YouVersion Logo
Search Icon

1 योहन 1

1
प्रस्‍तावना : जीवनदायक “शब्‍द”
1हमारा विषय वह शब्‍द#1:1 अथवा, “वचन”। है, जो आदि से विद्यमान था। हम ने उसे सुना है। हमने उसे अपनी आँखों से देखा है। हमने उसका अवलोकन किया और अपने हाथों से उसका स्‍पर्श किया है। वह शब्‍द जीवन है#यो 1:1,14 2और यह जीवन प्रकट किया गया है। यह शाश्‍वत जीवन, जो पिता के यहाँ था और हम पर प्रकट किया गया है-हमने इसे देखा है, हम इसके विषय में साक्षी देते और तुम्‍हें इसका सन्‍देश सुनाते हैं।#यो 1:4 3हमने जो देखा और सुना है, वही हम तुम लोगों को भी बताते हैं, जिससे तुम्‍हें भी हमारे साथ सहभागिता प्राप्‍त हो। निस्‍संदेह, हमारी सहभागिता पिता के साथ और उसके पुत्र येशु मसीह के साथ है।
4हम तुम्‍हें यह इसलिए लिख रहे हैं, जिससे हम सब का आनन्‍द परिपूर्ण हो जाये।#यो 15:11; 16:24
परमेश्‍वर ज्‍योति है
5वह संदेश जो हमने येशु से सुना और अब तुम को भी सुनाते हैं, यह है-परमेश्‍वर ज्‍योति है और उस में कोई भी अन्‍धकार नहीं!#याक 1:17 6यदि हम कहते हैं कि हमें उसके साथ सहभागिता प्राप्‍त है, किन्‍तु अन्‍धकार में चल रहे हैं, तो हम झूठ बोलते हैं और सत्‍य के अनुसार आचरण नहीं करते।#1 यो 2:4; यो 3:21 7परन्‍तु यदि हम ज्‍योति में चलते हैं-जिस तरह वह स्‍वयं ज्‍योति में है − तो हमारी एक-दूसरे से सहभागिता है और उसके पुत्र येशु का रक्‍त हमें हर पाप से शुद्ध कर देता है।#इब्र 9:14; प्रक 1:5; 7:14
पाप से दूर रहना
8यदि हम कहते हैं कि हम निष्‍पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्‍य नहीं है। 9यदि हम अपने पाप स्‍वीकार करते हैं, तो परमेश्‍वर हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अपराध से शुद्ध करेगा; क्‍योंकि वह विश्‍वसनीय तथा धार्मिक है।#नीति 28:13 10यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका वचन हम में नहीं है।

Currently Selected:

1 योहन 1: HINCLBSI

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

Videos for 1 योहन 1