“सुरुज, चान, आर तारासिमे अदभुत चिन्हसब दिखाई देतै। समुन्दरके गर्जन आर लहरसे धर्तीके जात-जातके आदमीसब डरसे हतास हैतै। धर्तीपर जेसब बात घटेवाला छै, ओकर डरसे आदमीसब मुर्छा पड्तै, कहिनेकी आकाशमे भेल सभे शक्तिसब डगमगैतै। तकरबाद आदमीसब हमे, आदमीके बेटाके बडका शक्ति आर अपार महिमाके साथ बादलमे ऐते देख्तै।