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मत्ती 6

6
दान कर बिषय मे शिक्षा
(लूका 11:2-4)
1सचेत रईहा! तुमन लोग मन ला दिखाए बर अपन धर्म कर बुता झिन करा, नही त अपन स्वर्गीय दाऊ ले कुछ नी पईहा।
2“एकरे बर जब तय दान करबे, त अपन आगू मे तुरही झिन बजवाबे, जईसन कपटी मन, अराधनालय अउ गली मन मे करथे, ताकि लोग मन ओकर बड़ाई करे। मैहर तुमन ले सहिच कहथो कि ओमन अपन फर ला पाए दारिन। 3लेकिन जब तय दान करबे, त तोर जेवनी हाथ हर करथे, ओला तोर डेरी हाथ झिन जाने पाए। 4ताकि तोर दान हर छुपल रही, अउ तब तोर दाऊ जेहर छुपल ला देखथे, तोला प्रतिफर देही।”
प्रार्थना कर शिक्षा
(लूका 11:1-4)
5“जब तय हर प्रार्थना करबे, त कपटी मन कर जईसन झिन करबे, काबर कि लोग मन ला दिखाए बर अराधनालय मन मे अउ डगर मन कर मोड़ मन पर ठड़होए के प्रार्थना करे बर ओमन ला बड़िया लगथे। मैहर तुमन ले सहिच कहथो कि ओमन अपन प्रतिफर ला पाए दारिन। 6लेकिन जब तय प्रार्थना करबे, त अपन कोठरी मे जा; अउ दूरा ला ढाएक के अपन दाऊ ले जेहर छुपल है प्रार्थना कर। तब तोर दाऊ जेहर छुपल मे देखथे, तोला प्रतिफर देही। 7प्रार्थना करे जुवार मे दूसर जाएत मन कर नियर बक-बक झिन करबे, काबर कि ओमन समझथे कि ओमन कर ढेरेच बोले जाए ले ओमन कर सुनल जाही। 8एकरे बर तुमन ओमन कर नियर झिन बनिहा, काबर कि तुमन कर दाऊ हर तुमन कर मांगे कर आगू ही ले जानथे कि तुमन कर का-का जरूरत है।”
9“तले तुमन मन ये नियर प्रार्थना करा;
‘हे हमर दाऊ, तय हर स्वर्ग मे हस; तोर नाव पवित्र मानल जाही।
10तोर राएज आही। तोर इक्छा जेकस स्वर्ग मे पूरा होथे, ओहिच कस धरती मे भी होए।
11हमर दिन भर कर रोटी आएज हमन ला दे।
12अउ जे नियर हमन हर अपन अपराधी मन ला छमा करथन, ओहिच कस तय भी हमर अपराध मन ला छमा कर।
13अउ हमन मन ला परीक्षा मे झिन लान, लेकिन बुराई ले बचा; (काबर कि राएज अउ पराक्रम अउ महिमा हमेसेच तोर ही है।’” आमीन)।
14“एकरे बर अगर तुमन लोग मन कर अपराध ला छमा करिहा, त तुमन कर स्वर्गीय दाऊ हर भी तुमन कर अपराध ला छमा करही। 15अउ अगर तुमन लोग मन कर अपराध ला छमा नी करिहा त तुमन कर दाऊ भी तुमन कर अपराध ला छमा नी करही।”
उपवास कर शिक्षा
16“जब तुमन मन उपवास करिहा, त कपटी मन कर नियर मुह मे उदासी झिन छाए रहे, काबर कि ओमन अपन मुह ला बनाए रखथे, ताकि लोग मन ओमन ला उपवासी जाने। मैहर तुमन ले सहिच कहथो कि ओमन अपन प्रतिफर ला पाए दारिन है। 17लेकिन जब तय उपवास करबे त अपन मूड़ मे तेल लगाव अउ मुह धो, 18ताकि लोग नही लेकिन तोर दाऊ जेहर छिपल है, तोला उपवासी जाने। ये दशा मे तोर दाऊ जेहर तोला छिपल देखथे, तोला प्रतिफर देही।”
