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व्‍यवस्‍था-विवरण 32

32
1‘ओ आकाश, मेरी ओर ध्‍यान दे, मैं बोलूंगा :
ओ पृथ्‍वी, मेरे मुंह के शब्‍द को सुन!#यश 1:2
2मेरी शिक्षाएँ वर्षा के सदृश बरसें,
मेरे शब्‍द ओस के सदृश टपकें,
जैसे हरी घास पर रिमझिम वर्षा,
जैसे वनस्‍पति पर बौछार!#अय्‍य 29:22-23; यश 55:10; हो 6:4; भज 72:6
3मैं प्रभु के नाम को घोषित करूंगा,
हमारे परमेश्‍वर की महानता को स्‍वीकार
करो!
4‘प्रभु चट्टान है। उसका शासन-कार्य सिद्ध है;
क्‍योंकि उसके समस्‍त मार्ग न्‍यायपूर्ण हैं।
वह सच्‍चा परमेश्‍वर है, उसमें पक्षपात नहीं,
वह निष्‍पक्ष न्‍यायी और निष्‍कपट है।#यश 44:8
5परन्‍तु इस्राएलियों ने प्रभु के साथ भ्रष्‍ट व्‍यवहार
किया;
वे अपने कलंक के कारण उसके पुत्र-
पुत्रियां नहीं रहे।
वे विकृत और कुटिल पीढ़ी के लोग हैं।#फिल 2:15
6ओ मूर्ख और निर्बुद्धि जाति के लोगो!
तुम प्रभु के कार्यों का यह बदला देते हो?
क्‍या वह तेरा पिता नहीं है,
ओ इस्राएल! जिसने तुझे अस्‍तित्‍व दिया,
जिसने तुझे बनाया, और स्‍थापित किया?#यश 63:16
7बीते हुए दिनों को स्‍मरण कर,
प्रत्‍येक पीढ़ी के वर्षों पर विचार कर;
अपने पिता से पूछ, और वह तुझ पर प्रकट
करेगा;
अपने धर्मवृद्धों से पूछ, और वे तुझ को
बताएंगे।
8जब सर्वोच्‍च परमेश्‍वर ने राष्‍ट्रों को उनका
पैतृक-अधिकार बांटा,
मानव-समूहों को अलग-अलग किया,
तब उसने ईश-पुत्रों#32:8 अथवा, ‘ईश-दूतों’; पाठांतर, ‘इस्राएल के पुत्रों’। की संख्‍या के अनुसार
विभिन्न जातियों की राज्‍य-सीमाएं निश्‍चित
कर दीं।#प्रे 17:26
9पर प्रभु का निज भाग इस्राएल, उसकी अपनी
प्रजा है;
उसका निर्धारित पैतृक-अधिकार याकूब
है।#व्‍य 7:6
10प्रभु ने उसको निर्जन प्रदेश में,
सुनसान विस्‍तृत मैदान में,
गरजते-चीखते पशुओं से भरे मरुस्‍थल में
पाया था;
रक्षा के हेतु उसको घेर कर रखा;
उसकी देख-भाल की,
आंख की पुतली के सदृश
उसको संभालकर रखा।#यिर 2:6; हो 9:10; प्रज्ञ 11:2
11जैसे गरुड़ अपने घोंसले की चौकसी
करता है,
अपने बच्‍चों के ऊपर मंडराता है,
अपने पंख फैलाकर उनको पकड़ता है,
उनको अपने परों पर उठा लेता है,#नि 19:4
12वैसे प्रभु ने अकेले ही इस्राएल का नेतृत्‍व
किया;
उसके साथ कोई विदेशी देवता नहीं था।
13प्रभु ने उसे पृथ्‍वी के उच्‍च स्‍थानों की सवारी
कराई,
इस्राएल ने खेतों की उपज खाई।
प्रभु ने चट्टान से शहद निकाल उसे चटाया,
कड़ी चट्टान में से तेल निकालकर उसे
खिलाया।#यश 58:14; भज 81:16
14गायों का दही, भेड़-बकरियों का दूध,
मेढ़े और मेमनों की चर्बी,
बाशान जाति के पशु, बकरे,
गेहूं का उत्तम आटा भी उसने उसे दिया।
ओ इस्राएल, तूने अंगूर का रक्‍तिम रस भी
पिया था!
15‘पर तू, यशूरून#32:15 अर्थात् सद्‍धर्मी; इस्राएल की एक उपाधि।! मोटा होकर लात मारने
लगा!
तू मोटा हुआ, हृष्‍ट-पुष्‍ट हुआ!
तेरी देह पर चर्बी चढ़ गई!
