भजन संहिता 11:1-3
भजन संहिता 11:1-3 पवित्र बाइबल (HERV)
मैं यहोवा पर भरोसा करता हूँ। फिर तू मुझसे क्यों कहता है कि मैं भाग कर कहीं जाऊँ? तू कहता है मुझसे कि, “पक्षी की भाँति अपने पहाड़ पर उड़ जा!” दुष्ट जन शिकारी के समान हैं। वे अन्धकार में छिपते हैं। वे धनुष की डोर को पीछे खींचते हैं। वे अपने बाणों को साधते हैं और वे अच्छे, नेक लोगों के ह्रदय में सीधे बाण छोड़ते हैं। क्या होगा यदि वे समाज की नींव को उखाड़ फेंके? फिर तो ये अच्छे लोग कर ही क्या पायेंगे?
भजन संहिता 11:1-3 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
मैं प्रभु शरण में आया हूँ। फिर तुम मेरे प्राण से कैसे कह सकते हो, “पंछी, अपने पर्वत को उड़ जा! देख, दुर्जनों ने धनुष चढ़ाया है; उन्होंने प्रत्यंचा पर बाण रखे हैं कि अंधकार में सत्यनिष्ठ लोगों पर छोड़ें। यदि आधार ही नष्ट हो गया, तो धार्मिक मनुष्य क्या कर सकता है?”
भजन संहिता 11:1-3 Hindi Holy Bible (HHBD)
मेरा भरोसा परमेश्वर पर है; तुम क्योंकर मेरे प्राण से कह सकते हो कि पक्षी की नाईं अपने पहाड़ पर उड़ जा? क्योंकि देखो, दुष्ट अपना धनुष चढ़ाते हैं, और अपना तीर धनुष की डोरी पर रखते हैं, कि सीधे मन वालों पर अन्धियारे में तीर चलाएं। यदि नेवें ढ़ा दी जाएं तो धर्मी क्या कर सकता है?
भजन संहिता 11:1-3 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
मेरा भरोसा परमेश्वर पर है; तुम कैसे मेरे प्राण से कह सकते हो, “पक्षी के समान अपने पहाड़ पर उड़ जा; क्योंकि देखो, दुष्ट अपने धनुष चढ़ाते हैं, और अपने तीर धनुष की डोरी पर रखते हैं, कि सीधे मनवालों पर अन्धियारे में तीर चलाएँ; यदि नीवें ढा दी जाएँ तो धर्मी क्या कर सकता है?”
भजन संहिता 11:1-3 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
मैं यहोवा में शरण लेता हूँ; तुम क्यों मेरे प्राण से कहते हो “पक्षी के समान अपने पहाड़ पर उड़ जा”; क्योंकि देखो, दुष्ट अपना धनुष चढ़ाते हैं, और अपने तीर धनुष की डोरी पर रखते हैं, कि सीधे मनवालों पर अंधियारे में तीर चलाएँ। यदि नींवें ढा दी जाएँ तो धर्मी क्या कर सकता है?
भजन संहिता 11:1-3 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
मैंने याहवेह में आश्रय लिया है, फिर तुम मुझसे यह क्यों कह रहे हो: “पंछी के समान अपने पर्वत को उड़ जा. सावधान! दुष्ट ने अपना धनुष साध लिया है; और उसने धनुष पर बाण भी चढ़ा लिया है, कि अंधकार में सीधे लोगों की हत्या कर दे. यदि आधार ही नष्ट हो जाए, तो धर्मी के पास कौन सा विकल्प शेष रह जाता है?”