“हे येरूसलेम, हे येरूसलेम, तू जो परमेस्वर की ओर ते बात बतायबे बारेन कूं मार डालतै, और जिनें परमेस्वर ने तेरे जौरै भेजौए, बिनपै पत्थर बरसाबतै, मैंनें कितनीऊं बेर तेरे लोगन कूं बैसेई आपस में इकठ्ठौ करबौ चाहौए जैसे एक मुरगी अपने बच्चन कूं अपने पंखन के नीचे समैट लेतै। पर तैने नांय चाहौ।