YouVersion Logo
Search Icon

यशायाह 30

30
जिद्दी राष्ट्र पर हाय!
1याहवेह ने कहा,
“हाय उन विद्रोही लड़कों पर!
वे योजनाएं बनाते हैं किंतु मेरी सहायता से नहीं,
वाचा तो बांधते हैं, परंतु मेरी आत्मा से नहीं.
इस प्रकार वे पाप करते हैं;
2वे मुझसे बिना पूछे
मिस्र जाते हैं;
कि फ़रोह के साथ में रहे
और मिस्र की छाया की शरण लें.
3इस कारण फ़रोह की सुरक्षा ही तुम्हारी लज्जा का कारण,
और मिस्र की छाया की शरण तुम्हारा अपमान होगी.
4क्योंकि उनके अधिकारी ज़ोअन में हैं
और उनके संदेश देनेवाले हानेस तक आ पहुंचे हैं,
5हर व्यक्ति को उन लोगों के कारण लज्जित किया जाएगा
जिनसे उन्हें कोई लाभ नहीं है,
ये वे हैं जो किसी लाभ या सहायता के लिए नहीं,
बल्कि लज्जा और अपमान करने के लिए ही है.”
6नेगेव के पशु के बारे में कहा कि;
विपत्ति और वेदना के देश से होकर,
जहां से सिंह और सिंहनी,
सांप और वे सांप जो उड़ते हैं,
वे अपनी धन-संपत्ति अपने गधों पर और अपना खजाना ऊंटों पर,
रखकर उन लोगों के पास ले जाते हैं,
जिनसे उनको कोई फायदा नहीं,
7मिस्र की सहायता व्यर्थ और झूठी है.
इसलिये मैंने उसका नाम
राहाब जो व्यर्थ रखा है.
8अब जाओ, इस बात को उनके सामने एक पत्थर पर खोदकर,
और एक पुस्तक में लिखकर दो,
जिससे यह संदेश हमेशा के लिए
एक साक्ष्य रहे.
9क्योंकि यह एक विद्रोही प्रजा, धोखेबाज संतान है,
वह संतान जो याहवेह की आज्ञा को नहीं मानती है.
10कौन दर्शकों को कहता है,
“तुम दर्शन मत देखो!”
भविष्यवक्ताओं से,
“तुम हमें इस विषय में भविष्यवाणी मत बताओ कि सही क्या है और
हमसे चिकनी-चुपड़ी बातें करो,
झूठी भविष्यवाणी करो.
11तुम रास्ता छोड़ दो,
मार्ग से हट जाओ,
इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के विषय में
और कुछ न सुनाओ!”
12इस कारण इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ने कहा:
“क्योंकि तुमने इस बात को नहीं माना
और तुमने विश्वास झूठ और कपट में किया है
और तुम उन्हीं पर आश्रित रहे हो,
13इसलिये यह अपराध तुम्हारे ऊपर ऐसे आया,
जैसे एक दीवार टूटकर अचानक गिर जाती है.
14इसका टूटकर गिरना वैसा जैसे कुम्हार के एक बर्तन को,
चूर-चूर कर दिया जाता है
जिसके कारण इसके टुकड़ों में कुछ भी न बचेगा
इससे न चूल्हे में से राख निकाली जा सके या जल कुंड में से पानी.”
15क्योंकि प्रभु याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह यों कहते हैं:
“अगर तुम चुप रहते और लौट आते तो उद्धार पाते,
तथा शांत रहकर विश्वास करते तो सफल होते,
परंतु तुमने ऐसा नहीं किया.
16लेकिन तुमने कहा कि, ‘हम तो घोड़ों पर चढ़कर भाग जाएंगे.’
इसलिये तुम भाग जाओगे!
और घोड़े को तेज भगाकर चले जायेंगे,
इसलिये जो तुम्हारा पीछा करेंगे, वे भी तेज होंगे!
17एक व्यक्ति के भय से
एक हजार भागेंगे;
पांच के डराने से
तुम ऐसा भागोगे
कि भागते भागते पहाड़ की आखिरी ऊंचाई पर
जहां निशानी के लिये झंडा गाड़ा जाता है
