“धर्मशिक्षक सभ सँ सावधान रहू। धर्मगुरु वला लम्बा-लम्बा कपड़ा पहिरि कऽ घुमब, हाट-बजार मे लोक हुनका सभ केँ प्रणाम करनि, सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और भोज-काज मे सम्मानित स्थान भेटय हुनका सभ केँ बहुत नीक लगैत छनि। विधवा सभक घर-द्वारि हड़पि लैत छथि, और लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छथि। ओहन लोक केँ बेसी दण्ड भेटतैक।”