तब तूने परमेश्‍वर को छोड़ दिया,
जिसने तुझे बनाया था,
अपने उद्धार की चट्टान के साथ मूर्खतापूर्ण
व्‍यवहार किया।
16इस्राएली लोगों ने अजनबी देवताओं की
वन्‍दना कर,
प्रभु को ईष्‍र्यालु बनाया,
घृणित प्रथाओं का पालन कर
उसके क्रोध को भड़काया।
17उन्‍होंने भूत-प्रेतों को बलि चढ़ाई,
जो ईश्‍वर नहीं थे,
जिन्‍हें वे नहीं जानते थे;
जो नए-नए देवता थे,
अभी-अभी प्रकट हुए थे,
जिनका भय उनके पूर्वजों को कभी नहीं
हुआ था।#1 कुर 10:20
18ओ इस्राएल! जिस “चट्टान” ने तुझे जन्‍म
दिया,
उसको तू भूल गया!
जिस परमेश्‍वर ने तुझे उत्‍पन्न किया,
उसको तूने विस्‍मृत कर दिया।
19‘प्रभु ने यह देखा कि उसके पुत्र-पुत्रियों ने
उसे चिढ़ाया।
अत: उसने उन्‍हें ठुकरा दिया।
20उसने कहा, मैं विमुख होऊंगा।
मैं देखूंगा कि उनका क्‍या अन्‍त होता है।
यह सत्‍य और न्‍याय से जी चुरानेवाली
पीढ़ी है!
इन बच्‍चों में निष्‍ठा का अभाव है।
21जो ईश्‍वर नहीं है,
उसके प्रति निष्‍ठा प्रदर्शित कर
उन्‍होंने मुझमें ईष्‍र्या उत्‍पन्न की।
उन्‍होंने अपने देवताओं की मूर्तियों से मुझे
चिढ़ाया।
मैं ऐसे लोगों द्वारा उनमें जलन उत्‍पन्न
करूंगा,
जो चुने हुए लोग नहीं हैं!
मैं मूर्ख राष्‍ट्र के द्वारा उन्‍हें चिढ़ाऊंगा।#रोम 10:19; यश 45:6
22मेरे क्रोध के कारण अग्‍नि जल उठी है।
वह अधोलोक के नीचे तक जलेगी।
वह पृथ्‍वी और उसकी उपज को भस्‍म कर
देगी,
पर्वतों की नींव में आग लगा देगी।
23‘मैं उन पर विपत्तियों का ढेर लगा दूंगा,
मैं उन पर अपने तरकश के तीर खाली कर
दूंगा।
24अकाल उन्‍हें तबाह कर देगा,
घोर ताप से वे भस्‍म हो जाएंगे;
असाध्‍य महामारियां उन्‍हें घेर लेंगी,
मैं उनके विरुद्ध हिंसक पशु,
भूमि पर रेंगनेवाले विषैले जन्‍तु भेजूंगा।
25वे युद्ध-भूमि में तलवार से निर्वंश हो जाएंगे,
वे घर के भीतर भय से आक्रांत होंगे।
युवक और युवतियाँ,
दुधमुंहा बच्‍चा और वृद्ध,
सब नष्‍ट हो जाएंगे।#शोक 1:20
26मैंने कहा था, मैं इन्‍हें दूर देशों में तितर-बितर
कर दूंगा।
मैं मनुष्‍यों के मध्‍य से इनका स्‍मृति-चिह्‍न
मिटा डालूंगा।
27पर मुझे शत्रुओं की चिढ़ का भय था;
ऐसा न हो कि उनके बैरियों को भ्रम हो,
और वे यह कहें,
“हमने अपने भुजबल से विजय प्राप्‍त
की है।
प्रभु ने यह सब नहीं किया।”
28‘यह अदूरदर्शी राष्‍ट्र है।
इन लोगों में समझ नहीं है।
29यदि इनमें बुद्धि होती तो ये यह बात सोचते,
अपने कार्यों के अन्‍त को समझते!
30कैसे एक व्यक्‍ति हजार सैनिकों का पीछा कर
सकता है,
कैसे दो व्यक्‍ति दस हजार सैनिकों को भगा
सकते हैं,
यदि उनकी “चट्टान” उनको बेच न देती,
यदि प्रभु उनसे आत्‍म-समर्पण न कराता?
31हमारी “चट्टान” के सदृश उनकी चट्टान
नहीं है,
चाहे हमारे शत्रु हमारे न्‍यायकर्ता क्‍यों न हों!
32उनकी अंगूर की बेल
सदोम की अंगूर शाखा से,
गमोरा के अंगूर-उद्यान से निकलती है।
उनके अंगूर विषमय,
उनके अंगूर के गुच्‍छे कड़ुए हैं।
33उनके अंगूर का रस सांप का जहर है।
नाग-सर्प का घातक विष है।
34क्‍या इस्राएल कीमती पत्‍थर के समान, मुझे
प्रिय नहीं,
जिसको मैंने अपने खजाने में मुहरबन्‍द
रखा है?
