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि है भी या नहीं? अन्यथा यदि वह नींव डाल ले और काम पूरा न कर पाए तो देखनेवालों के ठट्ठों का कारण बन जाएगा: ‘देखो, देखो! इसने काम प्रारंभ तो कर दिया किंतु अब समाप्त नहीं कर पा रहा!’