स्वर्ग मे धन जुटावा
(लूका 12:33-34; 11:34-36; 16:13)
19“अपन बर पृथ्वी पर धन झिन जुटावा, जहा किरा अउ काई बिगाड़थे, अउ जहा चोरहा मन सेंध लगाथे अउ चोराथे। 20लेकिन अपन बर स्वर्ग मे धन जमा करा, जहा न किरा अउ न त काई बिगाड़थे, अउ जहा चोर मन न सेंध लगाथे अउ न चोराथे। 21काबर कि जहा तोर धन है हुवा तोर मन हर भी लगे रही।”
देह कर दीया
22“देह कर दीया आएख हर है; एकरे बर अगर तोर आएख हर साफ रही, त तोर सबेच देह हर भी इंजोर रही। 23लेकिन अगर तोर आएख हर बुरा रही, त तोर सबेच देह हर भी अन्धार रही; ये कारन ओ उजियारा जो तोर मे है अगर अन्धार रही त ओ अन्धार कईसन बड़खा अन्धार होही।”
कोनो चीज मन कर चिन्ता झिन करिहा
(लूका 12:22-34)
24“कोनो लोग मन दूई स्वामी मन कर सेवा नी करे सकही, काबर कि ओहर एक ले बैर अउ दूसर ले प्रेम रखही, या एक ले मिलल रही अउ दूसर ला तुच्छ जानही। तुमन परमेश्वर अउ धन दोनोच कर सेवा नी कईर सकथा। 25एकरे बर मैहर तुमन ले कहथो कि अपन प्रान बर ये चिन्ता झिन करा कि हमन का खाबो अउ का पीयब; अउ न अपन देह बर कि का पहिनब। का प्रान भात ले, अउ देह कपरा ले बईड़ के नी है? 26अकाश कर चरई मन ला देखा! ओमन न बुनथे न काटथे अउ न कोठार मे बटोरथे; तबो ले तुमन कर स्वर्गीय दाऊ हर ओमन ला खिलाथे। का तुमन मन ओमन ले ढेरेच किमत नी रखथा? 27तुमन मन मे कोन है जेहर अपन चिन्ता कईर के अपन उमर मे एक घरी भी बड़हाए सकथे?”
28“अउ कपरा बर काबर चिन्ता करथा? जंगल कर सोसन मन कर फूल पर धियान करा कि ओमन मन कईसन बड़थे, ओमन न त मेहनत करथे, न काटथे। 29तबो ले मैहर तुमन ले कहथो कि सुलैमान राजा हर भी अपन सबेच बैभव मे ले कोनोच कर नियर कपरा पहिनल नी रहिस। 30एकरे बर जब परमेश्वर हर डांड़ कर घास ला, जेहर आएज है अउ काएल भाड़ मे झोकल जाही, एसन कपरा पहिनाथे, त हे आधा बिश्वास करे बाला मन, तुमन ला ओहर एमन मन ले बईड़ के काबर नी पहिनाही?”
31“एकरे बर तुमन मन चिन्ता कईर के ये झिन कईहा कि हमन का खाबो, या का पीबो या का पहिनब। 32काबर कि दूसर जाएत मन ये सबेच चीज मन कर खोज मे रहथे, पर तुमन कर स्वर्गीय दाऊ हर जानथे कि तुमन ला ये सबेच चीज मन कर जरूरत आहे। 33एकरे बर आगू तुमन परमेश्वर कर राएज अउ धर्म कर खोज करा त ये सबेच चीज हर भी तुमन ला भेटाए जाही। 34तले काएल कर चिन्ता झिन करा काबर कि काएल कर दिन अपन चिन्ता आप ही कईर लेही, आएज बर आएज करही दुख ढेरेच है।”

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मत्ती 6: SGJNT

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