किलैकि मनखि का मन से याने कि वेका भितर बटि ही बुरा विचार अर दुसरि जनानियों तैं गळत नजर से दिखण, चोरी करण इख तक की हत्या करण, दुसरि जनानियों का दगड़ा मा गळत सम्बन्ध रखण, लालच करण, अर दुसरो की बुरै करण, छल-कपट, हवस, बुरी नजर से दुसरो तैं दिखण, दुसरा लोगु की बेजती करण, अर अपणा ही मिजाज मा रौण, अर मूरख होण। अरे, यू सब बुरी बात मनखि का भितर बटि ही निकळदिन, अर यू ही बात मनखि तैं अशुद्ध करदिन।”