नीतिवचन 4:16-27
नीतिवचन 4:16-27 पवित्र बाइबल (HERV)
वे बुरे काम किये बिना सो नहीं पाते। वे नींद खो बैठते हैं जब तक किसी को नहीं गिराते। वे तो बस सदा नीचता की रोटी खाते और हिंसा का दाखमधु पीते हैं। किन्तु धर्मी का पथ वैसा होता है जैसी प्रात: किरण होती है। जो दिन की परिपूर्णता तक अपने प्रकाश में बढ़ती ही चली जाती है। किन्तु पापी का मार्ग सघन, अन्धकार जैसा होता है। वे नहीं जान पाते कि किससे टकराते हैं। हे मेरे पुत्र, जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दे। मेरे वचनों को तू कान लगा कर सुन। उन्हें अपनी दृष्टि से ओझल मत होने दे। अपने हृदय पर तू उन्हें धरे रह। क्योंकि जो उन्हें पाते हैं उनके लिये वे जीवन बन जाते हैं और वे एक पुरुष की समपूर्ण काया का स्वास्थ्य बनते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि तू अपने विचारों के बारे में सावधान रह। क्योंकि तेरे विचार जीवन को नियंत्रण में रखते हैं। तू अपने मुख से कुटिलता को दूर रख। तू अपने होठों से भ्रष्ट बात दूर रख। तेरी आँखों के आगे सदा सीधा मार्ग रहे और तेरी टकटकी आगे ही लगी रहें। अपने पैरों के लिये तू सीधा मार्ग बना। बस तू उन राहों पर चल जो निश्चित सुरक्षित हैं। दाहिने को अथवा बायें को मत डिग। तू अपने चरणों को बुराई से रोके रह।
नीतिवचन 4:16-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
जब तक दुर्जन दुष्कर्म न कर लें उनको नींद भी नहीं आती: जब तक वे निर्दोष व्यक्ति को सता नहीं लेते, नींद उनके पास फटकती भी नहीं। दुष्कर्म ही उनकी रोटी, और हिंसा ही उनका पानी है। धार्मिक व्यक्ति का पथ मानो ऊषाकाल का प्रकाश है, जो सबेरे से दोपहर तक अधिकाधिक बढ़ता जाता है। पर दुर्जनों का मार्ग घोर अन्धकारमय है, वे नहीं जानते कि किससे ठोकर खा रहे हैं। मेरे पुत्र, मेरी बातें ध्यान से सुन, मेरे वचनों की ओर कान दे। ये तेरी आंखों से ओझल न हों, इनको अपने हृदय में धारण कर। जो व्यक्ति उनको प्राप्त कर लेता है, उसको मानो जीवन मिल जाता है; वह सदा स्वस्थ रहता है। मेरे पुत्र, सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा कर; क्योंकि जीवन के स्रोत उससे ही फूटते हैं। अपने मुंह से कुटिल बातें मत निकालना, और न ओंठों पर धोखा-धड़ी की बातें आने देना। तेरी आंखें सामने की ओर देखें, तेरी पलकें सीधी दिशा में खुली रहें। कदम उठाने के पूर्व अपने पैरों को तौल ले! तब तेरा सारा पथ निरापद हो जाएगा। पथ में न दाहिनी ओर मुड़ना और न बाई ओर, बुरे मार्ग से अपने पैर हटा लेना।
नीतिवचन 4:16-27 Hindi Holy Bible (HHBD)
क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उन को नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएं, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती। वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं। परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है। दुष्टों का मार्ग घोर अन्धकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं॥ हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। इन को अपनी आंखों की ओट न होने दे; वरन अपने मन में धारण कर। क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। तेरी आंखें साम्हने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। न तो दहिनी ओर मुढ़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले॥
नीतिवचन 4:16-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उनको नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएँ, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती। वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं। परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है। दुष्टों का मार्ग घोर अन्धकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं। हे मेरे पुत्र, मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। इनको अपनी आँखों की ओट न होने दे; वरन् अपने मन में धारण कर। क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। सबसे अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल, और चालबाज़ी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। तेरी आँखें सामने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पाँव रखने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। न तो दाहिनी ओर मुड़ना, और न बाईं ओर; अपने पाँव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले।
नीतिवचन 4:16-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उनको नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएँ, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती। क्योंकि वे दुष्टता की रोटी खाते, और हिंसा का दाखमधु पीते हैं। परन्तु धर्मियों की चाल, भोर-प्रकाश के समान है, जिसकी चमक दोपहर तक बढ़ती जाती है। दुष्टों का मार्ग घोर अंधकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं। हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। इनको अपनी आँखों से ओझल न होने दे; वरन् अपने मन में धारण कर। क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। सबसे अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। तेरी आँखें सामने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पाँव रखने के लिये मार्ग को समतल कर, तब तेरे सब मार्ग ठीक रहेंगे। (इब्रा. 12:13) न तो दाहिनी ओर मुड़ना, और न बाईं ओर; अपने पाँव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले।
नीतिवचन 4:16-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
उन्हें बुराई किए बिना नींद ही नहीं आती; जब तक वे किसी का बुरा न कर लें, वे करवटें बदलते रह जाते हैं. क्योंकि बुराई ही उन्हें आहार प्रदान करती है और हिंसा ही उनका पेय होती है. किंतु धर्मी का मार्ग भोर के प्रकाश समान है, जो दिन चढ़ते हुए उत्तरोत्तर प्रखर होती जाती है और मध्याह्न पर पहुंचकर पूर्ण तेज पर होती है. पापी की जीवनशैली गहन अंधकार होती है; उन्हें यह ज्ञात ही नहीं हो पाता, कि उन्हें ठोकर किससे लगी है. मेरे पुत्र, मेरी शिक्षाओं के विषय में सचेत रहना; मेरी बातों पर विशेष ध्यान देना. ये तुम्हारी दृष्टि से ओझल न हों, उन्हें अपने हृदय में बनाए रखना. क्योंकि जिन्होंने इन्हें प्राप्त कर लिया है, ये उनका जीवन हैं, ये उनकी देह के लिए स्वास्थ्य हैं. सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा करते रहना, क्योंकि जीवन के प्रवाह इसी से निकलते हैं. कुटिल बातों से दूर रहना; वैसे ही छल-प्रपंच के वार्तालाप में न बैठना. तुम्हारी आंखें सीधे लक्ष्य को ही देखती रहें; तुम्हारी दृष्टि स्थिर रहे. इस पर विचार करो कि तुम्हारे पांव कहां पड़ रहे हैं तब तुम्हारे समस्त लेनदेन निरापद बने रहेंगे. सन्मार्ग से न तो दायें मुड़ना न बाएं; बुराई के मार्ग पर पांव न रखना.