वहां तक पहुंच जाओ.”
18याहवेह तुम पर कृपा करने के लिए उठ गए हैं;
क्योंकि याहवेह न्यायी परमेश्वर हैं.
धन्य हैं वे सब,
जो उस पर आशा लगाये रहते हैं!
19हे ज़ियोन के लोगो, येरूशलेम के वासियो, तुम अब और न रोओगे. याहवेह तुम्हारे रोने को सुनकर तुम पर दयालु होंगे और तुम्हें उत्तर देंगे. 20यद्यपि प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल दिया है, वह, तुमसे अब दूर नहीं जायेंगे. तुम्हें उपदेश देंगे और तुम अपनी आंखों से उपदेशक को देखोगे. 21जब कभी भी तुम दायें अथवा बायें मुड़ो तुम्हें पीछे से एक आवाज सुनाई देगी, “यही है वह मार्ग; इसी पर चला करो.” 22तुम्हारे सोने और चांदी जिसमें मूर्तियां खुदी हुई है; उसे अशुद्ध करोगे और उसे पुराने कपड़ों के समान उठाकर फेंक दोगे, “दूर हो जाओ!”
23तब याहवेह उस बीज के लिए तुम्हें बारिश देंगे जो तुमने भूमि में लगाई है, और भोजन अर्थात् वह उपज जो भूमि से मिलती है उत्तम और भरपूर होगी. 24बैल और गधे जो खेतों के लिए काम में लाए जाते हैं, वे सूप और डलिया से फटकी हुई भूसी खाकर तृप्‍त होंगे. 25उस महा संहार के समय जब दुर्ग गिरेंगे, तब पहाड़ों और हर ऊंची पहाड़ियों से सोते बहेंगे. 26उस समय जब याहवेह अपने लोगों के घाव पर पट्टी बांधेंगे और उन खरोचों को ठीक करेंगे, जो उन्होंने उन्हें पहुंचाई थी, उस दिन चंद्रमा का तेज सूर्य के तेज के समान होगा और सूर्य का प्रकाश सात गुणा अर्थात् वह सात दिन के प्रकाश के समान होगा.
27देखो, याहवेह अपनी महिमा में दूर से आ रहे हैं,
उनका क्रोध भड़क उठा है और धुंए का बादल उठ रहा है;
उसके होंठ क्रोध से भरे हैं,
और उनकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है.
28उनकी श्वास उमड़ती हुई धारा के समान है,
जो गले तक पहुंचती है.
वह सब जनताओं को छलनी में आगे-पीछे हिला देंगे;
और लोगों के जबड़ों में ऐसी लगाम कस देंगे
जो नाश की ओर ले जाती है.
29तुम्हारे गीत
पवित्र पर्व पर रात में गाए गीतों के समान होंगे;
और तुम्हारा दिल ऐसे आनंदित होगा
जैसे कोई याहवेह के पर्वत
इस्राएल की चट्टान पर,
बांसुरी की आवाज के साथ आगे बढ़ता जाता है.
30तब याहवेह अपनी प्रतापमय वाणी सुनायेंगे
और स्वर्ग से उनका बल उनके प्रचंड क्रोध,
भस्म करनेवाली आग, भारी वर्षा
और ओलों के द्वारा दिखाई देगा.
31क्योंकि याहवेह की शक्ति पर अश्शूर डर जाएगा;
जब याहवेह उनको दंड देंगे.
32उस समय खंजरी और नेबेल की आवाज सुनाई देगी,
याहवेह हथियार से उनसे युद्ध करेंगे.
33क्योंकि पहले से ही एक अग्निकुण्ड#30:33 अग्निकुण्ड मूल में तोफेथ जलाने की जगह तैयार किया गया है;
यह राजा के लिए तैयार किया गया है.
अनेक लकड़ियों से बनाई गयी एक चिता;
गंधक की धारा के समान,
याहवेह अपनी श्वास इसमें डाल देते हैं.

Currently Selected:

यशायाह 30: HSS

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

Video for यशायाह 30