व्यवस्था-विवरण 16
16
तीन विशिष्ट यात्रा-पर्व
पास्का (फसह) का पर्व
1‘तू आबीब महीने को मानना और अपने प्रभु परमेश्वर के लिए पास्का का पर्व मनाना, क्योंकि आबीब महीने में तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे रात के समय मिस्र देश से बाहर निकाल लाया था।#नि 12:2; लेव 23:5; गण 28:19 2तू अपनी भेड़-बकरी, गाय-बैल में से पास्का के पशु को अपने प्रभु परमेश्वर के लिए उस स्थान में बलि करना, जिसको प्रभु स्वयं चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्ठित करेगा। 3तू उस पशु-बलि के साथ खमीरी रोटी मत खाना। तू सात दिन तक उसके साथ बेखमीर रोटी, “दु:ख की रोटी” खाना, क्योंकि तू मिस्र देश से हड़बड़ी में#16:3 अथवा, ‘शीघ्रता से’। निकला था। इस प्रकार तू अपने जीवन भर उस दिन को स्मरण रखेगा, जब तू मिस्र देश से बाहर निकला था। 4सात दिन तक समस्त देश में तेरे पास खमीर न दिखाई दे। जिस पशु को तू पहले दिन की सन्ध्या समय बलि करेगा, उसका मांस सबेरे तक नहीं छोड़ना। 5तू अपने किसी भी नगर में, जो तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे दे रहा है, पास्का के पशु को बलि नहीं करेगा; 6वरन् तू पास्का के पशु को सन्ध्या समय, ठीक सूर्यास्त के समय जब तू मिस्र देश से बाहर निकला था, उस स्थान में बलि करना, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्ठित करेगा। 7तू उसी स्थान में, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर स्वयं चुनेगा, मांस को पकाना और खाना। फिर सबेरे तू लौटकर अपने तम्बू में चले जाना। 8तू छ: दिन तक बेखमीर रोटी खाना, और सातवें दिन अपने प्रभु परमेश्वर के लिए एक गम्भीर समारोह आयोजित करना। उस दिन तू कोई काम मत करना।
सप्त सप्ताह का पर्व (फसल-कटाई का पर्व)
9‘तू सात सप्ताह गिनना। जिस दिन तू खड़ी फसल पर हंसिया चलाएगा, उस दिन से सात सप्ताह की गणना आरम्भ करना।#नि 23:16; लेव 23:15; गण 28:26 10जो आशिष तेरे प्रभु परमेश्वर ने तुझे दी है, उसके अनुपात के अनुसार अपने हाथ से स्वेच्छा-बलि चढ़ाना और अपने प्रभु परमेश्वर के लिए सप्त-सप्ताह का पर्व मनाना। 11तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, तेरे मध्य में रहने वाले प्रवासियों, पितृहीनों, और विधवाओं के साथ, अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख उस स्थान में आनन्द मनाना, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर स्वयं चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्ठित करेगा। 12स्मरण रखना कि तू भी मिस्र देश में गुलाम था। तू इन संविधियों का पालन करना, और इनके अनुसार कार्य करना।
मण्डप-पर्व
13‘जब तू अपने खलिहान तथा अंगूर के रस-कुण्ड में उपज एकत्र करेगा, तब सात दिन तक मण्डप-पर्व मनाना।#लेव 23:34; गण 29:12 14तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, प्रवासियों, पितृहीनों और विधवाओं के साथ पर्व में आनन्द मनाना। 15तू अपने प्रभु परमेश्वर के लिए उस स्थान में सात दिन तक पर्व मनाना, जिसको तेरा प्रभु चुनेगा। तेरा प्रभु परमेश्वर तेरी समस्त उपज पर, तेरे सब कामों पर आशिष देगा, जिससे तू आनन्दमग्न हो जाएगा।
16‘तेरे परिवार के सब पुरुष वर्ष में तीन बार अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख उस स्थान में उपस्थित होंगे, जिसको वह स्वयं चुनेगा : बेखमीर रोटी के पर्व पर, सप्त-सप्ताह के पर्व पर, और मण्डप-पर्व पर। वे खाली हाथ प्रभु को अपना मुंह नहीं दिखाएंगे। 17तेरे परिवार का प्रत्येक व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुरूप, तथा जो आशिष तेरे प्रभु परमेश्वर ने तुझे दी है, उसके अनुसार भेंट अर्पित करेगा।#2 कुर 8:12
न्याय और प्रशासन
18‘तू प्रत्येक कुल में शासक और शास्त्री चुनना और उन्हें हर नगर पर, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे दे रहा है, नियुक्त करना। वे जनता का धार्मिकता से न्याय करेंगे। 19तू न्याय को भ्रष्ट मत करना। तू पक्षपात नहीं करना। तू घूस मत लेना; क्योंकि घूस बुद्धिमान व्यक्ति की आंख को बन्द कर देती है। वह धार्मिकों के न्याय-पक्ष को उलट देती है।#नि 23:8; लेव 19:15 20तू न्याय, केवल न्याय का अनुसरण करना, जिससे तू उस देश में, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे दे रहा है, जीवित रहे और उस पर अधिकार करे।
21‘जो वेदी तू अपने प्रभु परमेश्वर के लिए बनाएगा, उसके पास अशेरा देवी के खम्भे के रूप में कोई पेड़ मत लगाना।#नि 34:13; लेव 26:1 22तू पूजा के लिए कोई स्तम्भ मत खड़ा करना। उससे तेरा प्रभु परमेश्वर घृणा करता है।
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व्यवस्था-विवरण 16: HINCLBSI
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