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हबक्‍कूक पुस्‍तक-परिचय

पुस्‍तक-परिचय
नबी हबक्‍कूक का सेवा-काल ईसवी-पूर्व सातवीं शताब्‍दी का अंतिम दशक है। इस समय चारों ओर ‘कसदी’ अर्थात् बेबीलोनी साम्राज्‍य फैल रहा था। बेबीलोनी सैनिक अपनी क्रूरता के लिए कुख्‍यात थे। नबी हबक्‍कूक उनके अत्‍याचार से ‘त्राहि! त्राहि!’ करते हैं। वह प्रभु को उलाहना देते हैं, ‘हे प्रभु, तू निर्मल आंखों वाला है! तू अन्‍याय को देख नहीं सकता। तब तू, प्रभु, बेईमान लोगों को क्‍यों देखता है? दुर्जन अपने से अधिक धार्मिक जन को निगल जाता है; तब तू चुप है! क्‍यों?’ (1:13)।
प्रभु अपने नबी को आश्‍वासन देता है कि वह निर्धारित समय पर अवश्‍य हस्‍तक्षेप करेगा। किन्‍तु निर्धारित समय आने तक “धार्मिक जन अपने विश्‍वास से जीवित रहेगा” (2:4)। इस प्रकार प्रश्‍नोत्तर द्वारा ईश्‍वरीय न्‍याय का मंडन किया गया है।
शेष पुस्‍तक में नबी हबक्‍कूक की दण्‍ड से सम्‍बन्‍धित नबूवतें हैं, कि दुर्जनों का विनाश अवश्‍य होगा। पुस्‍तक के अन्‍त में नबी का स्‍तुति गान है। वह उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की महानता का प्रशंसा-गान गाते हैं। इन पदों में परमेश्‍वर पर नबी के अटूट विश्‍वास की झलक मिलती है: कष्‍ट-संकट की स्‍थिति में भी “मैं प्रभु में आनन्‍दित रहूंगा−प्रभु परमेश्‍वर मेरा बल है” (3:18-19)।
विषय-वस्‍तु की रूपरेखा
नबी का उलाहना और प्रभु का आश्‍वासन 1:1−2:4
दुर्जन का विनाश अवश्‍य होगा 2:5-20
नबी की प्रार्थना 3:1-19

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