YouVersion Logo
Search Icon

2 कुरिन्थियों 2

2
1इसलिए मैंने निश्‍चय किया कि मैं आपको फिर दु:ख देने के लिए आप के यहां नहीं आऊंगा।#2 कुर 12:21; 1 कुर 4:21 2यदि मैं आपको दु:ख देता हूँ, तो कौन मुझे प्रसन्न कर सकता है? जिस व्यक्‍ति को मुझे दु:ख देना पड़ा, वही मुझे प्रसन्न कर सकता है। 3तब मैंने इस बात को लेकर पत्र लिखा, जिससे कहीं ऐसा न हो कि मेरे आने पर, जिन लोगों से मुझे आनन्‍द मिलना चाहिए, वे मुझे दु:खी बनायें; क्‍योंकि आप सब के विषय में मेरा दृढ़ विश्‍वास है कि मेरा आनन्‍द आप सब का आनन्‍द भी है। 4मैंने बड़े कष्‍ट में, हृदय की गहरी वेदना सहते हुए और आँसू बहा-बहा कर वह पत्र लिखा था। मैंने आप लोगों को दु:ख देने के लिए नहीं लिखा था, बल्‍कि इसलिए कि आप यह जान जायें कि मैं आप लोगों को कितना अधिक प्‍यार करता हूँ।#प्रे 20:31
अपराधी को दण्‍ड और क्षमा
5यदि किसी ने दु:ख दिया है, तो उसने मुझे नहीं, बल्‍कि एक प्रकार से आप सब को दु:ख दिया है, हालांकि हमें इस बात को अधिक महत्व नहीं देना चाहिए#1 कुर 5:1 #2:5 अथवा, “यह बात मैं बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कह रहा हूँ; अथवा, “मैं बहुत कठोर बनना नहीं चाहता”। 6आप लोगों के समुदाय ने उस व्यक्‍ति को जो दण्‍ड दिया है, वह पर्याप्‍त है। 7अब आप को ही उसे क्षमा और सान्‍त्‍वना देनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वह अत्‍यधिक दु:ख में डूब जाये। 8इसलिए मैं आप से निवेदन करता हूँ कि आप उसके प्रति प्रेम दिखाने का निर्णय करें। 9मैंने आपकी परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से भी लिखा था। मैं यह जानना चाहता था कि आप सभी बातों में आज्ञाकारी हैं या नहीं।#2 कुर 7:15 10जिसे आप क्षमा करते हैं, उसे मैं भी क्षमा करता हूं। जहां तक मुझे क्षमा करनी थी, मैंने आप लोगों के कारण मसीह के प्रतिनिधि के रूप में#2:10 अथवा, “मसीह की उपस्‍थिति में”। क्षमा प्रदान की है;#लू 10:16 11क्‍योंकि हम शैतान के फन्‍दे में नहीं पड़ना चाहते हैं। हम उसकी चालें अच्‍छी तरह जानते हैं।#लू 22:31
सन्‍त पौलुस को सान्‍त्‍वना
12मैं मसीह के शुभ-समाचार का प्रचार करने त्रोआस नगर में पहुंचा और वहां प्रभु के कार्य के लिए द्वार खुला हुआ था।#प्रे 14:27; 1 कुर 16:9 13फिर भी मेरे मन को शान्‍ति नहीं मिली, क्‍योंकि मैंने वहां अपने भाई तीतुस को नहीं पाया। इसलिए मैंने वहां के लोगों से विदा ले कर मकिदुनिया के लिए प्रस्‍थान किया।#प्रे 20:1
14परमेश्‍वर को धन्‍यवाद, जो हमें निरन्‍तर मसीह की विजय-यात्रा में ले चलता और हमारे द्वारा अपने नाम के ज्ञान की सुगन्‍ध सर्वत्र फैलाता है! 15क्‍योंकि लोग चाहे मुक्‍ति प्राप्‍त कर रहे हैं या विनष्‍ट हो रहे हैं, हम उनके बीच परमेश्‍वर के लिए मसीह की मधुर सुगन्‍ध हैं।#1 कुर 1:18 16विनष्‍ट हो जाने वालों के लिए यह गंध घातक हो कर मृत्‍यु की ओर ले जाती है; किन्‍तु मुक्‍ति प्राप्‍त करने वालों के लिए यह जीवनदायक हो कर जीवन की ओर ले जाती है। इस कार्य को योग्‍य रीति से कौन सम्‍पन्न कर सकता है?#लू 2:34; 2 कुर 3:5-6 17हम उन बहुसंख्‍यक लोगों के समान नहीं हैं, जो परमेश्‍वर के वचन का सौदा करते हैं, बल्‍कि हम परमेश्‍वर से प्रेरित हो कर और मसीह से संयुक्‍त रह कर, परमेश्‍वर की आंखों के सामने, सच्‍चाई से वचन का प्रचार करते हैं।#2 कुर 1:12; 1 पत 4:11

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in