“जब तुहुरे उपवास बैठ्बो, तब् कपटीनके हस उदासी मुहार ना देखाऊ। काकरेकी मनैनसे प्रशंसा पाइक लग ओइने उदास देखैथाँ। जात्तिके, मै तुहुरिन्हे कहतुँ, मनैनके प्रशंसक रुपमे ओइने अपन ईनाम भेटासेकल बताँ। पर तुँ भर उपवास बैठ्बो ते अपन कपारीम तेल लगाऊ और अपन मुह धोऊ। और तोहाँर उपवास मनैनके नै देख्के स्वर्गमे रहुइया बाबा देखी, जे गुप्तमे देखत और जोन बाबाहे केऊ फेन देखे नै सेकत। तब तोहाँर बाबा जे गुप्तमे कर्लक काम देखत, ऊ तुहिन्हे ईनाम दि।”