35प्रतिशोध लेना मेरा काम है, मैं बदला लूंगा;
उनके पैर निर्धारित समय पर फिसलेंगे।
उनके घोर संकट का दिन समीप है,
उनका सर्वनाश अविलम्‍ब होगा।#रोम 12:19; इब्र 10:30
36जब प्रभु देखेगा कि
उसके लोगों का भुजबल जाता रहा,
स्‍वाधीन और पराधीन, दोनों प्रकार के लोग
नहीं रहे,
तब वह अपने निज लोगों को निर्दोष सिद्ध
करेगा,
वह अपने सेवकों पर दया करेगा।#भज 135:14
37वह कहेगा, “तुम्‍हारे देवता कहाँ गए?
कहाँ है तुम्‍हारी चट्टान,
जिसकी शरण में तुम गए थे?#यिर 2:28
38जिन्‍होंने तुम्‍हारे बलि-पशु की चर्बी
खाई थी,
जिन्‍होंने तुम्‍हारी पेय-बलि का रस पिया
था,
अब वे देवता उठें, और तुम्‍हारी सहायता
करें।
वे ही तुम्‍हारी रक्षा करें।
39अब मुझे देखो!
मैं, हाँ मैं, वही हूँ!
मेरे अतिरिक्‍त कोई ईश्‍वर नहीं है।
मैं ही प्राण लेता हूँ,
मैं ही जीवन देता हूँ।
मैं ही घायल करता हूँ,
मैं ही स्‍वस्‍थ करता हूँ।
मेरे हाथ से छुड़ानेवाला कोई नहीं है।#यश 41:4; 1 शम 2:6
40मैं आकाश की ओर अपना हाथ उठाकर यह
शपथ खाता हूँ,
मैं अनन्‍त काल तक जीवित हूँ।
41अत: मैं अपनी तलवार की धार को तेज
करूंगा,
मैं न्‍याय को अपने हाथ में लूंगा,
मैं अपने बैरियों का प्रतिकार करूंगा,
मैं उनसे बदला लूंगा, जो मुझसे बैर
करते हैं।
42मैं अपने तीरों को शत्रु-पक्ष के मृतकों और
कैदियों के रक्‍त से नहला दूंगा,
मेरी तलवार उनके नायकों के लम्‍बे-लम्‍बे
केशवाले सिरों का मांस खाएगी।”
43‘ओ राष्‍ट्रों, प्रभु के निज लोगों के साथ जय-
जयकार करो!#32:43 पाठांतर, ‘ओ स्‍वर्गो, उसकी प्रजा के साथ जयकार करो! ओ ईश-दूतो, उसकी आराधना करो!’
प्रभु अपने सेवकों के रक्‍त का प्रतिशोध
लेता है;
वह अपने बैरियों से बदला लेता है।
वह अपने निज लोगों की भूमि को उसकी
अशुद्धता से शुद्ध करता है।’#32:43 अथवा “प्रायश्‍चित करता है।” #रोम 15:10; प्रक 19:2; 1:6
44मूसा ने यहोशुअ#32:44 मूल में, ‘होशे’ बेन-नून के साथ आकर इस्राएली लोगों को उच्‍च स्‍वर में इस गीत के पद सुनाए।
45जब मूसा लोगों को सब प्रवचन सुना चुके 46तब उन्‍होंने उनसे यह कहा, ‘जो शब्‍द मैं आज गम्‍भीर साक्षी के रूप में तुमसे कह रहा हूँ, उन्‍हें अपने हृदय में बैठा लो, और अपने बच्‍चों को सिखाओ, जिससे वे इस व्‍यवस्‍था के सब वचनों के अनुसार कार्य कर सकें। 47क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के ये शब्‍द खोखले नहीं हैं, वरन् ये तुम्‍हारा जीवन हैं। इन शब्‍दों के अनुसार कार्य करने से तुम्‍हारी आयु उस देश में लम्‍बी होगी, जहाँ तुम यर्दन नदी को पार कर अधिकार करने के लिए जा रहे हो।’
मूसा का कनान देश के दर्शन करना
48प्रभु मूसा से उसी दिन बोला,#गण 27:12 49‘इस अबारीम पहाड़ की नबो नामक चोटी पर चढ़, जो यरीहो नगर के सम्‍मुख, मोआब देश में है। वहाँ से तू कनान देश के दर्शन कर सकेगा, जिसको मैं पैतृक अधिकार के लिए इस्राएली समाज को प्रदान कर रहा हूँ। 50जैसे तेरा भाई हारून होर नामक पर्वत पर चढ़ा था, वहाँ उसकी मृत्‍यु हुई, और वह अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल गया था वैसे ही तू इस पर्वत पर चढ़ेगा, तेरी मृत्‍यु होगी और तू अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल जाएगा, 51क्‍योंकि तूने और हारून ने सीन के निर्जन प्रदेश में, मरीबा-कादेश के जलाशय पर इस्राएली समाज के मध्‍य मेरे विश्‍वास को भंग किया था। तुमने इस्राएली समाज के मध्‍य मुझे पवित्र सिद्ध नहीं किया था।#गण 20:11 52तू दूर से ही उस देश के दर्शन करेगा, जिसको मैं इस्राएली समाज को दे रहा हूँ, किन्‍तु वहाँ नहीं जा सकेगा।’

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